♦️ भारत को प्रथम भाषा सर्वेक्षण भाषाविद अब्राहम ग्रियर्सन को नेतृत्व मा संपन्न भयेव. येन् सर्वेक्षण की ईस्वी सन् १९२७ को अहवाल ( Report ) मा पोवार समुदाय की मातृभाषा को पोवारी नाव अंकित से. येको पश्चात भारत मा संपन्न सभी जनगणना रिपोर्ट मा भी पोवारी नाव अंकित से.
♦️डॉ सु बा कुलकर्णी न् १९७४ मा पोवारी भाषा पर पीएचडी करीन व डॉ मंजू अवस्थी न १९९५ मा पोवारी भाषा पर डी लिट् करीन.
♦️पोवार समाज मा पोवारी नाव परम्परागत रुप लक प्रचलित से. पोवारी साहित्यिक व कलाकारों द्वारा क्रमशः साहित्य व कार्यक्रमों मा स्वाभिमान को साथ पोवारी नाव को प्रयोग करेव जासे.
♦️ वर्तमान समाज मा मातृभाषा पोवारी को उत्थान की मोहिम पूर्ण उमंग को साथ शुरू से. असो महत्वपूर्ण दौर मा युवाशक्ति ला मातृभाषा पोवारी को महत्व अवगत करावनो,येव येन् लेख को मर्यादित उद्देश्य से.
१. मातृभाषा पोवारी की भूमिका
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पोवार समाज मा मातृभाषा पोवारी की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण से. पोवार समाज को शामियाना मातृभाषा पोवारी को कारण शान लक उभो से. आपलो जेन् कार्यो को परिणामस्वरूप मातृभाषा पोवारी या पोवार समाज को आधारस्तम्भ कहलाव् से,वय महत्वपूर्ण कार्य निम्नलिखित सेत –
१-१. पोवारी भाषा:परस्पर संवाद को माध्यम
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पोवारी भाषा या पोवार समाज मा परस्पर संवाद को मुख्य माध्यम से. समाज को बोलचाल मा पोवारी भाषा प्रचलित से. येको कारण जसो भगवान श्रीकृष्ण को चरित्र मा मुरली अना शिवजी को चरित्र मा डमरु ला अभिन्न स्थान से, तसीच मातृभाषा पोवारी भी पोवार समाज की अभिन्न अंग से.
पोवार समाज को दैनंदिन जीवन मा पोवारी भाषा ला अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त रहेव लक मातृभाषा पोवारी, पोवार समाज को एकता की आधारस्तम्भ से.
१-२. पोवारी भाषा:संस्कृति की संवाहक
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मातृभाषा द्वारा संस्कृति ला जूनों पीढ़ी कर लक नवीं पीढ़ी कर हस्तांतरित करन को कार्य संपन्न होसे. पोवारी भाषा या पोवारी संस्कृति की संवाहक से.
समाज को अस्तित्व संस्कृति पर निर्भर रव्ह् से.येन् दृष्टिकोण लक पोवारी संस्कृति येव समाज को प्राणतत्व आय व संस्कृति ला जूनी पीढ़ी को हाथ लक नवीन पीढ़ी को हाथ मा हस्तांतरित करन को कार्य मातृभाषा पोवारी द्वारा संपादित होसे. येको कारण मातृभाषा पोवारी ला असाधारण महत्त्व को स्थान प्राप्त से . मातृभाषा पोवारी या पोवार समाज को आधारस्तम्भ से.
१-३.पोवारी भाषा:पोवार समाज की पहचान
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मातृभाषा पोवारी को कारण पोवार समाज ला एक विशेष जाति को रुप मा पहचान प्राप्त से. येको कारण भी मातृभाषा पोवारी या पोवार समाज की मुख्य आधारस्तम्भ से.
१-४.पोवारी भाषा:पोवारी चेतना को सशक्त माध्यम
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पोवार समाज को प्रत्येक व्यक्ति मा ” आम्हीं पोवार आजन” येव भाव जीवंत से. येन् भाव ला पोवारी चेतना (Pawari Consciousness) कसेती. समान भाषा को कारण पोवार समाज को प्रत्येक व्यक्ति मा आपलोपन को भाव विकसित होसे. अत: मातृभाषा पोवारी येव पोवारी चेतना को एक माध्यम से.
समान संस्कृति , समान जाति व समान इतिहास, आदि भी पोवारी चेतना का माध्यम आत. परंतु प्रस्तुत लेखक द्वारा संपन्न २०१८ की पोवारी भाषिक क्रांति को समय ” बोलों पोवारी। लिखों पोवारी।। ” येन् उदघोष को कारण आपलो हितों को प्रति उदासीन युवाशक्ति मातृभाषा पोवारी को संवर्धन साती खळबळाय के जागृत भयी. येको आधार पर लेखक की मान्यता से कि “पोवारी भाषा या पोवारी चेतना को केवल एक माध्यम नहीं, बल्कि सबदुन ज्यादा प्रभावी माध्यम से.”
२. समाज को महत्वपूर्ण आधारस्तम्भ
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पोवारी चेतना जागृत होनो लक सामाजिक एकता मजबूत होसे. अतः पोवारी चेतना व समाज की एकता ये दूही तत्व एकच सिक्का का दूय पहलू (two sides of the same coin) आत. मातृभाषा पोवारी या पोवारी चेतना की प्रभावशाली माध्यम (Major medium ) रव्हेव लक वा पोवार समाज की एकता व समाज को अस्तित्व को आधारस्तम्भ (base Pillar)भी से.
३.समाज की प्रगति को मानदंड
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समाज की प्रगति मोजन का शैक्षणिक , आर्थिक , सांस्कृतिक स्थिति आदि विविध मानदंड सेती. इनको साथ मातृभाषा की उन्नति येव भी एक महत्वपूर्ण मानदंड से. भारत की आज़ादी को लगभग ७० साल वरी येन् सच्चाई ला उजागर करन को कार्य समाज को कर्णधारों द्वारा संपन्न नहीं भयेव. लेकिन आता आमला येन् मानदंड पर भी समाज ला प्रगत देखनो से.
४.मातृभाषा को प्रति समाज को असीम प्रेम
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पोवारी भाषा या परस्पर संवाद को माध्यम, संस्कृति की संवाहक, पोवार समाज की पहचान व समाज को आधारस्तम्भ से . येको कारण भाषा अना वोको नाव को प्रति समाज को मन मा असीम प्रेम व लगाव से .
आपली मातृभाषा अना वोको नाव को प्रति युवाशक्ति ला केतरो लगाव से येको प्रमाण (evidence) देन साती यहां एक ज्वलंत उदाहरण प्रस्तुत करनो उपयुक्त व प्रासंगिक साबित होये.येव उदाहरण निम्नलिखित से –
राष्ट्रीय क्षत्रिय पंवार महासभा नामक संगठन द्वारा १९८२ पासून मातृभाषा पोवारी (Powari ) को परंपरागत नाव ला मिटावन को उद्देश्य लक वोको स्थान पर पवारी(Pawari )येव गलत नाव प्रतिस्थापित करन को षड़यंत्र शुरु से. लेकिन २०१८ की भाषिक क्रांति को कारण ज्या जनजागृति विकसित करेव गयी,वोको कारण पोवार समाज मा आता एखाद अपवाद सोड़के सब साहित्यिक, कलाकार व सामान्य लोग स्वाभिमान को साथ आपली मातृभाषा साती पोवारी येन् ऐतिहासिक नाव को प्रयोग कर रहया सेती. येव ज्वलंत उदाहरण समाज मा व्याप्त मातृभाषा पोवारी अना वोको ऐतिहासिक नाव को प्रति प्रेम,लगाव, अस्मिता व स्वाभिमान को ठोस प्रमाण (strong evidence)से.
५.निष्कर्ष व सुझाव
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उपरोक्त विवेचन को आधार पर प्रमुख निष्कर्ष व सुझाव निम्नलिखित सेती –
५-१. पोवार समाज मा आम्हीं पोवार आजन,असो एकता को भाव उत्पन्न करन की असीम शक्ति मातृभाषा पोवारी मा से.
५-२. पोवारी संस्कृति को संरक्षण व पोवार समाज की स्वतंत्र पहचान व अस्तित्व साती मातृभाषा पोवारी को संरक्षण, संवर्धन व उन्नयन करनो नितांत आवश्यक से.
५-३. कोनतो भी समाज की उन्नति मोजन को मातृभाषा की उन्नति येव भी एक महत्वपूर्ण मानदंड से. अतः पोवार समाज को सर्वांगीण विकास को लक्ष्य साध्य करनसाती मातृभाषा पोवारी ला उन्नत करके वोला भाषा को दर्जा देवावनो परम् आवश्यक से.
५-४.मातृभाषा पोवारी या पोवारी चेतना ,पोवारी एकता व समाज को अस्तित्व को मुख्य आधारस्तम्भ आय. पोवार समाज को शामियाना मातृभाषा पोवारी पर टिकेव से. मातृभाषा नष्ट होयेव लक येव शामियाना धराशाई होय जाये. या वास्तविकता ध्यान मा ठेयके पोवार समाज की एकता, संगठन व अस्तित्व साती मातृभाषा पोवारी को संरक्षण, संवर्धन व उन्नयन करनो अत्यंत आवश्यक से.
५-५.राष्ट्रीय क्षत्रिय पंवार महासभा द्वारा १९८२ पासून मातृभाषा पोवारी ला नष्ट करन साती वोको मूल नाव बदलके वोको स्थान पर पवारी येव गलत नाव प्रतिस्थापित करन को षड़यंत्र शुरु से. लेकिन पोवार समुदाय मा २०१८ पासून क्रियाशील सामूहिक चेतना व समग्र क्रांति अभियान को कारण येव षड़यंत्र विफल भयेव. ५-६. पोवारी साहित्यिक, कलाकार, युवाशक्ति व पूर्ण समाज मा मातृभाषा पोवारी को प्रति अटूट प्रेम व सबमा मातृभाषा को ऐतिहासिक नाव को प्रति असीम श्रद्धा से. ईस्वी सन २०१८ पासून पोवारी साहित्यिक व कलाकार पोवारी नाव को प्रचार- प्रसार साती मोठो प्रमाण मा पूर्ण उमंग को साथ युद्धस्तर पर कार्य कर रहया सेत. आम्हीं मातृभाषा पोवारी ला आधारस्तम्भ मानकर अना वोको महत्व सदोदित आपलो दृष्टि समोर ठेयके मातृभाषा को संरक्षण, संवर्धन ,उत्कर्ष अना वोला भाषा को दर्जा देवावनसाती कटिबद्ध सेजन. मातृभाषा पोवारी को महत्व लक संपृक्त एक प्रेरणास्पद छंद निम्नलिखित से –
पोवारों को कंठों की झंकार से पोवारी।
पोवारो़ की वाणी को श्रृंगार से पोवारी।
पोवारी आय पोवारों को मन की बहार,
समाज को आधारस्तम्भ से भाषा पोवारी।।
– ओ सी पटले
सामूहिक चेतना व समग्र पोवारी क्रांति अभियान, भारतवर्ष.
गुरु.१५/८/२०२४.