गणितज्ञ भास्कराचार्य की प्रिय कन्या लीलावती विवाह के पश्चात विधवा हो गई। दुःख से व्यथित होकर मरनासन्न अवस्था को प्राप्त हुई। ऐसी अवस्था में पिता ने बेटी को पीहर में ले आये और उसे जीवन का लक्ष्य समझाया तथा जीने की राह दिखाई। इससे लीलावती के जीवन में एक नया मोड़ आता है,जो उसके जीवन को सार्थक कर देता है। इसी भाव को संजोए हुई हमारी एक कविता सुनियेगा –
सुनिए! कहानी करता हूं मैं कथन ।
सुख-दुख है और सांत्वना के दर्शन।
जीवन में उज्ज्वल सफलता के लिए,
प्रेरक बिंदु है यहां संयम और लगन।।१।।
लीलावती के पिता भास्कराचार्य
भारतवर्ष के गणितज्ञ थें महान्।
उन्हें कन्या लीलावती के रूप में,
बड़े भाग्य से थी एकमात्र संतान।।२।।
विद्वान ब्राह्मण कुल खानदान में
कन्या लीलावती का हुआ था जनम।
संस्कारों में पली बड़े लाड़ प्यार में,
बचपन से ही पढ़ाई में थी विलक्षण।।३।।
लावण्यवती थी कन्या लीलावती
खेल- कुद में बिता उसका बचपन।
घर का वातावरण था ज्ञान ध्यान का
किया उसने शास्त्रों का अध्ययन।।४।।
बचपन बित गया हवा की गति से
देखते ही देखते आया चंचल यौवन।
पिता ने सौंदर्यवती कन्या के लिए,
खोजके किया विवाह का आयोजन।।५।।
सुंदर कन्या लीलावती का विवाह
पिता ने ठाट-बाट से किया संपन्न।
विधि का विधान न जाना किसी ने
लीलावती के पति का हो गया निधन।।६।।
पति निधन से दुखी कन्या लीलावती
नित्य रो -रो कर हो गयी मरनासन्न ।
पिता ने सुनकर कन्या का समाचार
उसे प्यार से ले आये अपने घर वतन।।७।।
पिता द्वारा लाड़ प्यार से समझाने से
लीलावती को लगी गणित में लगन।
भक्त जैसा भगवान् में रम जाता हैं
वैसी लीलावती हुई गणित में मगन।।८।।
गणित की पहेलियों में जब मन लगा
किया गणित के नये सूत्रों का संशोधन।
गणितज्ञ के रुप में कन्या लीलावती का
नाम संपूर्ण संसार में हो गया खूब रोशन।।९।।
लीलावती का जीवन वैधव्य से था दुखमय
अच्छी लगन से ही हुआ वैधव्य का दुख हरन।
प्रेरक हैं लीलावती का जीवन कन्याओं के लिए
प्रेरक है सबके लिए लीलावती की लगन।।१०।।
धन्य हैं पिता भास्कराचार्य का मार्गदर्शन।
और धन्य है कन्या लीलावती का परिश्रम।
लगन से ही दिव्य यश की होती हैं प्राप्ति
इसकी साक्ष देता है लीलावती का उदाहरण।।११।।
इतिहास में सदा अमर रहें लीलावती का नाम।
इसी शुभकामना के साथ है ये श्रद्धासुमन।।१२।।
-ओ सी पटले
रवि.२८/७/२०२४.

