राष्ट्र के नाम समर्पित कविता
हिन्दू हमारा सम्मान।
हिन्दू हमारी पहचान।
सनातन हिन्दू संस्कृति,
भारतवर्ष का प्राण।।१।।
हिन्दू प्रबल होने से।
प्रजातंत्र का होगा सम्मान।
हिन्दुत्व ही हैं हमारे,
भारतवर्ष की पहचान।।२।।
हिन्दू प्रबल होने से।
संविधान का होगा सम्मान।
हिन्दुत्व के बल पर,
भारतवर्ष रहेगा महान।।३।।
राष्ट्रविरोधी शक्तियों से।
बच पायेगा हमारा संविधान।
हिन्दू प्रबल होने से,
रह पायेगा संस्कृति का सम्मान।।४।।
हिन्दू धर्म ही हैं हमारे।
हिन्दुओं के सुरक्षा कवच समान।
हिन्दू कमजोर होने से,
भारत के पड़ रहें है संकट में प्राण।।५।।
संभालों हिन्दुओं तुम।
भारतवर्ष का वर्तमान।
धर्म और राष्ट्र का, मिटने न दो नामोनिशान।।६।।
धर्मांतरण का भारत में।
बढ़ रहा है तेज गति से प्रमाण।
जिहादी विचारधारा से,
संकट में पड़ रहें हैं राष्ट्र के प्राण।।७।।
धर्मनिरपेक्षता की आड़ में।
हिन्दू हितों को क्षति पहुंचाने का काम।
करते है जो उस राजनीति से,
बचा लों अब अपना राष्ट्र हिन्दुस्थान।।८।।
भारतीय भाषाओं के साहित्यिकों।
धर्म संस्कृति को दीजिए साहित्य में स्थान।
राष्ट्रधर्म का पालन करते हुए,
कीजिए श्रेष्ठतम भारतवर्ष का नवनिर्माण।।९।।
भारतीय साहित्यकारों।
तुम्हें भी हैं धर्म- संस्कृति के स्तंभ का सम्मान।
कर्तव्य निष्ठा का हो भाव सबमें,
मांग रहीं हैं भारत माता आपका योगदान।।१०।।
हिन्दी भाषा पर उर्दू का।
अतिक्रमण हैं सांस्कृतिक अतिक्रमण समान।
हिन्दी के विकास में,
भारतवर्ष की माटी का रखिए ध्यान सम्मान।।११।।
भारतवर्ष और हिंदी भाषा।
हैं हमें भारतवासी राष्ट्रवादियों को माता समान।
राष्ट्र और भाषा के उत्थान से,
बचेगी हमारी पहचान और होगा राष्ट्रोत्थान।।१२।।
-ओ सी पटले
बुध.४ सित,२०२४.