1.इतिहास के प्रमुख कालखंड
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भारतवर्ष में इतिहास के प्रारंभ से 8 वीं सदी तक के कालखंड को प्राचीन काल के नाम से संबोधित किया जाता है। 9 वीं सदी से 18 वीं सदी तक के कालखंड को मध्ययुग तथा 19 वीं सदी के बाद के कालखंड को आधुनिक युग के नाम से जाना जाता है।
2. प्राचीन महाराष्ट्र
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प्राचीन भारत में 16 महाजनपद थे, जिनमें से “अश्मक” महाजनपद का स्थान आधुनिक अहमदनगर के आसपास था। रामायण काल में जिसे दण्डकारण्य के नाम से जाना जाता था,उसी प्रदेश में आधुनिक महाराष्ट्र का गोंदिया से गोदावरी तक का संपूर्ण प्रदेश समाविष्ट था। सम्राट अशोक के शिलालेख मुंबई के निकट पाये गये है। इससे स्पष्ट होता है कि प्राचीन युग में महाराष्ट्र का प्रदेश सम्राट अशोक के अधीन था। सम्राट अशोक के शासनकाल से ही यह प्रदेश देवगिरी और महाराष्ट्र नाम से जाना जाता है।
अशोक के बाद महाराष्ट्र का प्रदेश सातवाहन साम्राज्य (इ.स.पू.230 से इ.स.225 तक ) के अधीन था। सातवाहन ही महाराष्ट्र के पहले प्रसिद्ध शासक थे। इसलिए सातवाहन शासकों को ही महाराष्ट्र राज्य के संस्थापक माना जाता है। उनके शासनकाल के अनेक साहित्यिक,कलात्मक और पुरातात्विक प्रमाण उपलब्ध है।
सातवाहन साम्राज्य के बाद केंद्रीय दक्षिण भारत में वाकाटक साम्राज्य (तीसरी सदी के मध्य से छठी सदी तक) अस्तित्व में आया। अत: सातवाहनों के बाद महाराष्ट्र पर वाकाटकों का शासन रहा। वाकाटकों के बाद कुछ समय के लिए यहां राष्ट्रकूट परमार , कल्चुरी वंश का शासन रहा। बाद में यहां “चालुक्य वंश” की सत्ता रहीं। चालुक्य राजवंश के बाद महाराष्ट्र में यादवों का शासन रहा। तेरहवीं सदी के अंत में अलाउद्दीन खिलजी ने देवगढ़ पर आक्रमण करके यादवों का राज्य नष्ट कर दिया।
३. मध्ययुगीन महाराष्ट्र
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यादवों के बाद महाराष्ट्र का प्रदेश अलाउद्दीन खिलजी (13 वीं सदी)और उसके बाद मुहम्मद बिन तुगलक (1325) के अधीन रहा। इसके बाद महाराष्ट्र का प्रदेश बहमनी साम्राज्य के अधीन रहा। बहमनी सल्तनत टूटने के बाद यह प्रदेश गोलकुंडा के शासन में रहा, और उसके बाद यहां गोंड राजाओं तथा औरंगजेब का संक्षिप्त शासन रहा।
औरंगजेब के शासनकाल में ही छत्रपति शिवाजी महाराज का उदय हुआ। शिवाजी महाराज ने भारतवर्ष में स्वराज्य और राष्ट्रीयता की एक नयी भावना पैदा की। उनके कुशल नेतृत्व में महाराष्ट्र का सर्वांगीण उत्थान हुआ और यह एक अलग पहचान के साथ उभरकर सामने आया। उनकी प्रचंड शक्ति ने मुगलों को दक्षिण भारत में आगे नहीं बढ़ने दिया। पेशवाओं ने दक्षिण के पठार से लेकर पंजाब तक मराठों का शासन प्रस्थापित किया।
४.आधुनिक महाराष्ट्र
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अंग्रेजों ने 1818 में पुणे के पेशवा बाजीराव द्वितीय ,नागपुर के आप्पासाहेब भोंसले और परगने कामठा (गोंदिया) के जमींदार वीर राजे चिमना बहादुर को पराजित कर इस प्रदेश को अपने साम्राज्य में विलीन कर लिया।
स्वतंत्रता संग्राम में महाराष्ट्र सबसे आगे था। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का जन्म भी यही हुआ। महाराष्ट्र के अनगिनत नेताओं ने पहले लोकमान्य तिलक और बाद में महात्मा गांधी के मार्गदर्शन में स्वतंत्रता आंदोलन को आगे बढ़ाया। गांधी जी ने अपने आंदोलन का केंद्र महाराष्ट्र को बनाया था। गांधी युग में राष्ट्रवादी भारत की राजधानी वर्धा अथवा सेवाग्राम थी। 1947 में भारत को आजादी प्राप्त हुई।
5.आजादी के समय महाराष्ट्र की स्थिति
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आजादी के समय वर्तमान महाराष्ट्र सी.पी.अॅड बरार तथा बाॅम्बे स्टेट में बंटा हुआ था। वर्तमान महाराष्ट्र का विदर्भ यह सी.पी.अॅंड बरार में था। मुंबई सहित महाराष्ट्र का शेष प्रदेश और गुजरात का कुछ हिस्सा यह बाॅम्बे स्टेट में था।
6.आधुनिक महाराष्ट्र का उदय
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1 नवम्बर 1956 को सी.पी.अॅंड बरार के स्थान पर मध्यप्रदेश राज्य का गठन किया गया। इस समय बालाघाट जिला गठित करके उसे मध्यप्रदेश में समाविष्ट किया गया और विदर्भ को बाॅंम्बे स्टेट में समाविष्ट किया गया।
1956 में मध्यप्रदेश का एक स्वतंत्र राज्य के रुप में निर्माण हो जाने के पश्चात् बाॅम्बे स्टेट के स्थान पर मराठी भाषी प्रदेशों का एक अलग राज्य बनाया जाये इस मांग को लेकर बहुत बड़ा आंदोलन चलाया गया। अंततः 1 मई 1960 को महाराष्ट्र और गुजरात इन दो राज्यों का उदय हुआ। इस समय से भंडारा जिला यह महाराष्ट्र का अभिन्न अंग बन गया।1 मई 1999 में भंडारा जिले का विभाजन होकर स्वतंत्र गोंदिया जिला अस्तित्व में आया।
7. कुछ उल्लेखनीय तथ्य
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महाराष्ट्र राज्य के गठन के समय मुंबई को महाराष्ट्र में सम्मिलित कराने में भारत के प्रथम वित्तमंत्री श्री चिंतामणि देशमुख इनकी भूमिका महत्वपूर्ण साबित हुयी । उसी प्रकार भंडारा ज़िला यह मराठी भाषिक होने के कारण इसका समावेश मध्यप्रदेश में नहीं बल्कि महाराष्ट्र में होना चाहिए इसके लिए तत्कालीन बाॅम्बे स्टेट के विधायक अॅड.पी.डी.राहांगडाले ने उल्लेखनीय प्रयास किया था।
-इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले
महाराष्ट्र दिवस , रवि.01/05/2024.
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