

♦️ मातृभाषा पोवारी समाज को संस्कृति की संवाहक से. संस्कृति जीवंत ठेवनसाती मातृभाषा पोवारी ला विकसित करनो परम् आवश्यक से.
♦️ मातृभाषा पोवारी,पोवार समाज की पहचान से. समाज मा एकता विकसित करके संगठित ठेवन को प्रभावी माध्यम से. येको कारण आम्हीं मातृभाषा को विकास साती अविरत प्रयत्नशील सेज्.
♦️ मातृभाषा विकसित होयेव लक पोवार समाज मा साहित्यिक व कलाकारों को एक नवो वर्ग अस्तित्व मा आये . येको कारण समाज ला वैचारिक वैचारिक वैभव व बुद्धिजीवी समाज को रुप मा एक विशेष पहचान व प्रतिष्ठा प्राप्त होयै.
१.प्रबुद्ध वर्ग का प्रयास
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पोवारी भाषिक क्रांति को कारण२०१८पासून पोवार समाज मा सामूहिक भाषिक चेतना उत्पन्न भयी अना समाज को प्रबुद्ध वर्ग न् मातृभाषा पोवारी को विकास का संगठित प्रयास शुरु करीस. वर्तमान मा पोवारी भाषा को विकास साती शिक्षक, इंजीनियर, कमिश्नर, उद्योजक, प्रगत किसान, महिला, पुरुष व युवाशक्ति द्वारा दृढ़ संकल्प को साथ व्यक्तिगत व सामूहिक असा दूही प्रकार का प्रभावशाली प्रयास शुरु सेत.
२. महासंघ की भूमिका
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भारत की आज़ादी को बाद पोवार समाज ला गलत दिशा देन को काम भयेव. येको कारण समाज व मातृभाषा को सम्मुख अस्तित्व को संकट उपस्थित भयेव. अतः लोक-मंगल की भावना लक ९ जून २०२० ला अखिल भारतीय क्षत्रिय पोवार ( पंवार) महास़घ नामक राष्ट्रीय संगठन अस्तित्व मा आयेव. येव राष्ट्रीय संगठन मातृभाषा पोवारी को ऐतिहासिक नाव को साथ विकास करनसाती प्रयत्नशील से
३.पोवारी भाषिक क्रांति की भूमिका
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पोवारी भाषिक क्रांति अभियान को उदय व कार्य या पोवार समुदाय व मातृभाषा पोवारी को इतिहास की एक अत्यंत उल्लेखनीय घटना आय. पोवारी भाषिक क्रांति द्वारा २०१८ पासून मातृभाषा ला जन्मदात्री माय समान श्रेष्ठ मानके वोको विकास साती उल्लेखनीय प्रयास निरंतर शुरू से.
भाषिक क्रांति अभियान द्वारा विगत ६ साल पासून युवाशक्ति मा सामूहिक भाषिक चेतना जागृत करन को कार्य प्रभावी रुप लक संपन्न होय रही से. येको करण वर्तमान मा सभी पोवारी साहित्यिकों को हृदय मा, मातृभाषा पोवारी जन्मदात्री माय को समान पूजनीय मानके ला विकसित करन को भाव जागृत से.
वर्तमान मा प्रस्तुत लेखक अना समस्त पोवारी साहित्यिक जेन् पवित्र भाव लक पोवारी साहित्य को सृजन साती युद्धस्तर पर प्रयास कर रहया सेत, वोन मनोभाव को शब्दचित्र एक कविता मा निबद्ध करेव गयी से.या बहुत प्यारी कविता निम्नलिखित से-
।। मातृभाषा पोवारी ला पातल पेहराऊ।।
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मातृभाषा को साहित्य, दिल खोल के लिखूं ।
पोवारी ला जरदारी, पदर को पातल पेहराऊ।।धृ।।
पोवारी याच आमरी, माई-प्रीत की भाषा ।
माय माता मानके, सदा वोको रुप लिखूं ।
दिल मा आसन देयके, वोको ठाट मा लिखूं ।
पोवारी ला जरदारी, पदर को पातल पेहराऊ ।।१।।
पोवारी को अनोखो, ठाट-बाट से संसार मा ।
लिखन को बेरा वोका, किंमति शब्दमोती बेचूं ।
शब्द मनभावन वोका, देख- परख कर लिखूं ।
पोवारी ला जरदारी, पदर को पातल पेहराऊ ।।२।।
अमराई को दृश्य लिखूं ,या बालपन की याद ।
महिमा वोकी लिखूं,या करु वोको गुणगान ।
वोको साती मन को चादर, बिछायके लिखूं ।
पोवारी ला जरदारी, पदर को पातल पेहराऊ ।।३।।
मातृभाषा ला, अंतर्मन मा बसायकर लिखूं ।
कल्पना विलास की, ताकत को बल पर लिखूं।
साहित्य वोको, प्रतिभा न्यौछावर करके लिखूं ।
पोवारी ला जरदारी, पदर को पातल पेहराऊ ।।४।।
४.उपसंहार
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वर्तमान समय मा पोवार समुदाय मा साहित्यिक क्रांति को एक सुखद दौर शुरु से. श्रीमद्भगवद्गीता को कर्मयोग को सिद्धांत को अनुसार कर्म को अनुसार फल की प्राप्ति होसे. येन् सिद्धांत पर आमरो दृढ़ विश्वास से. अतः निकट भविष्य मा नि:संदेह पोवारी भाषिक व साहित्यिक क्रांति का अनेक सुखद परिणाम दृष्टिपथ मा आयेती.
– ओ.सी.पटले
प्रणेता -पोवारी भाषा विश्व नवी क्रांति अभियान, भारतवर्ष.
बुध.२१/८/२०२४.


