अमर हो .! मातृभाषा पोवारी को… ♦️जरी को पदर ♦️

0
772


भारतीय संस्कृति मा मातृभाषा ला जन्मदात्री माय समान महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त से मानेव जासे .
मातृभाषा माय समान से या कहावत भी लोकप्रिय से.
परंतु मातृभाषा को पदर या संकल्पना अनेक व्यक्तियों साती नवीन से.
मातृभाषा को शब्द संग्रह, लिखित व अलिखित साहित्य, मातृभाषा मा मौखिक संवाद आदि विषयों को समावेश “मातृभाषा को पदर” मा होसे.
जरी चमकदार व कीमती रव्ह् से. जरी जड़ित पदर ला जरी को पदर कसेत. मातृभाषा पोवारी मा लखलखती तपन, महातनी बेरा, झुंझुरका, मासी अंधारो, अवसी, बन्हयार बेरा , आदि अनेक मूल्यवान शब्द सेती.येको कारण प्रस्तुत लेखक न् मातृभाषा पोवारी को पदर ला जरी को पदर,असो संबोधित करिसेस.
१.मातृभाषा को महत्व
——————–
भारतीय संस्कृति मा मातृभाषा ला माय को समान महत्वपूर्ण मानेव गयी से. कारण माय को आंचल मा बालक जसो सुरक्षित, समाधानी, आनंदित व प्रफुल्लित रव्ह् से तसोच समुदाय का सभी सदस्य आपली मातृभाषा को आंचल मा सुरक्षित, समाधानी, आनंदित व प्रफुल्लित रव्ह् सेत.
मातृभाषा को कारण समाज की एकता व संस्कृति भी सुरक्षित रव्ह् से. येको कारण मातृभाषा ला माय को दर्जा देयेव गयी से.
२. मातृभाषा को प्रति लेखक का मनोभाव
———————————
प्रस्तुत लेखक को मातृभाषा पोवारी को प्रति असीम प्रेम से. येको कारण वू २०१८ पासून पोवारी भाषा ला विकसित करन को उद्देश्य लक पोवारी भाषिक क्रांति को कार्य मा अविरत तत्पर से.
मातृभाषा को प्रति विशेष प्रेम को कारण लेखक जब् स्वजनों ला मातृभाषा पोवारी मा संवाद करता देख् से त् वोला अनुभूति होसे कि “ये सब स्वजन आत्मीयतापूर्ण वातावरण की अनुभूति कर रहया सेत व प्रसन्न सेती. येको कारण वू कल्पना कर् से कि ये सब स्वजन मातृभाषा पोवारी को जरी को पदर खाल्या एकत्रित भया सेत अना जसो लहान बालक ला माय को आंचल मा अद्वितीय सुख की प्राप्ति होसे,तसोच अद्भुत सुख की प्राप्ति एक स्थान पर एकत्रित व मातृभाषा मा चर्चा करनेवालो स्वजनों ला होय रही से.”
लेखक जब् आपलो सामने एकत्रित व मातृभाषा मा चर्चा करत दिसनेवालो समूह मा सम्मिलित होयके स्वयं समूह को हिस्सा बन जासे व मातृभाषा मा शुरू चर्चा मा रंग जासे तब् वोला भी ‌वोको वोरया मातृभाषा पोवारी को जरी को आंचल से अना वू येन् आंचल मा सुरक्षित व आत्म विभोर से असी अनुभूति होसे .
३. लेखक को उद्देश्य
——————
लेखक न् मातृभाषा को संबंध मा ‌‌आपलो येन् मनोभावों ला निबद्ध करके युवाशक्ति मा व्याप्त मातृभाषा को प्रेम व पोवारी भाषिक क्रांति मा नवप्राण संचारित करन को उद्देश्य लक एक भावपूर्ण कविता को सृजन करीसेस. या कविता निम्नलिखित से-
।। मातृभाषा को जरी को पदर।।
——————————–

पोवार समुदाय को स्वजनों ला
मातृभाषा मा बोलता देखूं सू ।
देख के उनला, होसे संवेदना
माय को आंचल मा बस्या सेती स्वजन।।१।।

मांडो मा सुहागिन महिलाओं ला
बिहया का गीत गावता देखूं सू।
देख के उनला, होसे अनुभूति
माय को आंचल मा बस्या सेती स्वजन।।२।।

एकत्र उपस्थित स्वजनों को संग मा
मातृभाषा मा बोलन लगूं सू ।
वोन् समय मा, होसे एहसास
मोरों पर भी से माय को जरी को पदर।।३।।

माय वानी मायारू मातृभाषा
दूही को पदर की छाया से समान।
जन्मदात्री माता हयात नाहाय
हयात से मातृभाषा को जरी को पदर।।४।।

पोवारी बोलूं सू जब् कोनी संग मा
माय की याद मा मी खोय जासू।
वोन् समय मा, करूं सू प्रार्थना
चिरायु हो मातृभाषा को जरी को पदर।।५।।

माय को जरी को पदर वानी
नाहाय कोनतोच सुख संसार मा।
माय माता समान से मातृभाषा
माया देसे मातृभाषा को जरी को पदर।।६।।
४. समाज मा साहित्यिक क्रांति
————————
मातृभाषा पोवारी साहित्य येव मातृभाषा
को पदर आय. भाषिक क्रांति की सफलता को कारण अनेक पोवारी साहित्यिकों को उदय भयेव अना विपुल प्रमाण मा अच्छों पोवारी साहित्य को सृजन व प्रकाशन प्रारंभ भयेव. पोवारी साहित्य को को येव विकास देखके स्वाभाविकत: मातृभाषा पोवारी को जरी को आंचल आता फड़क रही से, लहराय रही से असी अनुभूति होय रही से. मातृभाषा को उत्कर्ष को मनभावन चित्रण ” मातृभाषा को जरी को पदर फड़केव” येन् कविता मा प्रस्तुत करेव गयी से. या उत्साहवर्धक कविता निम्नलिखित से –
।।मातृभाषा को जरी को पदर फडकेव ।।
———————————

मातृभाषा को प्रति प्रेम जगाया।
मातृभाषा को स्वाभिमान जगाया।
जगाया सामूहिक भाषिक चेतना,
अना मातृभाषा को जरी को पदर फड़केव।।१।।

मातृभाषा को प्रति अस्मिता जगाया।
भाषा को संवर्धन की राह समझाया।
जगाया समाज मा प्रखर आत्मविश्वास,
अना मातृभाषा को जरी को पदर फड़केव।।२।।

भाषा बनावन की आकांक्षा जगाया।
संविधान की आठवीं सूची समझाया।
जगाया युवाशक्ति मा तीव्र इच्छाशक्ति,
अना मातृभाषा को जरी को पदर फड़केव।।३।।

मातृभाषा पोवारी को महत्व समझाया ‌।
पोवारी भाषा को गुणवैभव समझाया।
लाभ समझाया विकसित मातृभाषा का,
अना मातृभाषा को जरी को पदर फड़केव।।४।।

-इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले
सामूहिक चेतना व समग्र पोवारी क्रांति अभियान, भारतवर्ष.
मंग.२०/८/२०२४.

-इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले
सामूहिक चेतना व समग्र पोवारी क्रांति अभियान, भारतवर्ष.
मंग.२०/८/२०२४.

Previous articleगायत्री शक्तिपीठ आमगांव में चंद्रयान व्रत का समापन
Next articleमतदानाची टक्केवारी वाढीसाठी जनजागृती कार्यक्रम