अखिल भारतीय क्षत्रिय पोवार (पंवार) महासंघ को स्थापना दिवस 9 जून को विशेष अवसर पर –
1. प्रस्तावना
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पोवार समाज लगभग 325 वर्ष पहले मालवा लक वैनगंगा अंचल मा स्थानांतरित भयी से. समाज की संस्कृति गौरवशाली से. समाज की स्वतंत्र मातृभाषा से. भारत की आज़ादी को पहले पोवार समाज मा शिक्षा को प्रचलन कम होतो. लेकिन आज़ादी को पश्चात समुदाय मा शैक्षणिक क्रांति आयी व युवाशक्ति न् शिक्षा क्षेत्र मा उल्लेखनीय प्रगति करीस.
2.जागृत युवाशक्ति को उदय
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भारतवर्ष मा 19वीं सदी ला सुधारों की सदी को नाव लक संबोधित करेव जासे. सुधार युग को परिणामस्वरुप 1905 मा पोवार जाति सुधारनी सभा व 1915 मा अखिल भारतीय क्षत्रिय पंवार महासभा की स्थापना भयी.
भारत की आज़ादी को पश्चात यहां शिक्षा को प्रचार -प्रसार खूब भयेव. समाज मा एक सुशिक्षित वर्ग निर्माण भयेव. येन् नवो वर्ग न् आपली व्यक्तिगत प्रगति पर ध्यान केंद्रित करके आपलो परिवार ला प्रगति पथ पर अग्रसर करीस. येन् व्यस्तता को कारण समाज हित को प्रति उदासीनता धारण करीस.सुशिक्षित वर्ग जिज्ञासावश महासभा को कार्यक्रम मा जात होतो. लेकिन महासभा द्वारा समाज संबंधी जे निर्णय होत होता, उन निर्णयों को गुण -दोष पर अजिबात विचार नहीं करीस. परिणामस्वरुप महासभा को कार्य निर्विरोध आगे बढ़त गयेव. परन्तु समाज हित को प्रति उदासीन युवाशक्ति 2018 मा समाज अकस्मात कसी जागरुक भयी? येकी वास्तविकता निम्नलिखित से –
“सामाजिक हितों को प्रति सजग पोवार समाज को निर्माण”, येव लेखक को मन को स्थाई भाव होतो येको कारण. प्रस्तुत लेखक द्वारा 2018 मा पोवारी भाषाविश्व नवी क्रांति अभियान प्रारंभ करेव गयेव. पोवारी भाषिक क्रांति को उद्देश्य मातृभाषा पोवारी को संरक्षण – संवर्धन व उत्थान करनो येव होतो. भाषिक क्रांति को समय या सच्चाई ध्यान मा आयी कि महासभा, मातृभाषा पोवारी को ऐतिहासिक नाव नष्ट करन को अना पोवारी व भोयरी भाषा ला एक भाषा संबोधित करके समाज ला गुमराह करन को गलत कार्य शुरू से . असो स्थिति मा लेखक को सामने महासभा की ग़लत नीति को विरोध करनों अथवा भाषिक क्रांति अभियान हमेशा साती बंद करनो , ये दूय पर्याय होता.परंतु समाज को प्रति प्रेम , अस्मिता व स्वाभिमान कारण महासभा सीन संघर्ष की नीति अपनाईस व महासभा की गलत नीति को वैचारिक विरोध करनो प्रारंभ करीस. स्वाभाविकता सुशिक्षित युवाशक्ति को ध्यान महासभा विरुद्ध भाषिक क्रांति को बीच उत्पन्न संघर्ष कर आकर्षित भयेव. युवाशक्ति न् दूही परस्पर विरोधी विचारों पर मंथन करनो प्रारंभ करीस. येको कारण समाज मा जागरूक युवाशक्ति को उदय भयेव.
3.भाषिक क्रांति को समग्र क्रांति मा रुपांतरण ———————————————-
भाषिक क्रांति को कारण जागृत युवाशक्ति न् महासभा को सभी निर्णयों की समीक्षा करनो प्रारंभ करीस. समीक्षा मा या बात खुलकर सामने आयी कि महासभा का लगभग सभी महत्वपूर्ण निर्णय पोवार समुदाय को स्वतंत्र अस्तित्व समाप्त करन को गलत उद्देश्य लक लेया गया सेत. अतः येन् निर्णयों को विरोध करेव बिना पोवार समुदाय को स्वतंत्र अस्तित्व व उत्कर्ष कदापि संभव नाहाय. येको कारण भाषिक क्रांति ला सामाजिक, सांस्कृतिक, वैचारिक क्रांति आदि नवा आयाम जुड़त गया व देखता- देखता भाषिक क्रांति या समग्र क्रांति मा परिवर्तित भय गयी.
आपली मातृभाषा, संस्कृति व समाज को हितों को प्रति उदासीन युवाशक्ति 2018 मा जाग उठीं व समाज मा समग्र क्रांति (सकारात्मक बदलाव) आनन साती प्रयत्नशील भयी. येको कारण 2018 को वर्ष,पोवार समाज मा सकारात्मक बदलाव को संक्रमण काल ( Period of Transition ) साबित भयेव.
4.2018 को पूर्व को अना वोको पश्चात को पोवार समाज : उल्लेखनीय अंतर
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सामूहिक पोवारी चेतना व समग्र पोवारी क्रांति को कारण पोवार समाज मा अनेक सकारात्मक बदलाव आया. अतः 2018 को पूर्व को अना वोको बाद को पोवार समाज मा स्पष्ट अंतर दिस रही से.पोवार समाज कौन-कौन सा अच्छा बदलाव आया? येव सबला अवगत होनो परम् आवश्यक से. समाज मा परिलक्षित प्रमुख बदलाव निम्नलिखित सेत –
4-1.मातृभाषा को प्रति जागरूकता
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संक्रमण काल (2018) को पहले मातृभाषा को प्रति समाज मा उदासीनता व्याप्त होती. दूय चार -पोवारी व्यक्तियों की वाणी लक माय बोली बचाओ (Preserve ) को आर्तनाद सुनाई देत होतो. पोवारी भाषा संवर्धन की संकल्पना अपरिचित होती. लेकिन संक्रमण काल को पश्चात भाषा को संरक्षण ( Preserve) भाषा मा नवचैतन्य ( Revitalize) व भाषा संवर्धन (Promote) ये तिन्हीं संकल्पना लोकप्रिय भयी व भाषा संवर्धन को सामूहिक प्रयास प्रारम्भ भयेव.
2018 को पहले चार -पाच पोवारी साहित्यिक होता. पोवारी की लगभग 10 पुस्तक प्रकाशित भयी होती. लेकिन भाषिक क्रांति को कारण वर्तमान मा पोवारी साहित्यिकों की संख्या लगभग 100अना पोवारी पुस्तकों की संख्या लगभग 70 वरी पहुंच गयी से. तात्पर्य, समाज मा साहित्यिकों को एक नवों वर्ग उदित भयेव. येव 2018 मा उदित सामूहिक चेतना व समग्र क्रांति को प्रथम महत्वपूर्ण परिणाम आय.
4-2.सनातन धर्म को प्रति जागरूकता
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पोवार समाज यद्यपि पुरातन काल पासून सनातन धर्म को उपासक से. आज़ादी को पश्चात भारतवर्ष मा वामपंथी व धर्मनिरपेक्षतावादी विचारधारा को प्रभाव बढ़ेव. येको कारण समाज का कर्णधार व युवाशक्ति पर असो गलत प्रभाव पड़ेव कि वय धर्म ला व्यक्तिगत विषय समझन की चूक करन लग्या. समाज का कर्णधार पोवारी संस्कृति व संस्कार को जतन पर मोठमोठा भाषण देत, लेकिन उन भाषणों मा सनातन हिन्दू धर्म ला अजिबात स्थान नव्हृतो. पोवार समाज को डिजिटल मंचों पर भी अनेक सदस्य सनातन हिन्दू धर्म सीन संबंधित पोस्ट को विरोध करत होता व सूचना देयेव जात होती कि “पोवार समाज पर पोस्ट टाकत जाव, हिन्दू धर्म पर नहीं!”
समाज मा उपस्थित उपर्युक्त समस्या देखकर प्रस्तुत लेखक न् 2018 मा भाषिक क्रांति को साथ -साथ “पोवारी संस्कृति व सनातन धर्म ये दूही अभिन्न सेती. पोवारी संस्कृति या सनातन संस्कृति रुपी वृक्ष की शाखा समान से. सनातन हिन्दू धर्म येवच पोवारी संस्कृति को मूलस्रोत व प्राणशक्ति आय.” येन् विचार को भी खूब प्रचार -प्रसार करीस. तसोच समाज की युवाशक्ति मा सनातन हिन्दू धर्म को प्रति प्रेम, अस्मिता व स्वाभिमान जागृत करन को कार्य भी प्रभावी रुप लक करीस. परिणामस्वरुप युवाशक्ति मा सही धार्मिक अस्मिता विकसित भयी. येव सामूहिक चेतना व समग्र क्रांति को दूसरों महत्वपूर्ण परिणाम आय.
4-3. महासभा को प्रति सोच मा परिवर्तन
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2018 को पहले प्रबुद्ध वर्ग, महासभा पर डोरा बंद करके विश्वास करत होतो. प्रबुद्ध वर्ग को गैरसमज होतो कि महासभा सर्वोपरि, समाज हितकारी, व समाज कल्याणकारी संस्था से . लेकिन 2018 पासून समाज को प्रबुद्ध वर्ग न् महासभा की नीति व निर्णय की विवेकपूर्ण समीक्षा करनो प्रारंभ करीस व महासभा की गलत नीतियों को विरोध करनो प्रारंभ करीस. येको कारण समाज मा महासभा की प्रतिष्ठा को पतन भयेव.येव 2018 मा उदित सामूहिक चेतना व समग्र क्रांति को तीसरों महत्वपूर्ण परिणाम आय.
4-4. ऐतिहासिक पहचान को प्रति जागरूकता
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2018 को पहले पोवार समाज मातृभाषा को नाव व समाज की ऐतिहासिक पहचान को प्रति जागरूक नव्ह़तो. परंतु वर्तमान पोवार समाज मातृभाषा व जाति को ऐतिहासिक नावों को प्रति जागरूक से. वोला ऐतिहासिक नावों को महत्व अवगत से व नावों मा परिवर्तन को खिलाफ वोको मन मा तीव्र असंतोष से. समाज आपलो ऐतिहासिक नावों को संरक्षण साती आता तत्पर से.सामूहिक चेतना व समग्र क्रांति को येव चौथों महत्वपूर्ण परिणाम आय.
4-5. महासंघ की स्थापना (2020)
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अखिल भारतीय क्षत्रिय पंवार महासभा न् 2006 मा राष्ट्रीय क्षत्रिय पवार महासभा असो आपलो नामकरण करीस. पंवार (Panwar) नाव को स्थान पर पवार(Pawar )नाव प्रतिस्थापित करीस व स्वयं ला अंतर्जातीय संस्था को रुप मा परिवर्तित कर लेईस. 36 कुलीय पोवार समाज ला वोको भाग्य को भरोसो पर सोड़ देईस. या पोवार समाज को भवितव्य साती अत्यंत चिंताजनक स्थिति होती. येको कारण 2018 मा सामूहिक चेतना व समग्र क्रांति को उदय भयेव. युवाशक्ति ला 36 कुलीय पोवार समाज को हितों को संरक्षण करन साती सामाजिक संगठनों की स्थापना को आवाहन करेव गयेव.
इतिहास गवाह से कि आंदोलन व क्रांति मा लक नवो नेतृत्व को उदय होसे. सामूहिक चेतना व समग्र पोवारी क्रांति को फलस्वरूप पोवार समाज मा भी नवों नेतृत्व को उदय भयेव. अतः 9 जून 2020 ला अखिल भारतीय क्षत्रिय पोवार (पंवार) महासंघ की स्थापना करेव गयी. सामूहिक चेतना व समग्र क्रांति अभियान की या एक अत्यंत मोठी उपलब्धि आय. महासंघ को उदय को कारण 36 कुलीय पोवार समाज मा नवप्राण संचारित भयेव व भवितव्य सुरक्षित भयेव.
4-6.साहित्य व इतिहास ग्रंथों को सृजन
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2018 को बाद पोवारी भाषा संवर्धन:मौलिक सिद्धांत व व्यवहार, समाजोत्थान का सिद्धांत, खोपड़ी मा की दिवारी (बालकथा संग्रह),पोवारी हाना आदि उत्तम पोवारी पुस्तकों को प्रकाशन भयेव.
पोवारी आराधना, पोवारी गौरव, पोवारी संस्कृति, पोवारी धरोहर, मयरी आदि अनेक काव्यसंग्रह भी 2018 को पश्चात प्रकाशित भया.2020 पासून झुंझुरका पोवारी बाल ई द्विमासिक को प्रकाशन प्रारंभ भयेव.
हिंदी भाषा मा “पोवारों को इतिहास” (1658-2022) व अंग्रेजी मा “पोवार” येन् इतिहास ग्रंथों को प्रकाशन भी भयेव.
4-7.यू ट्यूब पर पोवारी साहित्य
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2018 को पहले यू ट्यूब पर पोवारी साहित्य को अभाव होतो. लेकिन संक्रमण काल को पश्चात यूट्यूब पर पोवारी गीत व पोवारी काॅमेड़ी कार्टून भरपूर मात्रा मा दिसन लग्या. येको कारण मातृभाषा पोवारी ला व्यापक पहचान प्राप्त भयी.
4-8. हिंदी व पोवारी साहित्यिक मंचों पर पोवारी ला प्रतिष्ठा
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2018 को पहले पोवारी साहित्यिकों मा रामायण, श्रीमद्भगवद्गीता आदि ग्रंथों को पोवारी मा अनुवाद करेव लक पोवारी भाषा को संरक्षण ( Preserve) होये, असी सोच व्याप्त होती. लेकिन 2018 को पोवारी भाषा विश्व नवी क्रांति अभियान द्वारा, विविध विधाओं मा साहित्य सृजन लक पोवारी भाषा मा नवचैतन्य (Revitalize)आये व प्रचार -प्रसार लक पोवारी भाषा को संवर्धन (Promotion)होये येव नवों दृष्टिकोण विकसित करेव गयेव . येको कारण पोवारी साहित्यिकों द्वारा वोन् दिशा मा प्रयास प्रारम्भ भया. परिणामस्वरुप हिन्दी व मराठी साहित्यिक पत्रिकाओं मा पोवारी साहित्य को प्रकाशन प्रारंभ भयेव व बहुभाषी साहित्यिक मंचों पर पोवारी कविताओं की प्रस्तुति को नवों चलन अस्तित्व मा आयेव.
4-9. न्यूज़ प्रभात व गूगल पर पोवारी साहित्य
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श्री सुनील जी तुरकर द्वारा संपादित न्यूज़ प्रभात डिजिटल नेटवर्क नामक समाचार पत्र मा पोवारी साहित्य 2020 पासून प्रकाशित होन लगेव. तसोच गूगल व अन्य वेबसाइट पर पोवारी ग्रंथों को प्रकाशन प्रारंभ भयेव. सामूहिक चेतना व समग्र क्रांति को येव एक अभुतपूर्व परिणाम आय.
4-10.पोवार मॅरेज ब्यूरो की स्थापना
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इक्कीसवीं सदी मा वैवाहिक संबंध प्रस्थापित करन उद्देश्य लक प्रत्येक समुदाय मा मॅरेज ब्यूरो स्थापित भया. पोवार समाज मा भी मॅरेज ब्यूरो अस्तित्व मा आया. लेकिन ये ब्यूरो पोवार व भोयर समुदायों को बीच अंतर्जातीय विवाह ला प्रोत्साहित करन को कार्य करत होता. समग्र क्रांति अभियान को दौर मा येन् नवी समस्या पर सबको ध्यान गयेव. अंतः 2022 मा प्राचार्य खुशाल जी कटरे इनको कुशल नेतृत्व मा 36 कुलीय पोवार मॅरेज ब्यूरो की स्थापना भयी . सामूहिक चेतना व समग्र क्रांति को इतिहास की या एक अत्यंत उल्लेखनीय घटना से.
4-11. प्रकाशन क्षेत्र मा पदार्पण
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समाज मा भाषिक व साहित्यिक क्रांति सफल होन को कारण पोवारी साहित्यिकों को एक नवों वर्ग उत्पन्न भयेव. पोवारी व पोवार समाज सीन संबंधित साहित्य को मोठो प्रमाण मा प्रकाशन प्रारंभ भयेव. येको कारण समाज को योग्य व्यक्ति न् प्रकाशन को क्षेत्र मा पदार्पण करें पाहिजे, असो भाव जागृत भयेव . अतः इंजी. श्री गोवर्धन जी बिसेन इनन् या जवाबदारी स्वेच्छा लक आपलो मजबूत कंधाओं पर लेईन.सामूहिक चेतना व समग्र क्रांति की या एक मधुर फलश्रुति आय.
4-12. भारत सरकार की परियोजना मा पोवारी साहित्य
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विभिन्न पोवारी साहित्यिकों द्वारा रचित पोवारी भाषा की 4 पुस्तकी 2024 मा भारत सरकार द्वारा संचालित भारत वाणी नामक बहुभाषी परियोजना सम्मिलित भयी.भारत वाणी एक बहुभाषी वेब पोर्टल से व येको प्रधान कार्यालय मैसूर मा से. येको माध्यम लक पोवारी भाषा मा संचित ज्ञान अन्य भाषियों ला बाचन साती उपलब्ध भयेव.
4-13.गोंदिया टाइम्स पोवार दर्पण को प्रकाशन
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पोवार समाज मा संपन्न समग्र क्रांति ला चिरस्थाई करन को उद्देश्य लक 36 कुलीय पोवार समुदाय की सर्वोच्च संस्था” अखिल भारतीय क्षत्रिय पोवार (पंवार) महासंघ” ला आपला उद्देश्य, कार्य व विचारधारा पोवार समाज को हर व्यक्ति वरी पहुंचावन की अना मातृभाषा को प्रचार -प्रसार की आवश्यकता महसूस होन लगी. अतः मंग.4 मई 2024 ला महासंघ को मुखपृष्ठ को रुप मा साप्ताहिक गोंदिया टाइम्स पोवार दर्पण को प्रकाशन प्रारंभ भयेव. येव सामूहिक चेतना व समग्र क्रांति को एक गौरवशाली परिणाम आय.
5. समग्र क्रांति को वैचारिक अधिष्ठान
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जेन् सामूहिक चेतना व समग्र पोवारी क्रांति अभियान को विवेचन येन् अध्याय मा करेव जाय रहीं से वोन् अभियान मा असंख्य स्वजनों को अमूल्य योगदान से. प्रस्तुत लेखक भी वोको एक अंग से. वोको द्वारा समग्र क्रांति ला अंतिम लक्ष्य वरी पहुंचावन को उद्देश्य लक युवाशक्ति ला सक्षम बनावन साती 2018 पासून 2024 वरी साहित्य की विविध विधाओं को माध्यम लक दिन – रात अविश्रांत प्रयास शुरू से. येव संपूर्ण साहित्य ग्रंथों मा निबद्ध करता -करता वोको द्वारा रचित (1)पोवारी भाषा को परिचय व इतिहास,(2) पोवारी भाषा संवर्धन: मौलिक सिद्धांत व व्यवहार, (3)2018 की पोवारी भाषिक क्रांति ,(4)समाजोत्थान का सिद्धांत (5)वैनगंगा की काव्य धारा, (6) पोवारों का इतिहास (1658-2022),( 7)अनुसंधान( 8)राजा भोज महाकाव्य,(9) राजा भोज को राजत्व ये महत्वपूर्ण ग्रंथ साकार भया सेत.
उपर्युक्त ग्रंथों को अध्ययन, सामूहिक चेतना व समग्र क्रांति को वैचारिक अधिष्ठान जानन – समझन साती उपयुक्त से. येन् ग्रंथों को अध्ययन लक युवाओं ला सामूहिक चेतना व समग्र पोवारी क्रांति की सही जानकारी अवगत होये व पोवार समाजोत्थान को सही मार्ग भी आलोकित होये. येन् साहित्य को कारण समाज हित को प्रति युवाशक्ति का विचार परिष्कृत भया नवीन वैचारिक उंचाई पर पंहुच्या.
6.समाज को सामूहिक दायित्व
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36 कुलीय क्षत्रिय पोवार समाज को स्वतंत्र अस्तित्व नष्ट करन को षड़यंत्र शुरू होतो. सामूहिक चेतना व समग्र क्रांति अभियान को कारण षड़यंत्रों ला विराम लगेव व समाज को भवितव्य सुरक्षित भयेव
आता आगे समाज को उज्ज्वल भविष्य साकार करन साती समाज को सामूहिक दायित्व निम्नलिखित से-
6-1.निकटतम इतिहास को जतन ———————————————
सामूहिक चेतना व समग्र क्रांति बहुत परिश्रमपूर्वक व प्रबुद्ध वर्ग को असंख्य जनों की समय-सूचकता को कारण साकार भयी से. येन् क्रांति को इतिहास को जतन करनो आवश्यक से. कहेव जासे कि “जेव समाज आपलो इतिहास भूल जासे, वू आपलो इतिहास नहीं बनाय पाव् “. येन् कहावत ला ध्यान मा ठेयके समग्र क्रांति को इतिहास को जतन करनो समाज को महत्वपूर्ण दायित्व से. कारण येन् ऐतिहासिक साहित्य को अध्ययन लक आमरी भावी पीढ़ी ला उत्तम प्रेरणा मिल पाये अना वा सही दिशा में आगे बढ़ पाये.
6-2.महासंघ ला सामूहिक समर्थन
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दूसरी महत्वपूर्ण बात या से कि अखिल भारतीय क्षत्रिय पोवार (पंवार) महासंघ की स्थापना बहुत सही समय पर भयी से. महासंघ की स्थापना या समस्त 36 कुलीय पोवार समाज साती अत्यंत आनंददायक घटना से. महासंघ की स्थापना को कारण समाज ला सही दिशा मा आगे बढ़ावन साती एक राष्ट्रीय संगठन मिली से. येको कारण महासंघ ला उत्स्फूर्त सहयोग देनो येव पोवार समाज को प्रत्येक सदस्य को परम् पावन दायित्व से.
6-3. विविध उपक्रमों ला प्रोत्साहन ———————————————
तीसरी महत्वपूर्ण बात या से कि पोवार समाज को उर्जावान व्यक्तियों द्वारा संचालित साहित्य स्पर्धा, झुंझुरका बाल ई द्विमासिक, गोंदिया टाइम्स पोवार दर्पण, पोवार मॅरेज ब्यूरो, पोवारी साहित्य को प्रकाशन आदि समस्त उपक्रमों ला पोवार समाज को समृद्धशाली भवितव्य साकार करन को दृष्टि लक बहुत महत्व से. अतः इन सभी उपक्रमों ला प्रोत्साहित करनो अना इनला आपलो सहयोग देनो,येव भी आमरो प्रत्येक स्वजन को कर्तव्य से. यदि सभी स्वजन आप-आपली जिम्मेदारी को निर्वहन करेती त् निश्चित रुप लक पोवार समाज को उन्नति की या सुखद लहर पूर्ण उत्साह को साथ आपलो मंज़िल की दिशा मा तेज गति लक आगे बढ़े व गंतव्य स्थान पर पहुंचे.
– इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले
सामूहिक चेतना व समग्र क्रांति अभियान, भारतवर्ष.
रवि.9/6/2024.
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