भारत में प्राचीन काल से ही कन्या शिक्षा प्रचलित थी । इस कारण प्राचीन भारत में गार्गी, मैत्रेयी, घोषा, अपाला, लोपामुद्रा, अरुंधति , सिकता, रत्नावली,आदि विख्यात विदूषियां हुईं।राजा भोज के समय भी भारत में कन्या शिक्षा प्रचलित थी। इसके पश्चात बारहवीं सदी में भी लीलावती नामक महान गणितज्ञ हुई।परन्तु इस्लामी आक्रमण एवं कट्टरपंथी शासन के कारण कन्याओं की शिक्षा एवं पाठशालाओं का प्रचलन समाप्त हुआ।
काल प्रवाह में जन-मानस को गणित में गणितज्ञ लीलावती एवं कन्या शिक्षा में महारानी लीलावती के योगदान का विस्मरण हो रहा है। वास्तविकत: यह भारत की सांस्कृतिक क्षति है। अतः जन-मानस में जागृति विकसित कर इन दोनों महान विदुषियों की महिमा को पुनर्प्रतिष्ठित के उद्देश्य से इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले,इनके द्वारा” भारतीय इतिहास की दो महान लीलावती ” ग्रंथ का सृजन किया गया है।
इस ग्रंथ की प्रथम विशेषता है कि इसमें दो विभाग है। प्रथम विभाग, महान “गणितज्ञ लीलावती” को समर्पित हैं तथा इसका माध्यम हिंदी (Hindi )है। द्वितीय विभाग, “महारानी लीलावती” को समर्पित है तथा इसका माध्यम पोवारी (Powari ) है। इस ग्रंथ की दूसरी महत्वपूर्ण विशेषता है कि इसमें पाठकों को दो विदुषी लीलावती के जीवन को एकसाथ जानने का अवसर उपलब्ध है।