इतिहास के पन्नों में भारत की महानता के दर्शन होते हैं…! – इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

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भारत माता हमारे लिए स्वर्ग से भी महान् है।
हमें गर्व हैं कि हम यहां उपजी हुई सनातन हिन्दू संस्कृति के उपासक हैं। हमें गर्व हैं कि जिस संस्कृति ने विश्व की धरा पर “सर्वे भवन्तु सुखिन:।
सर्वे संतु निरामया।। ” तथा “वसुधैव कुटुम्बकम” का शंखनाद किया, उसके हम पथिक हैं।
सनातन हिन्दू धर्म एवं संस्कृति की महानता के कारण ही भारतवर्ष में रामायण और श्रीमद्भगवद्गीता जैसे अलौकिक ग्रंथों की रचना संभव हुई और यहां राम, कृष्ण, महावीर, बुद्ध, मान्धाता, विक्रमादित्य, गुरु गोविंद सिंह, महाराना प्रताप, छत्रपति शिवाजी , झांसी की रानी, रानी दुर्गावती, महारानी पद्मिनी, पन्नाधाय, और गार्गी, मैत्रेई, घोषा,अपाला, अरुंधति, गणितज्ञ लीलावती, महारानी लीलावती, आदि चरित्र इस धरती पर हुए हैं तथा इन महान चरित्रों से हमारे देश का इतिहास भरा पड़ा है। भारत के इतिहास की समृद्धि देखकर हम आत्म विभोर हो जाते है और मन में अनायास ही यह भाव प्रकट हो जाते हैं कि हे ईश्वर! हे परम् पिता परमेश्वर!! आप हमें स्वर्ग मत देना, लेकिन पुण्यभूमि भारत में बार बार जन्म अवश्य देना, जिससे हम आपके,इस भूमि के इतिहास के और यहां हुई समस्त विभुतियों के गुणगान करके स्वयं के व्यक्तित्व का परिष्कार एवं जीवन का कल्याण कर पाएं।
महान् जीवन चरित्रों का अध्ययन हमारे जीवन का एक अंग हैं। वर्तमान में हमारे अध्ययन का विषय है महान गणितज्ञ लीलावती! लीलावती को पढ़ते हुए जो भाव हमारे मन में संचारित हो जाते है, उन मनोभावों को चित्रित करती हुई एक कविता सुनियेगा –

इतिहास के पन्नों में…!
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इतिहास के पन्नों में
जब मैं खो जाता हूं।
लीलावती जैसे मोती
उसमें मैं पा जाता हूं।।१।।

उन मोती को पढ़कर
मन वहां हार जाता हूं।
उनके जीवन को पढ़के
आत्म विभोर हो जाता हूं।।२।।

जितनी प्रेरणा हो सके
उनके जीवन से लेता हूं।
रिता मन अपना मैं
उल्लास से भर लेता हूं।।३।।

इन मोतियों को मैं फिर
जन -जन को बतलाता हूं।
कुछ नई प्रेरणा समाज में
जगाने की कोशिश करता हूं।।४।।

भारत की माटी की
उर्वरता पर सोचता हूं।
इस भरत भूमि के आगे
नतमस्तक हो जाता हूं।।५।।

धन्य हैं देश की माटी
जिसमें मैं खो जाता हूं।
नर रत्नों की ऐसी खान
अन्य कहीं नहीं पाता हूं।।६।।

-ओ सी पटले
सोम.२९/७/२०२४.

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