पोवार समाज की सार्वजनिक धर्मशाला (मंडला, म. प्र.) का संक्षिप्त इतिहास
– प्राचार्य ओ सी पटले, आमगांव
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1.धर्मशाला के निर्माण का प्रस्ताव (1987)
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पोवार समाज के अधिकतर लोग अस्थि विसर्जन एवं पिंडदान हेतु मां नर्मदा के आंचल में बसे हुए मंडला जाते है। इस कारण यात्रियों की सुविधा के लिए मंडला में धर्मशाला का निर्माण करना आवश्यक था। अतः अखिल भारतीय पंवार क्षत्रिय महासभा की एक बैठक 1987 में तत्कालीन अध्यक्ष श्री. देवीसिंह ठाकुर की अध्यक्षता में ग्राम-सरेखा(बैहर) में संपन्न हुई तब इस बैठक में मंडला में एक धर्मशाला के निर्माण का निर्णय लिया गया। 2.समिति का गठन
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इस ऐतिहासिक कार्य के लिए समिति का गठन किया गया। इस कार्यसमिति के अध्यक्ष – श्री बुद्धनलाल ठाकरे (ग्राम -सरेखा), उपाध्यक्ष -श्री ताराचंद राहांगडाले (ग्राम -काश्मिरी), कोषाध्यक्ष -श्री आपजी गौतम (ग्राम -परसाटोला), सचिव -पांडुरंग बिसेन (ग्राम -सरेखा) एवं सदस्य – श्री गोंदिलाल टेंभरे,श्री लिखीराम ठाकरे, खुशीराम पटले, धंसराम पटले, हन्नुलाल देशमुख, और रोशनलाल येड़े सदस्य थे।
३. धर्मशाला का निर्माण (1995)
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धर्मशाला का निर्माण 1990-94 इस कालावधि में संपन्न हुआ। सर्वप्रथम धर्मशाला के के लिए 1990 में नर्मदा संगम घाट,मंडला में पंवार राममंदिर ट्रस्ट,बैहर के नाम पर जमीन खरीदी गयी। पंवार राममंदिर ट्रस्ट के तत्कालीन अध्यक्ष – मुन्नीलाल पटेल , सचिव -मूलचंद ठाकूर एवं अन्य समाजजनों के नेतृत्व में धर्मशाला का निर्माण कार्य संपन्न हुआ।
इस धर्मशाला का उद्घाटन 1995 में अखिल भारतीय पंवार क्षत्रिय महासभा के समकालीन अध्यक्ष अॅंड.पन्नालाल बिसेन इनके करकमलों द्वारा संपन्न हुआ।
4.धर्मशाला का महत्व
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यह धर्मशाला दूमंजिला है। प्रथम तल में सभा भवन एवं यात्रियों द्वारा भोजन तैयार करने के लिए विशाल सराईनुमा कमरा है। इस धर्मशाला का व्यवस्थापन एवं संचालन पंवार राममंदिर ट्रस्ट बैहर द्वारा किया जाता है। मंडला जाने-आने वाले यात्रियों के लिए यह धर्मशाला महत्वपूर्ण है।
यह धर्मशाला पोवार समाज की, पोवार समाज द्वारा, पोवार समाज के लिए बनाई गयी धर्मशाला है। धर्मशाला बनवाने का विचार जिनके मन में आया एवं जिन महानुभावों ने चंदा संकलित करके धर्मशाला बनवाया वें सब धन्यवाद के पात्र है। उनका यह कार्य नयी पीढ़ी को जनहितकारी कार्य करने की एक अच्छी प्रेरणा सदैव देता रहेगा । इस दृष्टि से उनका कार्य ऐतिहासिक एवं महत्वपूर्ण है।
– पोवार समाज रिसर्च अकॅडमि, भारतवर्ष.
रवि.14/4/2024.
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