पोवार समाज का परिचय एवं वैनगंंगा अंचल में विस्तार का रोचक इतिहास – इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

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पोवार समाज का परिचय एवं वैनगंंगा अंचल में विस्तार का रोचक इतिहास – इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

♦️पोवार एक राजपूत जाति है। राजपूतों की घनी आबादी मालवा, राजस्थान एवं हरियाणा में पायी जाती है।

♦️ भारत में मध्ययुग ( नवीं वी सदी से अठारहवीं सदी) के पूर्वार्ध में वर्ण-व्यवस्था जाति व्यवस्था में परिवर्तित हो गयी। इसी काल में राजपूतों में भी अनेक जातियां अस्तित्व में आयी।

♦️ एक जनश्रुति के क्षत्रियों के 36 कुल का एक सैनिक संघ था। ‌जिसने अपनी एक स्वतंत्र भाषा विकसित कर ली और स्वयं को एक स्वतंत्र जाति के रुप में विकसित कर लिया। इस सैनिक संघ से उत्पन्न जाति को पोवार जाति के नाम से पहचान प्राप्त हुई।

♦️ पोवार जाति के लोग मालवांचल की धारानगरी के परिसर में बसे थें।ये लोग 1700 के आसपास वैनगंंगा अंचल में स्थानांतरित हुये है। इसलिए इन्हें धारानगरी के पोवार के नाम से जाना जाता है।

1. Cylinder क्षेत्र का अभिप्राय
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वैनगंंगा क्षेत्र में महाराष्ट्र के गोंदिया, भंडारा एवं मध्यप्रदेश के बालाघाट, सिवनी इन चार जिलों का समावेश होता है।इन चार जिलों में पोवारों की घनी आबादी पायी जाती है। अतः मालवांचल के पोवारों का प्रथम आगमन कहा हुआ? और वैनगंगा अंचल में उनका विस्तार कैसा हुआ? ये पोवारों के इतिहास का एक महत्वपूर्ण पहलू है।

2. रामटेक के पास नगरधन में आगमन
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मालवा के पोवार कुटुंब कबीले सहित सर्वप्रथम रामटेक के समीप नगरधन आये । । वहां से वें अंबागढ़ एवं चांदपुर की तरफ फैले। बाद में उन्होंने धीरे धीरे भंडारा,चांदा और बालाघाट के क्षेत्र में विस्तार किया।( Earliest account speaks of them as settelling at Nagardhan near Ramtek.Hence they spread over Ambagarh and Chandpur and gradually occupied much of Bhandara,Chanda and Balaghat (Central Provinces District Gazetteer Valume A, Year 1908, Page 101.)

3. पहली बसाहट तुमसर क्षेत्र में
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तुमसर एक पुरातन गांव है। अब ये एक प्रसिद्ध शहर है। वर्तमान भंडारा जिले में तुमसर एक तहसील है। वैनगंंगा एवं कन्हान ये दो बड़ी नदियां तुमसर क्षेत्र में है। ऐतिहासिक अंबागढ़ का किला एवं प्रसिद्ध चांदपुर का हनुमान मंदिर तुमसर क्षेत्र में है। तुमसर क्षेत्र चांवल की उपज के लिए प्रसिद्ध है।
पोवार समुदाय के लोग जब वैनगंंगा अंचल में आकर बसे तब देवगढ़ का शासक बख्त-बुलंद कन्हान और वैनगंंगा के बीच के क्षेत्र में खेती किसानी विकसित करने के लिए प्रयत्नशील था। इसलिए पोवारों ने अपनी पहली बसाहट इस क्षेत्र में की।‌बख्त-बुलंद के शासनकाल में ही तुमसर क्षेत्र का विकास हुआ।(Bakhta Buland was the most distinguished rular of the Devgad house. During Bakht Buland’s reign the rich lands to the south of Devagad, between Wainganga and Kanhan were steadily developed.- Bhandara District Gazetteer,1978,P.46.)

4.वैनगंगा के उत्तरी क्षेत्र में विस्तार
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गोंड शासनकाल में पोवार समुदाय के लोगों की बसाहट केवल तुमसर क्षेत्र में थी। मराठा शासनकाल में कटक सैनिक अभियानों (1742- 1779) में सहभागी होने के कारण उन्हें वैनगंंगा अंचल के परगने तिरोड़ा, कामठा, लांजी, रामपायली क्षेत्र और इनके उत्तर की भूमि उपहार में मिली। अतः 1789 तक पोवार समाज इस विपुल क्षेत्र में फैल गया और इस समय तक पोवारों के 126 गांव अस्तित्व में आ गए।
एम. ए. शेरिंग के अनुसार -As a reward for assistance rendered to the Bhonslas in an expedition to Cuttack,they received lands to the west of the Wyngunga.They also spread out over the northern part of the Wyngunga district,in the Pargannahs of Thurorah, Komta , Langee, and Rampylee, and over fifty years ago entered the waste lands.The tribe is now in the possession of three hundred and twenty -six villages.1 संदर्भ – Hindu Tribes and Castes, Volume ll- M.A.Sherring,1879, P.93.

5.कटंगी क्षेत्र में पोवारों का विस्तार
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पोवार समुदाय के लोग पहले भंडारा जिले में अपनी बसाहट किये और बाद मे वें कटंगी अंचल में अपने गांव बसाये।(Report on the Census of the Central Provinces 1866Vol.1-3-1866,P.15.

6. परसवाड़ा क्षेत्र में विस्तार
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मराठा शासनकाल में खेती उद्योग काफी विकसित हुआ।ब्रिटिश शासनकाल तक पुरा वैनगंगा क्षेत्र कृषि उद्योग में विकसित हो चुका था। लेकिन 1867 में बालाघाट जिले की निर्मिति तक इस जिले के परसवाड़ा एवं बैहर क्षेत्र कृषि-उद्योग में अविकसित था। बालाघाट जिले के प्रथम डिप्टी कमिश्नर ब्ल्यूमफिल्ड ने पोवार समाज के लोगों का सहयोग लेकर र्इस क्षेत्र में कृषि-उद्योग विकसित किया। इस संबंध में बालाघाट जिला गज़ेटीयर में कहा गया है कि-” In the middle of the Nineteenth, the first deputy commissioner of the Balaghat District,Colonel Bloomfield encouraged the settlement of Baihar tehsil with Powars from the Wainganga Valley.About that time Lachman Powar Naik established the first village on the Paraswara Plateau.” (संदर्भ- -Balaghat District Gazetteer -1907. )

7.बैहर क्षेत्र के विकास में योगदान
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परसवाड़ा क्षेत्र में कृषि उद्योग विकसित हो जाने के बाद भी पहाड़ी इलाका होने से बैहर क्षेत्र में खेती का पर्याप्त विकास नहीं हो पाया था।अत: उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्ध में इस क्षेत्र में कृषि उद्योग के विकास का प्रयास बालाघाट के अंग्रेज कलेक्टर मि. डेवर ने पोवारों का सहयोग लेकर किया। उसके इस कार्य में ग्राम रोशना के समकालीन पोवार मालगुजार श्री जीवना पटेल ने बहुत सहयोग किया था। ब्रिटिश सरकार ने जीवना पटेल को केशरे -ए-हिन्द की उपाधि से नवाजा था। उन्होंने गवर्नर के दरबारी के रुप में भी कार्य किया था। तात्पर्य, पोवार समाज के लोगों ने न केवल वैनगंंगा क्षेत्र बल्कि वर्तमान बालाघाट जिले में निहित बैहर एवं परसवाड़ा तहसील में भी धान की खेती को विकसित किया है। 15.(संदर्भ-पंवार समाज दर्शन, अखिल भारतीय पंवार क्षत्रिय महासभा – 2006./,P.19.)

8. पोवार समाज की जनसंख्या
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हमारे पास उपलब्ध तथ्यों के अनुसार पोवारों की जनसंख्या में ‌वृद्धि का इतिहास निम्न प्रकार से है-
(1) एक जनश्रुति के अनुसार पोवार समुदाय के लोग जब 1700 में नगरधन आये तब इस समुदाय के 3700 अश्वारोही गज़ारोही एवं पैदल सेना अपने कुटुम्ब कबेला सहित आये थे।
(2) केंद्रीय प्रांत की 1866की जनगणना के अनुसार पोवारों की जनसंख्या 91586 थी।( Report on the Census of the Central Provinces 1866,P.15.)
(3).भारत में प्रथम जनगणना 1872 में की गयी थी। इस जनगणना के अनुसार भंडारा बालाघाट एवं सिवनी जिले में पोवारों की जनसंख्या 89,611 थी।1891 की जनगणना के अनुसार भंडारा, बालाघाट एवं सिवनी जिले में पोवारों की जनसंख्या 1,13,604 थी।
(4.) 2011 की जनगणना के अनुसार भंडारा, गोंदिया, बालाघाट एवं सिवनी जिले की कूल जनसंख्या 56,02,952 थी। इन सभी जिलों में पोवार समुदाय की आबादी लगभग 20 प्रतिशत है। इस दृष्टि से 2011 में पोवार समुदाय की आबादी 11 लाख 20 हजार थी। इस जनगणना प्रतिवेदन के अनुसार पोवारी बोलने वालों की संख्या 3,25,772 थी। (5).वर्तमान में पोवार समुदाय की जनसंख्या लगभग 15 लाख है।

8. पोवार बहुल गांवों की संख्या
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अंग्रेज लेखक शेरिंग के अनुसार 1889 में पोवारों के 226 गांव थे। वर्तमान में भंडारा, गोंदिया, बालाघाट एवं सिवनी जिले में पोवार बहुल गांवों की संख्या ‌लगभग 890 है।

-समग्र पोवारी चेतना एवं सामूहिक क्रांति अभियान, भारतवर्ष.
रवि.24/3/2024.
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