राजपूताना की वीरांगना पन्नाधाय की अलौकिक शौर्यगाथा ( पोवारी भाषा मा एक प्रेरक कथा) – इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

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♦️पन्ना धाय , मेवाड़ राज्य व सिसोदिया राजवंश को रक्षा साती आपलो सर्वस्व को बलिदान करनेवाली वीरांगना होती। वा यद्यपि मेवाड़ को राजपरिवार की सदस्य ‌नोहती, लेकिन अतुल्य त्याग व बलिदान को कारण राजपूताना को इतिहास मा वोको नाव अजर-अमर से।
♦️ चितौड़ की पन्नाधाय साती मेवाड़ राज्य को अस्तित्व सर्वोपरी होतो। वोन् राष्ट्र दीप प्रज्ज्वलित ठेवन साती स्वयं को कुलदीप को बलिदान कर देईस। गुरु गोविंद सिंह न् सनातन हिन्दू धर्म को रक्षण साती आपली संतान को बलिदान देईन, तसोच बलिदान पन्ना धाय न् चितौड़ राज्य साती देई होतीस।
♦️ सम्राट व साम्राज्य ‌को इतिहास सब सांग् सेती,‌ लेकिन जिनको बलिदान लक राष्ट्र उभो रव्ह् से उनको इतिहास लक प्रेरणा लेनो आमरों परम् कर्तव्य से।
1. पन्नाधाय को परिचय ———————————-
पन्ना धाय को जन्म मंग .8 मार्च 1490 ला कमेरी गांव मा भयेव होतो। वा चितौड़ राज्य की एक साहसी बाला होती। पन्ना को विवाह सूरजमल गुर्जर सीन भयेव होतो। वोला एक पुत्र होतो, जिको नाव चंदन‌ होतो.
पन्ना धाय को जन्म चौहान राजपूत वंश को खींची कूल मा भयेव होतो । येको कारण पन्ना धाय ला, पन्ना खींचन को नाव लक भी संबोधित करेव जासे।
2.चितौड़ राज्य पर ऐतिहासिक संकट ———————————————
राजपूताना को मेवाड़ राज्य ला अनेक मुस्लिम आक्रांताओं को आक्रमण को सामना करनो पड़ेव। मेवाड़ को राजा राणा सांगा व बाबर को बीच अनेक युद्ध भया। 1527को खानवा को युद्ध मा बाबर न् राणा सांगा ला पराजित कर देईस।1528 मा राणा सांगा न् बाबर पर आक्रमण करन की जोरदार तैयारी प्रारंभ करी होतीस, लेकिन वोकी मृत्यु भय गयी।
गुजरात को सुल्तान बहादुर शाह न् मेवाड़ पर 1535 मा आक्रमण करके 8 मार्च ला चितौड़ को किला ला घेर लेईस। असी संकट की घड़ी मा राणा सांगा की विधवा पत्नी रानी कर्णावती को नेतृत्व मा चितौड़ की 3000 राजपूत महिलाओं न् स्वाभिमान को रक्षा साती जौहर करीन।
3. रानी कर्णावती को वचन
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रानी कर्णावती ला उदय सिंह नामक पुत्र होतो। रानी कर्णावती आपली सहेली पन्ना धाय की बुद्धिमत्ता, शौर्य व राष्ट्र निष्ठा लक परिचित होती। येको कारण बलिदान को पूर्व वोन् न् आपलो पुत्र उदय सिंह को हाथ पन्ना धाय को हाथ मा थाम के कहीस कि – “मी आपलो पुत्र को शिवाय सर्वस्व खोय देयी सेव। आता उदय सिंह को पालन- पोषण की अना हर विपदा मा वोको संरक्षण करन को भार तोरों पर सौंप रही सेव। तूं मोला उदय सिंह को पालन पोषण व संरक्षण को वचन दे!”
पन्नाधाय न् पल भर को भी विचार न् करता रानी ला वचन देईस कि- “उदय सिंह केवल सिसोदिया राजवंश को कुलदीपक नोहोय , बल्कि येव राजपूत व मेवाड़ ‌राज्य को भवितव्य भी आय। येको ज्ञान वोला से अना वा आपलो पुत्र चन्दन दुन भी उदय सिंह को पालन पोषण को ज्यादा ध्यान ठेये, हर विपदा मा वोको प्राणों को जतन करें अना एक न् एक दिन वोला मेवाड़ को महाराणा घोषित करवाएं।”
4.उदयसिंह की रक्षा को दायित्व
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पन्ना न् उदय सिंह को शैशवास्था मा वोला आपलो दूध पिवायकर पालन पोषण करी होतीस। माय को स्थान पर आपलो दूध पिवाय के पालन पोषण करनेवाली महिला ला हिन्दी मा “धाय” कसेती। येको कारण इतिहास मा पन्ना, उदय सिंह की “धाय माय” को नाव लक विख्यात से। 1735 मा जौहर को पहले पन्ना धाय न् रानी कर्णावती ला , वोको पुत्र उदय सिंह को प्राण रक्षा को वचन देई होतीस।
5.राजमहल का षड़यंत्र
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राणा सांगा की मृत्यु को पश्चात चितौड़ को राजमहल मा राज सत्ता को प्राप्ति साती षड़यंत्र को प्रारंभ भयेव। राणा सांगा को पुतन्या बनवीर चित्तौड़ को शासक बननो चाव्हत होतो । येको साती वोन् राणा सांगा को सब उत्तराधिकारियों की हत्या करनो प्रारंभ करीस। एक दिवस घनघोर रात को समय मा बनवीर न् राणा सांगा को मोठो पुत्र, महाराणा विक्रमादित्य की हत्या करके उदय सिंह की हत्या करन साती‌ वोको महल कर निकलेव। येकी सूचना बारी समाज ( पत्राली बनावने वालों) को एक व्यक्ति न् पन्ना धाय ला देईस।
6.पन्नाधाय को परीक्षा की घड़ी
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पन्ना धाय न् उदय सिंह को प्राण बचावन साती वोला एक बांस की टोपली मा सोवायकर व पत्रावलियों लक झांककर बारी जाती की एक महिला को संग मा चित्तौड़गढ़ को बाहेर पठाय देईस।
येको पश्चात पन्ना धाय न् आपलो पुत्र चंदन ला राजकुंवर उदय सिंह का वस्र परिधान करायके उदय सिंह को पलंग पर सोवाय देईस। बनवीर तलवार धरके उदयसिंह को कमरा मा आयेव अना वहां उपस्थित पन्ना धाय ला खबर लेईस कि उदय सिंह कहां से? पन्ना धाय न् उदयसिंह की पलंग कर इशारा करीस ,जेको पर वोको पुत्र सोयेव होतो।
क्रोध को आवेग मा बनवीर न् पन्ना धाय को पुत्र चंदन ला उदयसिंह समझकर हत्या कर देईस। पन्ना धाय आपलो डोरा को सम्मुख आपलो पुत्र की हत्या को दृश्य एकटक देखत रही। बनवीर‌ला शंका नहीं आये पायजे ‌येको साती वोन् आपलो टूरा साती आंसू भी नहीं बहाईस।
7. पन्नाधाय को कुंभलगढ़ ‌कर प्रस्थान
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उदय सिंह को महल लक बनवीर को अन्यत्र जानको बाद पन्ना धाय आपलो टूरा की लाश ला चूमकर राजकुमार उदयसिंह ला सुरक्षित स्थान पर लिजान साती निकल पड़ी। पन्नाधाय न् काही विश्वास पात्र व्यक्तियों को साथ उदयसिंह ला सकुशल कुंभलगढ़ पहुंचाईन।
कुंभलगढ़ अरावली पर्वत पर एक दुर्गम किला से। येला भारत को प्रवेशद्वार नाव लक पहचानेव जात होतो। किला मा पोहचन साती नौ दरवाजा पार करके जानो पड़् से। आशा देपुरा नामक व्यक्ति राणा सांगा को समय पासून कुंभलगढ़ को किलेदार होतो । आशा की माय न् वोला प्रेरित करन को कारण उदयसिंह ला आपलो जवर ठेईस व आपलो भास्या आय असो वोको परिचय देत गयेव। ‌
8. उदय सिंह को चितौड़ पर अधिकार
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मेवाड़ को उमराव उदय सिंह को पक्ष मा होता। ला1536 मा महाराणा घोषित करीन । उदय सिंह मोठो होताच चितौड़ पर आक्रमण करके व बनवीर ला पराजित करके 1540 मा चित्तौड़ पर अधिकार प्रस्थापित करीस । 1540 पासून 1572 वरी मेवाड़ मा उदय सिंह को शासन होतो।येको पश्चात 1572 पासून 1597 वरी मेवाड़ मा उदय सिंह को पुत्र महाराणा प्रताप को शासन रहेव।
9. पन्नाधाय को स्मारक
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पन्नाधाय की शौर्य गाथा राजस्थान को स्कूल – कॉलेज को पाठ्यक्रम मा समाविष्ट से। वहां की पाठशाला व महाविद्यालयों मा पन्नाधाय पर रचित काव्य का स्वर समय-समय पर गौरवशाली वाणी लक गुंजत रव्ह् सेती। पन्ना धाय को भव्य स्मारक उनको जन्म ग्राम कमेरी मा बनायेव गयी से । राजस्थान मा प्रति वर्ष 8 मार्च ला पन्नाधाय की जयंती मनाई जासे।
10.पन्नाधाय को इतिहास मा स्थान
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मेवाड़ को इतिहास मा जसो गौरव लक प्रात: स्मरणीय महाराणा प्रताप ला याद करेव जासे, तसोच गौरव लक पन्ना धाय को नाव भी लेयेव जासे। पन्ना धाय को बलिदान मेवाड़ की अस्मिता व राष्ट्र धर्म को पालन साती करेव गयेव असाधारण बलिदान होतो।
‌ पन्नाधाय को बलिदान ला यद्यपि‌ स्वामिभक्ति को उदाहरण को नाव लक संबोधित करेव जासे,लेकिन जन -जन को हृदय मा पन्ना धाय को बलिदान येव राष्ट्रीय बलिदान होतो,असो ‌‌यथार्थ भाव निश्चित रुप लक व्याप्त से। येको कारण राजस्थान मा महाराणा प्रताप को नाव वानी पन्ना धाय को नाव ला भी गौरवपूर्ण स्थान प्राप्त से।
महाराणा प्रताप उदय सिंह को पुत्र आय। पन्नाधाय यदि उदय सिंह को संरक्षण नहीं करती त् भारतवर्ष, राणा प्रताप समान एक महान राष्ट्रपुरुष पासून वंचित होय जातो। अत: पन्नाधाय व वोको पुत्र चंदन को बलिदान ला राष्ट्रीय महत्व से।
उपर्युक्त विवेचन को आलोक मा स्पष्ट से कि ‌जेन् दृष्टिकोण अथवा न्याय लक महाराणा प्रताप, गुरु गोविंदसिंह व छत्रपति शिवाजी महाराज इनला राष्ट्रपुरुष को रुप मा मान्यता प्राप्त से,‌ वोनच दृष्टिकोण व न्याय लक पन्नाधाय व चन्दन को त्याग ना बलिदान भी राष्ट्रीय बलिदान की श्रेणी मा समाविष्ट होसे। पन्नाधाय नि: संदेह एक अलौकिक वीरांगना होती व वोको अना वोको पुत्र चंदन को त्याग ना बलिदान भी अलौकिक से। पन्नाधाय को चरित्र ‘न भूतों न भविष्यति” असो से।

– ओ सी पटले
समग्र पोवारी चेतना व सामूहिक क्रांति अभियान, भारतवर्ष.
गुरु 25/4/2024.
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