।। वंदनीय गणितज्ञ लीलावती ।।

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(एक ऐतिहासिक मार्मिक कविता)

-इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले
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इतिहास के अनुसार लीलावती ईस्वी सन् बारहवीं सदी में हुई।‌उसके बाद सदियों तक उनके द्वारा खोजे गये नियम एवं लय में पहाड़े याद करने की पद्धति भारत में प्रचलित थी। हम स्वयं अपने बचपन में लीलावती गणित पढ़े है। इसलिए भारत की आज़ादी के पश्चात भी कुछ वर्षों तक गणितज्ञ लीलावती का नाम शिक्षा जगत में सबको सुपरिचित था। वर्तमान पीढ़ी को अब शायद गणितज्ञ लीलावती का नाम ज्ञात नहीं है।ऐसी स्थिति में महर्षि भास्कराचार्य एवं गणितज्ञ लीलावती के प्रति कृतज्ञता के भाव से लिखी गई हमारी एक कविता पढ़िए, जो निम्नलिखित हैं –

भास्कराचार्य को
अगर मैं एक वृक्ष कहूं।
तो लीलावती उस वृक्ष की
एक अकेली नाजुक डाली थी।।१।।

कन्या थी महर्षि भास्कराचार्य की
लावण्यवती और बुद्धिमान थी लीलावती।
भास्कराचार्य थे विख्यात गणितज्ञ
पढ़ने लिखने में होशियार थी लीलावती।।२।।

भास्कराचार्य की आशा का
एकमात्र केंद्रबिंदु थीं कन्या लीलावती।
बचपन से ही पढ़ाई लिखाई में
सबका मन हर लेती थी लीलावती।।३।।

विश्वास था भास्कराचार्य को
कि अपना नाम रोशन करेंगी लीलावती।
माता-पिता के लाड़ प्यार में
चंद्रमा की कलाओं जैसी बढ़ी लीलावती।।४।।

भास्कराचार्य की खुशियों का
एकमात्र मौलिक स्त्रोत थी लीलावती।
बचपन और किशोरावस्था बिती
युवावस्था की दहलीज पर पहुची लीलावती।।५।।

योग्य वर मिल जाते ही
सोलह श्रृंगार करती है कन्या लीलावती।
विवाह संपन्न होते ही
गृहस्थाश्रमी बन जाती है कन्या लीलावती।।६।।

विधाता के अदृश्य विधान को
न जानते थे पिता न जानती थी लीलावती।
विवाह के कुछ ही दिनों के पश्चात
पति के निधन से टूट जाती हैं लीलावती।।७।।

प्रिय पति की पावन यादों में
दिन रात दारुण विलाप करती है लीलावती।
अन्न जल को त्यागकर वह
रो -रो कर नित आंसू बहाती हैं लीलावती।।८।।

पिता और ससुर के समझाने पर
पिता के साथ मायके आ जाती है लीलावती।
व्यक्तित्व को व्यक्त करना ही
जीवन लक्ष्य बना लेती है कन्या लीलावती।।९।।

गणित प्रिय विषय था उसका
गणित की पहेलियों में रम जाती है लीलावती।
गणित के नए नए नियम
खोज करते जाती है प्रिय कन्या लीलावती।।१०।।

जीवन में सही दिशा और लक्ष्य को
अपनाकर नित्य आगे बढ़ जाती है लीलावती।
कालचक्र के अलौकिक प्रवाह में
वैधव्य के दुख को सह जाती है लीलावती।।११।।

भास्कराचार्य, सिद्धांत शिरोमणि के
प्रथम खंड को शीर्षक दे जाते हैं लीलावती।
अनुकरणीय आदर्श है इस पिता का
अमर कर जाते है कन्या का नाम लीलावती।।१२।।

एक अनोखा आदर्श संसार में
अपनी लगन से प्रस्थापित कर जाती हैं लीलावती।
एक महान गणितज्ञ के रुप में
राष्ट्र में आज भी याद की जाती है लीलावती।१३।।

हम भी अपने -अपने बचपन की
पाठशाला में पढ़ें थे वो गणित था लीलावती।
लीलावती गणित इस नाम ने
हमारी पीढ़ी की परम् वंदनीय हैं लीलावती।।१४।।

– ओ सी पटले
शुक्र.२६/७/२०२४.

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