भारत में उभरते हुए पंथ सनातन हिन्दू के लिए एक गंभीर चुनौती…!
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1. भारतवर्ष की प्राणशक्ति
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इतिहास के अनुशीलन से हमें अवगत होता है कि सनातन हिन्दू धर्म भारतवर्ष की प्राणशक्ति है ।जब- जब सनातन हिन्दू धर्म कमजोर हुआ , तब-तब भारत कमजोर हुआ, भारत पर विदेशी आक्रमण हुए और भारत विखंडित हुआ। इसके विपरित जब -जब सनातन हिन्दू धर्म शक्तिशाली हुआ तब- तब भारत सुखी, समृद्ध एवं शक्तिशाली हुआ है। इसलिए स्वामी विवेकानन्द ने सनातन हिन्दू धर्म को भारतवर्ष की प्राणशक्ति के नाम से संबोधित किए है।
2.उभरते हुए नवोदित पंथ
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भारत में विगत कुछ वर्षों में एक- दो ऐसे धर्म पंथों ने अपनी जड़ों को मजबूत कर लिया है ,जिनके अनुयाई अपने पंथ के खिलाफ कुछ भी सुनना नहीं चाहते।उनके पंथ का नाम लेते ही कुछ अनुयाई आक्रामक हो जाते है। एक होकर माफी मांगने की मांग करने लगते हैं। ऐसे पंथों की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित है –
2-1. ये लोग सनातन हिन्दू धर्म के देवी देवताओं को नहीं पूजते। ये केवल अपने पंथ के संस्थापक को मानते है। लेकिन ये
स्वयं को हिन्दू मानते हैं और बताते हैं।
2-2. यह पंथ तुलसी वृंदावन की पूजा को मान्यता नहीं देते।
2-3. आत्मा को मानते हैं लेकिन पुनर्जन्म के सिद्धांत को अमान्य करते है। इसलिए पिंडदान और श्राद्ध को मान्यता नहीं देते।
2-4. इन पंथों का सनातन हिन्दू धर्म शास्त्रों पर विश्वास नहीं है।
2-5.श्रीमदभगवतगीता ग्रंथ को हमारे सभी महापुरुषों ने महत्वपूर्ण माना है। यह ग्रंथ भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का प्रेरणास्रोत रहा हैं। लेकिन भारत के ये नवोदित पंथ भगवान श्रीकृष्ण की सौ पत्नियां थी,इस गलत धारणा के आधार पर उन्हें अमान्य करते है।
3-6.ये लोग ब्राह्मण के द्वारा सत्य नारायण की कथा अथवा किसी भी प्रकार की पूजा विधि कराने के विरोधक है।
3. भारत का विभाजन
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भारत का विभाजन धार्मिक आधार पर होते आया है। इसलिए अन्य धर्म तो सनातन हिन्दू धर्म एवं भारतवर्ष इन दोनों के लिए आव्हान थे, है और भविष्य में भी रहेंगे।
उपरोक्त स्थिति में सनातन धर्म ,हिन्दू जीवन दर्शन और हिन्दूओं की धार्मिक आस्था को नकारने वाले धर्म पंथों का उदय एवं विकास यह सनातन हिन्दू धर्म के लिए एक बड़ी चुनौती है। ये नये पंथ न केवल हमारे धर्म के लिए चुनौती है बल्कि हिन्दू कहलाने वाली सभी जातियों की एकरुपता, एकता, समान जीवनशैली के अस्तित्व के लिए भी गंभीर चिंता का विषय है।
4.सामाजिक संगठनों का दायित्व
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उपर्युक्त स्थिति में सब जाति समुदाय के सामाजिक संगठनों एवं प्रबुद्ध वर्ग का दायित्व है कि वें अपने जाति – समुदाय में सनातन हिन्दू के प्रति आस्था की जड़ों को मजबूत बनाने का हर संभव प्रयास करें। उनका यह कार्य न केवल एक समाज सेवा बल्कि राष्ट्र एवं सनातन हिन्दू धर्म के अस्तित्व एवं उज्ज्वल भविष्य के लिए बहुत अनमोल एवं परम् आवश्यक है।
-इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले
समग्र सनातन चेतना एवं सामूहिक क्रांति अभियान, भारतवर्ष.
गुरु 4/4/2024.
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