आमगांव-देवरी – 66 विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस की ओर से अनेक दिग्गजों की दावेदारी
जिला प्रतिनिधी /माइकल मेश्राम
सालेकसा : राज्य में होने जा रहे राज्य विधानसभा चुनाव 2024 को लेकर पूरे महाराष्ट्र प्रदेश के साथ ही पूर्वी विदर्भ में मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ राज्य की सीमा से सटे आमगांव-देवरी विधानसभा में भरी बरसात में राजनीतिक माहौल गर्मा गया है। लोकसभा चुनाव में मिली अप्रत्याशित सफलता के बाद अब आमगांव-देवरी- 66 अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित इस सीट पर अब वर्तमान विधायक सहषराम कोरोटे के अलावा अनेक दिग्गजों ने ताल ठोक कर समाज के हर तबके में जाकर स्वयं को जनता के हितैशी बताकर आज तक जो नहीं हुआ वह करने का दावा कर अपने-अपने लिए समर्थन जुटाने का प्रयास कर रहे हैं।
जिन दावेदारों के नाम सामने आ रहे हैं उनमें वर्तमान विधायक सहषराम कोरोटे के अलावा गोंदिया जि.प. में उप.मुख्य कार्यपालन अधिकारी रहते हुए स्वेच्छानिवृत्ती लेकर राजनीति का दरवाजा खटखटाने वाले राजकुमार पूराम का नाम सबसे आगे दिख रहा है, तो वही हाल ही में सांसद निर्वाचित हुए डॉ. किरसान के चिरंजीव दुष्यंत किरसान के लिए भी जोर आजमाइश शुरू है। तो वहीं सांसद किरसान के बहनोई सेवानिवृत्त खंड शिक्षा अधिकारी वाय.सी. भोयर भी किस्मत आजमाने को लगे हैं। इनके अलावा पिछले 2009 से खुद को विधायक समझ रहे पूर्व सांसद मारोतराव कोवसे के प्रतिनिधि रहे मोतीलाल पिहीदे भी धीरे से सेंध लगाने की जुगाड़ में दिख रहे हैं। तो वहीं पूर्व विधायक स्व. रामरतन बापू राऊत के चिरंजीव सावंत बापू राऊत ने भी अपने पिता का उत्तराधिकारी होने की बात कह कर सहानुभूति जुटना शुरू कर दिया है। सालेकसा तालुका तहत पिपरिया निवासी वासुदेव घरत भी खुद को समाज सेवक बताते हुए टिकट की जुगाड़ में लगे हुए हैं। तो पूर्व सभापति हीरालाल फाफनवाड़े भी इसमें कोई कम नहीं है। वह भी हर हाल में टिकट पाने का दावा कर रहे हैं। सड़क अर्जुनी तहसील के ग्राम कोकना निवासी तथा शासकीय सेवा से सेवानिवृत्ति लेकर राजनीति के दंगल में कूद चुके हलबा/हलबी कर्मचारी सेवा महासंघ के जिला अध्यक्ष यशवंत मलये ने तो यदि कांग्रेस की ओर से उन्हें टिकट नहीं मिली तो वे बतौर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़कर चुनाव जीतने का दवा हाल ही में सालेकसा में आयोजित पत्रकार परिषद में कर दिया है।
कांग्रेस के वर्तमान विधायक सहषराम कोरोटे की राजनीतिक गलियारे में हवा खराब है। विगत 5 वर्षों में उनेक द्वारा जनता तथा कार्यकर्ताओं को छलने के अलावा दूसरा कोई काम नहीं किए जाने की बात कही जा रही है वही कमीशन खोरी में उनका नाम सबसे आगे होने की बात कही जाती है। कुछ वर्ष पहले हुए धान घोटाले को दबाने में उनका अग्रणीय स्थान होने की खबर है। तो वही नए धान खरीदी केंद्रों की मंजूरी लाकर देने हेतु अनेकों से छल कपट करने की जोरदार चर्चा है। तो वही विधानसभा क्षेत्र में पार्टी संगठन को अपने इशारों पर पिछले दिनों चलाए जाने की बात भी उभर कर सामने आ रही है। जनमानस में चर्चा ये भी है कि वर्तमान सांसद डॉ.नामदेव किरसान को जब गोंदिया जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष पद का दायित्व दिया गया था, तब उन्होंने डॉ. किरसान को अपने निर्वाचन क्षेत्र आमगांव- देवरी में पैर तक नहीं रखने दिया और अपने निर्वाचन क्षेत्र हेतु दिल्ली जाकर अपने आकाओं से मिलकर वर्तमान में भाजपा जिला अध्यक्ष पद पर विराजमान पूर्व के कांग्रेसी रहे रत्नदीप दहिवले को कर्याध्यक्ष के रूप में नियुक्ति करवाया तथा सालेकसा स्थित गढ़माता सभागृह में रत्नदीप दहिवले का भव्य स्वागत करवाया तथा जि.प.चुनाव में आमगांव तालुका से घाटटेमनी जि.प. क्षेत्र से उन्हें उम्मीदवारी भी दिलवाई। बाद में उन दोनों में एक बात को लेकर विवाद हो गया जो सर्वव्याप्त है और रत्नदीप दहिवले ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया। तत्पश्चात कांग्रेस में तिरोडा के पूर्व विधायक दिलीप बंसोड़ को पार्टी में प्रवेश देकर जिला अध्यक्ष का दायित्व दिया तब भी दिलीप बंसोड़ के साथ सहषराम कोरोटे ने वैसा ही व्यवहार करने का प्रयास किया जैसा सांसद किरसान के साथ किया था। लेकिन दिलीप बंसोड एक अनुभवी व कद्दावर नेता होने से सहषराम कोरोटे की दाल उन्होंने गलने नहीं दी। चर्चा है , कि जब लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी चयन के दरमियान सभी गडचिरोली चिमूर लोकसभा क्षेत्र तहत आने वाले तहसील अध्यक्ष, जिला अध्यक्ष जी. प सदस्य, पं.स सदस्य, पं.स सभापति तथा विधायकों से उनकी सहमति मांगी गई तब सहषराम कोरोटे ने डॉक्टर नामदेव उसेंडी हेतु अपनी सहमति दर्शायी थी। डॉ. नामदेव उसेंडी अब टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर भाजपा में शामिल हो गए।
राजनीतिक गलियारे में चर्चा जोरों पर है कि जिन सामाजिक संगठनों ने उन्हें विधायक बनाने के लिए अपने खून का पानी कर दिया। विधायक बनने के बाद कोरोटे ने उन सभी को सिरे से खारिज कर दिया। और इसीलिए वे जिस समाज में आते हैं वहीं से ज्यादा विरोध आ रहा है। और हाल ही में सालेकसा में आयोजित उनके ही समाज संगठनों के बैठक में “सहषराम जी तुम करो आराम जी ” के स्वर गूंजने की खबर सूत्रों से प्राप्त हुई है।
चर्चा यह भी है कि सहषराम कोरोटे का विरोध चाहे जितना भी हो लेकिन वे पैसों के दम पर टिकट ला ही लेंगे। जैसा कि पिछले 2019 में पैसों के दम पर स्व. रामरतन बापू राऊत की टिकट काटकर स्वयं की टिकट लाने में उन्हें सफलता मिली और सभी ने उन्हें समर्थन देकर विधायक भी बना दिया। तब उनसे जनता, समाज संगठनों और कार्यकर्ताओं की ओर से भारी अपेक्षाएं थीं कि वे जरूर क्षेत्र का और क्षेत्र की जनता का चेहरा मोहरा बदल देंगे। लेकिन इसके परिणाम विपरीत आए और जिन मुख्य कार्यकर्ताओं ने उनके लिए खुन का पानी कर दिया उन्हें ही सहसराम कोरोटे ने सबसे पहले सिरे से खारिज कर दिया और उन चमचों को अपने सीने से लटका कर रखा जो उन्हें मर्जी के अनुसार कमिशन देते रहे और उनके इशारों पर चलते रहे। विकास की बात तो उन्होंने कभी कि ही नहीं। अभी हाल ही में कार्यकाल समाप्ति के अंतिम दौर में आयोजित विधानसभा सत्र में सालेकसा आमगांव मार्ग पर स्थित नदी के पुल हेतु विधानसभा में उन्हें चिल्लाते देखा गया। शायद इसी बात को वह जैसे चुनकर आए वैसे ही उठाते तो पुल बन भी जाता तब उनकी सरकार थी। जब तक सरकार थी तब सिर्फ काम लाना और कमीशन पर बेचने का व्यापार किया। और सरकार गई तो सरकार नहीं होने का ठीकरा फोड़ते रहे और अब फिर विधानसभा में जाने का सपना सजाए रखने वाले वर्तमान विधायक को कांग्रेस पार्टी किस हद तक स्वीकार करती है यह तो समय ही बताएगा लेकिन विधायक रहते उन्होंने जो- जो किया उसे भले ही पार्टी शीर्ष नेतृत्व रुपयों के दम पर भूल जाए तो अलग बात है लेकिन आमगांव-देवरी विधानसभा क्षेत्र की जनता नहीं भूल पाएगी और उनके द्वारा प्रताड़ित कार्यकर्ताओं के तो अब घाव ताजे हो रहे हैं। और उन्हें इन्हीं दिनों का इंतजार था। अब आगे क्या होगा यह तो आगामी तीन से चार महीनों में पूरा खुलासा ही हो जाएगा।