शिक्षण द्वारा अर्जित ज्ञान को उपयोजन मा ‌शिक्षण की सार्थकता से…! – इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

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♦️संसार मा विचारों को आधार पर मोठमोठी क्रांति संपन्न भयी सेत. विचारों को आधार पर समाज मा मोठमोठा परिवर्तन ‌भया सेत. येको कारण महापुरुषों द्वारा विचारों ला एक ‌शक्ति को रुप मा परिभाषित करेव‌ जासे.
♦️ प्रस्तुत लेखक न् २०१८ मा पोवार समाज मा भाषिक, सामाजिक ,सांस्कृतिक व वैचारिक क्रांति आनन को प्रयास प्रारम्भ करीस.समाज साक्षी से कि आश्चर्यजनक गति लक पोवार समाज मा न केवल भाषिक क्रांति बल्कि समग्र पोवारी क्रांति भी सफल भयी.
१. युवाओं की जिज्ञासा
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पोवार समाज का अनेक युवा मोला प्रश्न कर् सेत कि तुमला भाषा व समाज मा क्रांति आनन साती प्रेरणा कहां लक मिली?
२.मोरो उत्तर
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युवाओं को जिज्ञासा भरेव प्रश्नों पर मोरों उत्तर से कि मी राजनीति शास्त्र को छात्र होतो. स्नातक व स्नातकोत्तर शिक्षा मा मोला राष्ट्रीय स्तर की क्रांतियों व घटनाओं को अध्ययन करन को अवसर प्राप्त भयेव. अध्ययन को द्वारा मोरों मन मा ये विचार स्थाई बन गया कि जहां सामाजिक व्यवस्था की अत्यंत खराब स्थिति रव्ह् से वहां लोक-मंगलकारी प्रेरक विचारों को द्वारा क्रांति आनके सुधार करनों संभव होसे.
३.प्रेरक ऐतिहासिक घटनाएं
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भारत व विश्व इतिहास की जिन घटनाओं न् मोला प्रभावित करीन व दिशा देईन उनको संक्षिप्त परिचय निम्नलिखित से –
३-१. भारतीय इतिहास को संदर्भ
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भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन मा श्रीमद्भगवद्गीता को विचारों लक अनेक महापुरुषों व क्रांतिकारियों ला प्रेरणा मिली व स्वतंत्रता संग्राम मा सर्वस्व समर्पण को भाव लक त्याग व बलिदान करके भारतवर्ष की स्वतंत्रता को सपना साकार करीन.
बंकिमचंद्र चटर्जी द्वारा १८८२ मा प्रकशित आनंद मठ नामक बांग्ला उपन्यास को भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन व क्रांतिकारियों पर गहरो प्रभाव पड़ेव. यहां वर्णित अंग्रेजों को ज़ुल्मो ला बाचकर ‌भारत मा अनेकों व्यक्तियों मा ब्रिटिश सरकार को खिलाफ आंदोलन की प्रेरणा मिली. उपन्यास मा निहित विचारों को कारण भविष्य मा आज़ादी को आंदोलन अधिक तेज भयेव.
भारतीय इतिहास का उपर्युक्त उदाहरण
मोरों विचारों का प्रेरणास्रोत आत.
३-२. विश्व इतिहास को संदर्भ
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इतिहास साक्षी से कि फ्रेंच विचारक हाॅब्ज ‌लाॅक व रुसो को विचारों को कारण ईस्वी सन् १७८९ मा फ्रेंच राज्य क्रांति ‌संपन्न भयी.
साम्यवादी विचारक कार्ल मार्क्स को वर्ग संघर्ष को विचारों को कारण १९१७ मा रशिया मा साम्यवादी क्रांति सफल भयी होती.
उपरोक्त विचारकों का विचार व दूही क्रांति की पार्श्वभूमी मोला ज्ञात होती. मी साम्यवादी विचारधारा को समर्थक अजिबात नाहाव.लेकिन‌ ये दूही क्रांति मोरों विचारों की प्रेरणास्त्रोत अवश्य सेत.
३-३. द्वितीय महायुद्ध को एक प्रसंग
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द्वितीय महायुद्ध १९३९ मा प्रारंभ भयेव. येव महायुद्ध जर्मनी मा उदित हुकुम शाह‌ हिटलर व इटली को तानाशाह मुसोलिनी को खिलाफ होतो. एक पक्ष मा ब्रिटेन, फ्रांस आदि लोकशाहीवादी राष्ट्र होता व दूसरों पक्ष मा जर्मनी, इटली आदि ‌हुकुमशाहीवादी राष्ट्र होता. अनेक मोर्चा पर ब्रिटिश सेना ला पराजय को सामना करनो पड़ेव.
द्वितीय महायुद्ध प्रारंभ भयेव वोन् समय चैंबरलैन ब्रिटेन को प्रधानमंत्री होतो . ब्रिटिश प्रधानमंत्री चैंबरलैन न् हिटलर को प्रति वोला खुश ठेवन की अथवा तुष्टिकरण की नीति ( appeasement policy )अपनाई होतीस. या नीति भी द्वितीय महायुद्ध ला कारणीभूत होती. महायुद्ध को समय देश को नेतृत्व करन की क्षमता भी चैंबरलैन मा नोहती. येको कारण अनेक मोर्चा पर इंग्लैंड की सेना ला पराजय को सामना करनो पड़ेव. परिणामस्वरुप ब्रिटिश संसद न् प्रधानमन्त्री ‌चैंबरलैन ला स्तिफा मांगीस व चर्चिल को हाथ मा प्रधानमंत्री पद की बागडोर सोपीस.
‌‌ प्रधानमंत्री को पद धारण करताच चर्चिल न् राष्ट्र के नाम संबोधन को अंतर्गत रेडियो पर आपलो पहलोच भाषण मा राष्ट्र व विश्व ला संबोधित करके कहीस कि ” युद्ध मा आम्हीं ‌अनेक मोर्चा पर अनेक लड़ाईयों मा पराजित भया. लेकिन अंतिम युद्ध ‌ ब्रिटेन व मित्र राष्ट्र जितेती. कारण येव लोकशाही व हुकुमशाही को बीच से. ब्रिटेन को पक्ष लोकशाही, समता, स्वतंत्रता व बंधुत्व को रक्षण साती लड़ रही से. येव युद्ध अन्याय, अत्याचार व हुकुम शाही को खिलाफ लड़ेव जाय रहीं से.येको कारण येन् महायुद्ध मा अन्तिम विजय ब्रिटेन व वोको सहयोगी राष्ट्रों ला प्राप्त होये.
प्रधानमंत्री चर्चिल द्वारा ओजस्वी शब्दों मा न्यायसंगत विचार प्रस्तुत करेव को कारण न केवल ब्रिटेन, बल्कि मित्र राष्ट्रों को सैनिकों व नागरिकों ‌मा प्रचंड उत्साह, आत्मविश्वास व‌ जोश संचारित भयेव. शक्तिशाली राष्ट्र संयुक्त राज्य अमेरिका न् भी ब्रिटेन को पक्ष मा युद्ध मा पदार्पण करीस व युद्ध को चित्र बदल गयेव.इतिहास साक्षी से कि द्वितीय महायुद्ध मा मित्र राष्ट्रों की विजय भयी व येन् विजय मा प्रधानमंत्री चर्चिल को सबसे मोठो योगदान होतो.
द्वितीय महायुद्ध की या घटना व प्रधानमंत्री चर्चिल को येव भाषण मोरो साती यादगार सेत व प्रेरणास्त्रोत भी सेत. “अच्छा, न्यायसंगत विचार यदि आत्मविश्वास, दृढ़ता व उत्साहवर्धक शब्दों मा प्रस्तुत करेव लक जन-मानस आपलो पक्ष मा करनो संभव से.” या बात मी चर्चिल को भाषण लक सीखी सेव.
४. पोवार समाज मा क्रांति ला अनुकूल स्थिति
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‌ पोवार समाज मा २०१८ को पहले राष्ट्रीय क्षत्रिय पवार महासभा को अंधाधुंध कारोबार शुरू होतो. मातृभाषा पोवारी उपेक्षित होती. काही कर्णधारों द्वारा मातृभाषा पोवारी व पोवार समाज को‌ ऐतिहासिक नाव बदलन को षड़यंत्र शुरु होतो.असो स्थिति मा भी समाज की युवाशक्ति व प्रबुद्ध वर्ग ‌मातृभाषा को अस्तित्व व‌ समाज‌ हित को प्रति उदासीनता धारण करके ‌निजी‌ सुख-दु:ख मा ‌मश्गुल‌ होतो. प्रस्तुत लेखक ला ‌समाज की येन् दशा ना दिशा मा समाज को पतन की चिंता सतावन लगी‌. मातृभाषा पोवारी को विकास व समाज की ऐतिहासिक पहचान को संरक्षण करन साती जनजागृति करके समाज ला सही दिशा‌ देन की व समाज को नवनिर्माण करन साती क्रांति की आवश्यकता महसूस होन लगी.
५.इतिहास की प्रेरणा व क्रांति को सूत्रपात
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समाज की अनुचित दशा व दिशा लक आहत होयके प्रस्तुत लेखक न् २०१८ मा पोवारी भाषिक क्रांति अभियान व ‌सामूहिक चेतना समग्र पोवारी क्रांति अभियान नामक दूय अभियान प्रारंभ करीस भाषिक , सामाजिक, सांस्कृतिक, वैचारिक क्रांति आननसाती युद्धस्तर पर कार्य ‌शुरू‌ करीस. ‌ या क्रांति युवाशक्ति व प्रबुद्ध वर्ग को बल पर‌ सफल करनो संभव से, या बात मन मा ठेयके प्रस्तुत लेखक न् आपलो ‌लोकमंगलकारी, रसयुक्त , ऊर्जावान, प्रेरक, उत्साहवर्धक विचारों को माध्यम लक युवाशक्ति ‌ला जागृत करन को, नवचेतना संचारित करन को, क्रांति साकार करके मातृभाषा व समाज ला नवी दिशा देन को कार्य तेज गति लक प्रारंभ करीस. लेखक न् पोवारी क्रांति सफल करन साती डिजिटल सामाजिक माध्यमों को भरपूर उपयोग प्रारंभ करीस. लेखक का विचार लोक-मंगलकारी व गरिमामय रव्हन को कारण वायरल होत गया व अत्यल्प काल मा पोवार समुदाय मा समग्र पोवारी क्रांति सफल भयी. क्रांति सफल होन को कारण मोठो प्रमाण मा पोवारी साहित्य को सृजन प्रारंभ भयेव, महासभा को अनुचित कार्यों ला अंकुश लगेव व ९जून‌२०२० मा पोवार समाज को शाश्वत हितों को संरक्षण व संवर्धन साती अखिल भारतीय क्षत्रिय पोवार (पंवार) महासंघ नामक एक राष्ट्रीय संगठन की स्थापना भी भयी.
६. प्रेरक विचारों को क्रांति मा योगदान
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समाजिक व्यवस्था मा जब् गलत कार्यों की भरमार होय जासे, तब् लोक-मंगलकारी प्रेरक विचारों को द्वारा सामाजिक क्रांति संभव होसे. या बात मोला महाविद्यालयीन शिक्षण को समय अवगत भयी व प्रभावित कर गयी. मी येन् ज्ञान को उपयोजन (lmplementation)आपलो समाज मा क्रांतिकारी बदलाव आनन साती करेव. मोरा द्वारा प्रचारित विचार लोक-मंगलकारी व प्रेरक रहेव लक हवा की गति लक पोवारी क्रांति सफल भयी. क्रांति संबंधित सच्चाई व प्रेरक विचारों को महत्व रेखांकित करती एक कविता निम्नलिखित से –

।। वायरल (Viral) ।।
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प्रभावी‌ लेखनी को कारण
वायरल भया संवर्धन का विचार।
युवाओं मा शीघ्र जनजागृति आयी।
आश्चर्यजनक गति लक सफल भयी ,
पोवारी भाषिक क्रांति।।१।।

विचार प्रवर्तक लेखों को कारण
वायरल भया सुधारों का विचार।
समाज मा शीघ्र जनजागृति आयी।
हवा की तेज गति लक सफल भयी,
समग्र पोवारी क्रांति।।२।।

भावपूर्ण कविताओं को कारण
वायरल भया दिल का भाव।
युवाओं मा शीघ्र नवचेतना जागी।
वायु समान गति लक सफल भयी,
समग्र पोवारी क्रांति।।३।।

क्रांति ला विरोध को कारण
वायरल भयेव संघर्ष को भाव।
सच झूठ की शीघ्र पहचान भयी।
आंधी समान गति लक सफल भयी,
समग्र पोवारी क्रांति।।४।।

( वायरल भया= लोकप्रिय भया)
७.उपसंहार
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शिक्षा द्वारा अर्जित ज्ञान को आपलो व्यक्तिगत ‌व समाजिक जीवन मा उपयोजन करता आवनो येवच सही शिक्षण आय. मी आपलो समाज की दशा व दिशा सुधारण साती आपलो अर्जित ज्ञान को असो उपयोजन करेव. युवाशक्ति व प्रबुद्ध जनों ला आवाहन से कि तुम्हीं भी आपलो अर्जित ज्ञान को सदुपयोग आपलो समाज की भलाई साती करत जाव.आओ! आम्हीं समाजसेवा को माध्यम लक आपलो समाज ला समृद्धशाली, वैभवशाली व गौरवशाली बनावबी.

-इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले
शुक्र.६/९/२०२४

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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