पोवारी साहित्यिकों ला आकर्षक साहित्य सृजन साती आवाहन करती एक प्रेरक कविता
पोवारी साहित्यिक करेती
जब् अलंकार युक्त साहित्य सादर।
मातृभाषा पोवारी को
फड़कें रत्नजड़ित जरी को पदर।।१।।
कल्पनाओं की भरारी लक
होये जब् सुंदर साहित्य सादर।
मातृभाषा पोवारी को
फड़कें रत्नजड़ित जरी को पदर।।२।।
सुंदर सुंदर शब्दों लक
श्रृंगारित साहित्य होये जब् सादर।
मातृभाषा पोवारी को
फड़कें रत्नजड़ित जरी को पदर।।३।।
अनमोल ज्ञान संसार को
होये साहित्य मा जब् सादर।
मातृभाषा पोवारी को
फड़कें रत्नजड़ित जरी को पदर।।४।।
साहित्य की हर विधा मा
आकर्षक साहित्य होये जब् सादर।
मातृभाषा पोवारी को
फड़कें रत्नजड़ित जरी को पदर।।५।।
-इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले
गुरु २२/८/२०२४.
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