अखिल भारतीय क्षत्रिय पोवार(पंवार) महासंघ के द्वारा हिंदू नववर्ष के पावन अवसर पर लगातार चौथे वर्ष, पोवारी दिवस कार्यक्रम संपन्न

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अखिल भारतीय क्षत्रिय पोवार(पंवार) महासंघ, अपने आराध्य, सम्राट विक्रम “विक्रमादित्य” के राज्याभिषेक दिवस और हिंदू नववर्ष के पावन अवसर पर अपने समाज की पहचान, इतिहास, संस्कृति और भाषा के सम्मान में, प्रतिवर्ष “पोवारी दिवस” कार्यक्रम का आयोजन करता है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य समाजजनों को अपनी भाषा, अपनी संस्कृति तथा अपने गौरवशाली इतिहास से परिचित कराना है।
सम्राट विक्रमादित्य ने अपने राज्य अवन्ति(मालवा राजपुताना) से विदेशियों को खदेड़कर, मजबूत और संगठित राज्य की स्थापना की थी। अपने इस विजय के उपलक्ष पर उन्होंने, “विक्रम संवत” पंचांग की शुरुआत की और इस पावन दिवस पर ही प्रतिवर्ष चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होती है। इसी दिन से हिंदू नव वर्ष की शुरुआत मानी जाती है।
अखिल भारतीय क्षत्रिय पंवार(पोवार) महासंघ के द्वारा प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी अपने आराध्य महाराज, सम्राट विक्रमादित्य की पति श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए “पोवारी दिवस” कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के माध्यम से अपने सम्राट के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए पोवारी भाषा में साहित्य सम्मेलन का, आभासीय माध्यम से आयोजन किया गया।
अखिल भारतीय क्षत्रिय पंवार(पोवार) महासंघ के अध्यक्ष, डॉ. विशाल बिसेन की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में श्री मुन्नालाल जी रहाँगडाले, श्री कोमल प्रसाद जी रहाँगडाले तथा श्री ऋषि जी बिसेन जी प्रमुख वक्ता के रूप में उपस्थित थे। “पोवारी दिवस” कार्यक्रम में श्री डी. पी. राहांगडाले, श्री यशवंत कटरे, डॉ. प्रल्हाद हरिणखेडे ‘प्रहरी’, इंजी. गोवर्धन बिसेन ‘गोकुल’, प्राचार्य डा. शेखराम जी येड़ेकर, श्री रमेश जी बोपचे, श्री रणदीप बिसेन, श्री शेषराव येड़ेकर, श्री उमेंद्र बिसेन, सौ. वर्षा विजय राहांगडाले, सौ. शारदा चौधरी, श्री ऋषिकेश गौतम, श्री हिरदीलालजी ठाकरे, डॉ. हरगोविंद जी टेंभरे जैसे वरिष्ठ साहित्यकारों के द्वारा सुंदर एवं मनभावन साहित्यिक प्रस्तुति दी गई।
इंजीनियर श्री महेंद्र जी पटले के द्वारा कार्यक्रम का सफल और व्यवस्थित रूप से संचालन किया गया। कार्यक्रम में महासंघ के अध्यक्ष डॉ. विशाल जी बिसेन सहित सभी वक्ताओं के द्वारा इस पावन अवसर बधाई और शुभकामनायें देते हुये छत्तीस कुल पंवार समाज के गौरवशाली इतिहास और संस्कृति के संरक्षण सहित इसे सभी स्वजातीय भाई बहनों तक पहुंचाकर समाज की एकता और अखंडता को मजबूत करने का आव्हान किया। इस कार्यक्रम के माध्यम से समाज में वैचारिक और सांस्कृतिक पतन को रोकने के लिये युवाओं की भागीदारी अधिक से अधिक बढ़ाने के उपायों को अपनाये जाने का आव्हान किया गया। पोवारी भाषा और उनके पुरातन गीत संगीत को संरक्षित कर उसके सन्देश को जन-जन तक पहुंचाने का भी इस कार्यक्रम में संकल्प लिया गया।
श्री नरेश जी गौतम, महासचिव, पोवार महासंघ के द्वारा इस कार्यक्रम में उपस्थित सभी अतिथियों, वक्ताओं और साहित्यकारों का आभार प्रदर्शन किया गया। अखिल भारतीय क्षत्रिय पंवार महासंघ की साहित्यिक शाखा प्रमुख श्री गोवर्धन जी बिसेन के द्वारा कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की गई थी। इस कार्यक्रम को प्रतिवर्ष, “अंतराष्ट्रीय पोवारी दिवस” के रूप में मनाये जाने का प्रस्ताव भी किया गया। इस कार्यक्रम में अनेक स्वजातीय भाई-बहन उपस्थित थे और सभी ने अपने समाज की संस्कृति और गौरवशाली इतिहास से सजी-धजी साहित्यिक रचनाओं का आनंद लेते हुये अपने आराध्य और समाज शिरोमणी, अवन्ति नरेश, पंवार सम्राट विक्रम को श्रद्धांजलि अर्पित की।

अखिल भारतीय क्षत्रिय पंवार(पोवार) महासंघ

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