एक लोकप्रिय गीत का बोल- पोवारी बोली बोलू सू मी, बाई मी पोवार
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पोवारी गीत गायिका “पायल गौतम” को गीतों मा मातृभाषा पोवारी निखर के अत्यंत उज्जवल स्वरूप मा श्रोताओं ला आयकन मिल् से. पायल की गायन कला मा मातृभाषा पोवारी की समस्त आलोचनाओं ला निरस्त करन की अद्भुत क्षमता से. उनकी वाणी लक उधृत पोवारी भाषा अत्यंत मधुर, मीठी व मनोहारी प्रतीत होसे. पायल का पोवारी गीत आयकनो को पश्चात पोवारी भाषा को प्रति गौरव की अनुभूति होसे.पायल द्वारा प्रस्तुत सभी गीतों मा पोवारी भाषा निखर के असो मनोहारी स्वरूप मा सामने आव् से कि कोनी भी पोवारी भाषा ला कमजोर भाषा निरुपित करन की हिम्मत करनो असंभव से. पायल गौतम को गायन कला की महत्वपूर्ण विशेषता निम्नलिखित सेती –
१. पोवारी भाषा को माधुर्य वातावरण मा घोल देसे. पोवारी भाषा को सौंदर्य वातावरण मा बिखेर देसे.
२. पोवारी भाषा की श्रेष्ठता सहज सिद्ध कर देसे .पोवारी भाषा या अमृतमय से, येकी साक्षात अनुभूति कराय देसे.
३. पोवारी भाषा ला नाव ठेवनेवालों ला गलत साबित कर देसे.
४. पोवारी भाषा को संबंध मा सारी गलतफहमियां धराशाई कर देसे.
५.पोवारी भाषा को प्रति आत्मीयता अना स्वाभिमान एक साथ जागृत कर देसे.
६. पोवारी भाषा को विकास की संभावना को बारा मा आश्वस्त कर देसे.
७.पोवारी भाषा को विकास साती प्रयत्नशील महानुभावों को मन मा नवी आशा, नवी उमंग अना नवो आत्मविश्वास को संचार कर देसे.
८.पोवारी भाषा को विकास संबंधी प्रयासों ला अतुल्य बल देसे.
९. पोवारी भाषा संबंधी बह रही उलटी हवा को रुख बदल देसे. प्रतिकूल हवा भी अनुकूल बन जासे.
१०. पोवारी भाषा को माधुर्य को रसपान करायके मातृभाषा पोवारी की प्रशंसा , स्तुति ,वाहवाही करन प्रत्येक व्यक्ति ला अनुकूल कर लेसे, बाध्य कर देसे.
सारांश – पोवारी भाषा को संरक्षण – संवर्धन मा पायल को योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण से.
पायल की गायन कला संपूर्ण पोवार समाज साती गौरवास्पद से. उनको गायन मा मातृभाषा पोवारी को ऐतिहासिक नाव को सदैव मूल स्वरूप मा उच्चारण होसे.अत: मातृभाषा पोवारी की मूल पहचान को संरक्षण करन को अत्यंत मौलिक कार्य भी पायल की गायन कला को माध्यम लक संपन्न होय रही से.पायल की गायन कला खूब विकसित व प्रसिद्ध होवो! तसोच उनकी मधुर वाणी द्वारा मातृभाषा पोवारी को ऐतिहासिक नाव को साथ खूब प्रचार प्रसार होओ! याच ईश्वर चरणों मा विनम्रतापूर्वक प्रार्थना से.
– इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले
पोवारी भाषाविश्व नवी क्रांति अभियान, भारतवर्ष.
सोम १/७/२०२४.
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