(पोवारी भाषा पुनरुत्थान को संघर्षमय इतिहास सहित)
१.पोवार समाज की बसाहट ———————–
पोवार समाज ईस्वी सन् १७०० को आसपास मालवा लक स्थानांतरित भयेव व वैनगंगा अंचल को स्थाई निवासी बन गयेव. पोवार समाज ला वैनगंगा अंचल मा आवन लगभग ३२५ साल भया सेत. एक जनश्रुति को अनुसार ज्ञात होसे कि येव समाज जब् वैनगंगा अंचल मा आयेव तब् समाज की जनसंख्या लगभग ४००० होती. अज येन् समाज की जनसंख्या लगभग १५ लाख से. पोवार समाज की घनी आबादी महाराष्ट्र को भंडारा, व गोंदिया अना मध्यप्रदेश को बालाघाट व सिवनी जिला मा पायी जासे.
२.स्वतंत्र मातृभाषा की विरासत
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पोवार समाज की एक स्वतंत्र मातृभाषा से.
समाज की मातृभाषा पोवारी को नाव लक सुपरिचित से. समाज ला एक स्वतंत्र मातृभाषा विरासत मा मिली से या आमरो समाज साती गौरवास्पद बात से.
३. मातृभाषा पर अस्तित्व को संकट
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भारतवर्ष की आज़ादी को पश्चात पोवार समाज मा शिक्षा को प्रचार -प्रसार भयेव. सुशिक्षित व्यक्तियों राष्ट्रभाषा, प्रादेशिक भाषा व अंग्रेजी को प्रचलन बढ़ेव. तसोच पोवार समाज को संगठनों द्वारा मातृभाषा पोवारी ला ग्रामीण व हेंगली भाषा कहकर हिना वनों शुरू भयेव. येको कारण मातृभाषा पोवारी को सम्मुख अस्तित्व को संकट उपस्थित भयेव.
४.२०१८ मा भाषिक क्रांति को उदय
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मातृभाषा पोवारी की निंदा अना वोकी अधोगति प्रस्तुत लेखक ला असह्य होती. अतः वोन् पोवारी भाषा को संरक्षण – संवर्धन व उत्थान साती पोवारी भाषा विश्व नवी क्रांति अभियान, भारतवर्ष नामक एक अभियान प्रारंभ करीस व मातृभाषा पोवारी को युद्धस्तर पर प्रचार प्रसार प्रारंभ करीस.
असो पद्वति लक २०१८ मा पोवारी भाषिक क्रांति को उदय भयेव.भाषिक क्रांति को उदय को कालखंड मा लेखक ला संतोष पुंडकर( उपाध्यक्ष- भवभूति रिसर्च अकॅडमि, आमगांव), प्राचार्य डॉ प्रल्हाद राहांगडाले ( भवभूति महाविद्यालय, आमगांव),अना धनराज भगत (उपसंपादक -न्यूज प्रभात , डिजिटल नेटवर्क) इनन् पोवारी भाषिक क्रांति को विरोधियों सीन प्रखर संघर्ष करन की हिम्मत देईन.
५. भाषिक क्रांति अभियान को कार्य
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भाषिक क्रांति अभियान द्वारा डिजिटल माध्यम लक मातृभाषा पोवारी को जब् जोरदार प्रचार- प्रसार प्रारंभ भयेव तब् सबसे पहले युवाशक्ति ला मातृभाषा का कार्य व महत्व को महत्व अवगत करायेव गयेव, मातृभाषा को विकास का लाभ समझाया गया,येको साथ-साथ युवाशक्ति मा मातृभाषा को प्रति प्रेम, अस्मिता व स्वाभिमान जागृत करेव गयेव. तसोच युवाशक्ति ला उत्कृष्ट पोवारी साहित्य को सृजन करके प्रतिभा सिद्ध करन को आवाहन करेव गयेव.येको कारण युवाशक्ति की अस्मिता जाग उठी व आश्चर्यजनक गति लक युवाशक्ति जागृत भयी.
६. क्रांति को स्वरुप
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युवाशक्ति मा मातृभाषा को प्रेम, अस्मिता,स्वाभिमान जागृत होय जान को कारण व मातृभाषा को उत्थान को पथ दृष्टिपथ मा आय जान को कारण जिनकी साहित्य मा रुचि होती वय साहित्य सृजन मा जुट गया. समाज का कलाकार पोवारी गीत व पोवारी काॅमेडी कार्टून को माध्यम लक मातृभाषा को प्रचार- प्रसार मा जूट गया.येव सब सुखद परिवर्तन देखके “न्यूज प्रभात डिजिटल नेटवर्क” का प्रधान संपादक मान्यवर सुनिल तुरकर भी ईस्वी सन् २०२० मा स्वयं प्रेरणा लक पोवारी भाषा को उत्कर्ष मा योगदान देन आगे कदम बढ़ाईन.न्यूज प्रभात को योगदान को कारण क्रांति ला बल मिलेव. क्रांति वायु वेग लक व्यापक बन गयी .
७.क्रांति ला विरोध व सहयोग
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पोवारी भाषिक क्रांति को राष्ट्रीय क्षत्रिय पवार महासभा को काही कर्णधारों द्वारा प्रस्तुत लेखक को मनोबल तोड़न को क्रांति ला विफल करन को भरसक प्रयास करीन. लेकिन क्रांति को समर्थन मा एक को दूसरों करत असंख्य युवा सामने आया। येको कारण भाषिक क्रांति पू्र्ण आवेग लक लक्ष्य प्राप्ति की दिशा मा तेज गति लक आगे बढ़त गयी व कारवां बढ़त गयेव. अंततः अखिल भारतीय क्षत्रिय पोवार (पंवार) महासंघ की स्थापना भयी. येव महासंघ भाषिक क्रांति को रक्षा कवच साबित भयेव. महासंघ प्रणीत साप्ताहिक गोंदिया टाइम्स पोवार समाज दर्पण को भी यंदा २०२४ पासून प्रकाशन प्रारंभ भयी से. येको कारण पोवारी भाषिक क्रांति ला अधिक बल मिलेव.
८. इंटरनेट क्रांति को योगदान
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भारत मा ईस्वी सन् २०१० को दशक मा इंटरनेट क्रांति संपन्न भयी होती. पोवारी भाषिक क्रांति अभियान द्वारा आपलो उदय को समय पासून मातृभाषा पोवारी को उत्थान साती इंटरनेट क्रांति को भरपूर उपयोग करीस. क्रांति की सफलता मा डिजिटल संचार माध्यम को अतुल्य योगदान से.
९.विविध भाषी मंचों को प्रोत्साहन
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हिन्दी व मराठी भाषिक डिजिटल मंचों द्वारा पोवारी साहित्य को प्रचार – प्रसार मा महत्वपूर्ण भूमिका निभाई गयी। पोवारी साहित्यिकों ला भरपूर प्रोत्साहित करेव गयेव.
१०. विचारों को सशक्त अधिष्ठान
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प्रस्तुत लेखक न् भाषा संवर्धन संबंधी भरपूर साहित्य को अध्ययन करी होतीस. वोको मा ईश्वर प्रदत्त लेखन कौशल व काव्य कौशल भी रहेव लक वोन् भाषिक क्रांति की सफलता साती आपली पूर्ण शक्ति झोंककर अत्यंत प्रभावशाली ढंग लक कार्य करीस.भाषिक क्रांति ला लेखक को परिपक्व विचारों को सशक्त अधिष्ठान रहेव को कारण सब अवरोधों ला पार करके क्रांति आपलो लक्ष्य प्राप्त करनो मा आशातीत सफल भयी
मातृभाषा पोवारी की अमर गाथा
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होती आमरी प्रबल आकांक्षा
कि हो मातृभाषा को उत्थान।
येको साती करया प्रारंभ
पोवारी भाषिक क्रांति अभियान।।१।।
स्वदेश स्वधर्म स्वभाषा
ये तिन्हीं सेती स्वर्ग सुख को समान।
येव अवगत होतो आमला। भारतीय महापुरुषों को अनुभव सिद्ध ज्ञान।।२।।
आज़ादी को बाद मा
बढ़ेव समाज मा सुशिक्षित जनों को प्रमाण।
इनन् पोवारी भाषा ला
हेंगली भाषा संबोधित करके करीन बदनाम।।३।।
असहय भय गयेव
आमला मातृभाषा को राजरोस अपमान।
येको कारण आम्हीं
मातृभाषा को भविष्य को प्रति भया सावधान।।४।।
विविध ग्रंथों को द्वारा
भयेव कर्तव्य पथ को अनमोल ज्ञान।
ज्ञान को बल पर आम्हीं
ठान लेया करनों से मातृभाषा को उत्थान।।५।।
पोवारी संस्कृति ला से
मातृभाषा पोवारी को परंपरागत अधिष्ठान ।
मातृभाषा पोवारी को
अस्तित्व को कारण संस्कृति से प्राणवान।।६।।
मातृभाषा आमरी शान
मातृभाषा आमरों समाज की ऐतिहासिक पहचान।
मातृभाषा से स्वाभिमान
आमरों अंतर्बाह्य तन मन मा विचार से ठाम।।७।।
भाषिक क्रांति साती
शुरु करया जनजागृति अभियान।
जनजागृति मा कराया
युवाशक्ति ला कर्तव्य को भान।।८।।
देया आम्हीं सबला
मातृभाषा की महिमा को ज्ञान।
मांग्या आम्हीं युवाओं ला
भाषिक क्रांति मा उनको योगदान।।९।।
बोलों पोवारी लिखों पोवारी
उदघोष करके शुरु करया क्रांति अभियान।
नारा आमरो साबित भयेव
भाषिक क्रांति ला संजीवनी शक्ति को समान।।१०।।
नारा अपनाया प्रेरणादायक
सबला कर्तव्य समझावन को करीस काम।
उदघोष साबित भयेव
भाषिक क्रांति साती सिद्ध मंत्र को समान।।११।।
पोवारी को प्रेम जगाया
जगाया मातृभाषा को स्वाभिमान।
मातृभाषा नष्ट होन का
समझाया आम्हीं सबला दुष्परिणाम।।१२।।
मातृभाषा को लाभ को
देया आम्हीं सबला परिपूर्ण ज्ञान।
मातृभाषा ला निरुपित
करया, समाज की एकता को प्राण।।१३।।
निज मातृभाषा होसे
समाज की एकता को नैसर्गिक बंधन समान।
निज मातृभाषा से
समाज की एकता को एक सामाजिक आयाम।।१४।।
मातृभाषा पोवारी से
पोवार समाज की ऐतिहासिक पहचान।
वोको बिना समाज होये
बिन बासिंग को नवरा -नवरी समान।।१५।।
मातृभाषा मा होसे
सदियों पासून पूर्वजों द्वारा संपादित ज्ञान।
मातृभाषा होसे
समाज अना संस्कृति को दर्पण समान।।१६।।
लोकसाहित्य लक
प्राप्त होसे समाज को धर्म अना इतिहास को ज्ञान।
पोवारी साहित्य लक
प्राप्त होसे वर्ण ना संस्कृति-संस्कारों को ज्ञान।।१७।।
मातृभाषा को साहित्य
होसे इतिहास लेखन को मौलिक स्त्रोत मूल्यवान।
भाषा को साहित्य लक
समाज ला प्राप्त होसे नवो वैचारिक आयाम।।१८।।
मातृभाषा द्वारा होसे
एक पीढ़ी लक दूसरी ला संस्कृति देन को काम।
भाषा अगर नष्ट होये
नष्ट होये पोवारी संस्कृति को नामोनिशान।।१९।।
मातभाषा नष्ट होन का
युवाओं ला समझाया आम्हीं सभी दुष्परिणाम।
मातृभाषा नष्ट होंनो लक
संस्कृति पहले, मंग मिटे समाज को नामोनिशान।।२०।।
पहले समझाया आम्हीं
भाषा नष्ट होन का लहान मोठा सब दुष्परिणाम।
येको साथ देया आम्हीं
युवाओं ला मातृभाषा संवर्धन को सही ज्ञान।।२१।।
मातृभाषा को संवर्धन का
समझाया आम्हीं समस्त विधि- विधान।
येको कारण युवाओं ला क्रांति मा योगदान देनो भयेव आसान।।२२।।
समस्त युवाओं ला आम्हीं
प्रतिभा सिद्ध करन को करया आव्हान।
येन आव्हान न् करीस
युवाओं की अस्मिता जगावन को काम।।२३।।
हर दम युवाओं ला
संबोधित करके देत गया आम्हीं सब ज्ञान।
वोको कारण युवा भी
केंद्रीत करत गया क्रांति को सिद्धांतों पर ध्यान।।२४।।
पोवारी को मूल नाव को
पक्षधर से पोवारी भाषिक क्रांति अभियान।
येको कारण युवाशक्ति मा
बढ़ेव पोवारी भाषिक क्रांति को सम्मान।।२५।।
व्याकरण मुक्त लेखन
को,सिद्धांत न् क्रांति की राह करीस आसान।
केंद्रीत करीन सब न्
मातृभाषा पोवारी मा लिखन पर ध्यान।।२६।।
भाषा को आधुनिकीकरण
को, सिद्धांत न् भी आकर्षित करीस सबको ध्यान।
लेखन को नियमों मा
लवचिकता न् करीस भाषिक क्रांति ला गतिमान।।२७।।
युवाओं न् थाम लेईन
मातृभाषा को संवर्धन की कमान।
साहित्य निर्मिति करके
युवाशक्ति देन लगी प्रतिभा को प्रमाण।।२८।।
युवाशक्ति आमरी आशास्थान
सोच-विचार के निर्णय लेईस ठाम।
पूर्ण समर्पण भाव लक
साहित्य सृजन को कर रही से काम।।२९।।
ईस्वी सन् २०१८ होतो
सभी दृष्टि लक सर्वार्थ सिद्धि योग को समान।
विरोधक भया धराशाई
गूंजन लगेव चहुं दिशा मा क्रांति को गौरव गान।।३०।।
हिन्दी मराठी का मंच भी
पोवारी साहित्यिकों ला देईन प्रोत्साहन।
साहित्यिक पत्रिकाएं भी
पोवारी साहित्य को करन लगी प्रकाशन।।३१।।
पोवारी का अच्छा दिन आया
आयेव मातृभाषा पोवारी को सावन।
पोवारी साहित्य की आयी बाढ़
युवाशक्ति को भयेव वैचारिक उत्थान।।३२।।
पोवारी भाषिक क्रांति मा
इंटरनेट क्रांति को से मोठो योगदान।
मातृभाषा पोवारी ला
मिल रही से आता विराट पहचान।।३३।।
लक्ष्य से प्रमाण भाषा को
साहित्य समृद्ध होयेव पर होये व्याकरण निर्माण।
मातृभाषा पोवारी आमरी
भाषा को स्वर्णिम सिंहासन पर होये विराजमान।।३४।।
मातृभाषा को उत्कर्ष लक
समाज ला मिले प्रतिष्ठापूर्ण पहचान ।
भाषा आमरी देये जगला
समाज की प्रतिभा को ज्वलंत प्रमाण।।३५।।
पोवारी बोली ला भाषा को
दर्जा देवायव बिना लेनो नाहाय विश्राम ।
अंतर्मन मा भाव से जागेव
मातृभाषा आमला से माय माता समान।।३६।।
एक ना एक दिन आम्हीं
मातृभाषा ला देवावबी भाषा को सिंहासन।
जमानों भी एक दिन करें
आमरी मातृभाषा पोवारी को गौरव गान।।३७।।
मातृभाषा को उत्थान लक
होये पोवारी संस्कृति ना समाज को सही उत्थान।
मातृभाषा को अधिष्ठान पर
आम्हीं करबी समृद्धशाली समाज को नवनिर्माण।।३८।।
पोवारी को संवर्धन लक
समाज मा होये नवो साहित्यिक वर्ग निर्माण।
साहित्यिक वर्ग को कारण
समाज मा होये सदा ज्ञान को आदान-प्रदान।।३९।।
समाज को साथ उभो
निर्भय लेखक करें मातृभाषा की सेवा को काम।
युवाओं की लेखनी लक
मातृभाषा पोवारी को होये आता अद्भुत पुनरुत्थान।।४०।।
मातृभाषा को उत्कर्ष
पोवार समाज ला देवाये गौरवशाली पहचान।
उन्नत पोवारी भाषा
जगाये समाज मा आत्मविश्वास ना स्वाभिमान ।।४१।।
मातृभाषा पोवारी
मांग रही से सब सुशिक्षितों ला समय को दान।
एकलो को बोझ
होय जाये सब साती हलको मानो फूल समान।।४२।।
भगवान श्रीकृष्ण को
बोलचाल मा होतो मातृभाषा ब्रजभाषा को स्थान।
तसोच आमरों भी
पोवारों को जनजीवन मा होना पोवारी ला सम्मान।।४३।।
स्वयं को जीवन मा
मातृभाषा को प्रयोग से वोला वंदन समान ।
मातृभाषा पोवारी को
प्रयोग लक सहज संभव होये पोवारी को उत्थान।।४४।।
मातृभाषा पोवारी की
सेवा से अनमोल श्रेष्ठतम समाज सेवा को समान।
मातृभाषा पोवारी को
सांस्कृतिक मूल्य देसे मातृभाषा ला सर्वश्रेष्ठ स्थान।।४५।।
आमरो पावन लक्ष्य से
हर संभव प्रयास लक भाषा को सर्वांगीण उत्थान।
कंटकाकीर्ण से मार्ग
पूर्ण सामर्थ्य लगायके पार करबी सभी व्यवधान।।४६।।
पूरो गर्व से आमला
कि आमरी युवाशक्ति से साहित्य मा प्रतिभावान।
येको कारण आमला
सहज संभव लग रहीं से हस्तगत करनो आसमान।।४७।।
भारत की पावन माटी
आमरी मातृभाषा पोवारी को पावन उगम स्थान।
सनातनी संस्कृति मा
पलकर पाईसेस येन् मधुर मीठी होन को सम्मान।।४८।।
नाव मातृभाषा को
बदलन को ना चलन देबी कौनसो भी ग़लत काम।
मातृभाषा विरोधी
हर षड़यंत्र पर लगावबीन आम्हीं पूर्ण लगाम।।४९।।
जीवन भर आम्हीं
युद्धस्तर पर करबीन मातृभाषा संवर्धन को काम।
आमरों दृष्टिकोण मा
भाषा संवर्धन को महत्व से अस्तित्व की लड़ाई समान।।५०।।
देह मा जबवरी से प्राण
भाषिक क्रांति ला करत रहूं निरंतर गतिमान।
कम से कम निज आत्मा ला
मिलें सार्थक जीवन को अलौकिक समाधान।।५१।।
मनमंदिर मा रहों सदा
सबकों प्रति प्रेम सद्भाव आदर अना सम्मान।
परमपिता सीन से प्रार्थना
धर्म, राष्ट्र , समाज ना सृष्टि को होवो कल्याण।।५२।।
।। इति मातृभाषा पोवारी अमर गाथा समाप्त।।
– ओ सी पटले
सामूहिक चेतना व समग्र पोवारी क्रांति अभियान,भारतवर्ष.
शुक्र.२/८/२०२४.