पोवारी भाषा को विकास : अर्थ, स्वरूप, महत्व व इतिहास

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पोवारी भाषा को विकास : अर्थ, स्वरूप, महत्व व इतिहास

१.पोवारी भाषा विकास को अर्थ
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युगपरिवर्तन को अनुसार भाषा मा नवीन शब्द,‌नवीन संकल्पना, नवीन गीत,‌ गीतों ‌की नव-नवीन चाल, नवो प्रकार को संगीत को समावेश होत जासे व भाषा अद्ययावत (Update ) होत जासे, येन् प्रक्रिया ला भाषा को विकास को नाव लक संबोधित करेव जासे.
२.संरक्षण, नवचैतन्य व संवर्धन
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पोवारी भाषा आपलो उत्पत्ति को समय पासून सदियों वरी नैसर्गिक रीति लक विकसित होत रहीं। लेकिन भारत की आज़ादी को पश्चात शिक्षा को व्यापक प्रचार-प्रसार को कारण प्रादेशिक, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय भाषाओं को प्रयोग होन लगेव.येको‌ कारण पोवारी भाषा को सम्मुख अस्तित्व को संकट उपस्थित भयेव. अतः भाषा को संरक्षण(Preserve), नवचैतन्य(Revitalize ),व संवर्धन ( Promote ) येन् तिनही संकल्पनाओं ला अवगत करके मातृभाषा पोवारी ला विकसित ( Develope ) करन की जिम्मेदारी आमरो पर आयी से.
३.२०१८ को पहले भाषा विषयक दृष्टि
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२०१८ को पहले पोवारी भाषा को जतन करन को उद्देश्य लक जिनन् पोवारी साहित्य को सृजन करीन,उनन् परंपरागत पोवारी का मूल शब्द व भाषा को मूल स्वरूप जसो होतो,तसोच कायम ठेवन पर भर देईन. वय संरक्षण, नवचैतन्य व संवर्धन येन् तिनही संकल्पना पासून अनभिज्ञ होता. येको कारण उनको द्वारा मातृभाषा पोवारी मा नवीन शब्दों को प्रयोग ला उनको विरोध होतो. पोवारी भाषा विकसित होये पायजे या दृष्टि उनको मा अज़िबात नव्हती.
४.प्रस्तुत लेखक का विचार व आकांक्षा
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मातृभाषा पोवारी को संबंध मा प्रस्तुत लेखक
को दृष्टिकोण निम्नलिखित से –
४-१. मातृभाषा अनमोल विरासत
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अज भी पोवार समाज को किसान व मजदूर वर्ग को १००प्रतिशत घरों मा मातृभाषा पोवारी प्रचलित से. पोवारी समाज की एकता को महत्वपूर्ण सूत्र व पोवारी संस्कृति की संवाहक से. अतः मातृभाषा पोवारी या समाज की अनमोल विरासत से. पोवार समाज की एकता व पोवारी संस्कृति ला बचावन साती मातृभाषा पोवारी को संरक्षण, संवर्धन करके वोला विकसित करनो अपरिहार्य से, असो प्रस्तुत लेखक को दृढ़ विश्वास से.
४-२. संरक्षण साती विकास आवश्यक ——————————-
पोवारी भाषा को संरक्षण करनो से त् ‌नवी पीढ़ी ला पोवारी मा बोलन व लिखन ला प्रेरित करनो पड़े. साथो- साथ‌ पोवारी भाषा ला व नवीन परिवेश को अनुसार अद्यतन(update ) करनो पड़े. मातृभाषा ला अद्यतन करनो येवच वोको संरक्षण को अचूक उपाय आय. असो लेखक को स्पष्ट अभिमत से व मातृभाषा पोवारी को श्रेष्ठतम विकास या लेखक की आकांक्षा से.
५.पोवारी भाषिक क्रांति को शंखनाद
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समाज को कर्णधारों ला मातृभाषा को विकास की सही दृष्टि नहीं रहेव को कारण मातृभाषा पोवारी को सम्मुख अस्तित्व को संकट उपस्थित भयेव व कायम होतो. येन् स्थिति लक व्यथित होयके प्रस्तुत लेखक द्वारा‌ पोवारी भाषा को विकास साती ईस्वी सन् २०१८ मा पोवारी भाषाविश्व नवी क्रांति नामक एक अभियान प्रारंभ भयेव. अभियान को द्वारा युवाओं ला मातृभाषा को सम्मुख उपस्थित संकट लक अवगत करायेव गयेव, उनको मा मातृभाषा को प्रति प्रेम, अस्मिता व स्वाभिमान जागृत करेव गयेव, मातृभाषा को विकास की सही दृष्टि देयेव गयी. भाषा को विकास संबंधी शास्त्रीय संकल्पनाएं अवगत करायी गयी. पोवारी बोलन, लिखन व विविध विधाओं मा पोवारी साहित्य को सृजन साती प्रेरित करेव गयेव.येको कारण दूय चार व्यक्तियों पुरती सीमित भाषिक चेतना सामूहिक भाषिक चेतना मा परिवर्तित भयी व मातृभाषा को संरक्षण, संवर्धन व विकास को सामूहिक प्रयास प्रारंभ भयेव.
६.पोवारी भाषिक क्रांति की नवी दृष्टि
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आम्हीं २०१८ मा पोवारी भाषिक क्रांति को शुभारंभ भयेव व आम्हीं आपलो साहित्य मा नवीन जमानों को अनुसार काही जूना शब्द सुधारित स्वरूप मा लिखन लग्या व अनेक नवीन शब्दों को प्रयोग प्रारंभ करया त् आमला आमरों अग्रजों द्वारा असो न करन की सूचना देयेव गयी. लेकिन आम्हीं उनला उनकी समझ कसी चूक से या बात समझाया. पोवारी भाषा मा लवचिकता अपनाय के वोको विकास करनो आवश्यक से या बात भी खुलकर समझाया व आपली क्रांति ला आगे बढ़ाया. युवाओं को उत्तम प्रतिसाद को कारण क्रांति सफल भयी, विपुल मात्रा मा पोवारी साहित्य को सृजन प्रारंभ भयेव व पोवारी भाषा विकसित होन लगी.
७.भाषा को विकास मा संरक्षण निहित
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आमरों स्पष्ट अभिमत से कि यदि आम्हीं मातृभाषा को संबंध मा भूतकाल का बंदिस्त रव्हबी,‌कुप मंडूक वृत्ति धारण करबी अथवा लकीर का फकीर बन जाबी त् मातृभाषा पोवारी जैसे थे ( Status Co ) की स्थिति मा बनी रहें, काल बाह्य ( Out-of-date )होय जाये , कालांतर मा वोकी मौत होय जाये व ‌ येन् मृत्यु ला भाषा संबंधित गलत दृष्टिकोण जिम्मेदार रहें.
मातृभाषा पोवारी तलाव को संचित पानी वानी बंदीस्त ठेयके वोला बचावन की आशा करनो,या शुद्ध मुर्खतापूर्ण बात से. मातृभाषा की स्थिति ला यदि आम्हीं नदी को प्रवाहित जल वानी ठेवबी त् मातृभाषा युगानुकुल नवा शब्द,‌नवी संकल्पनाएं धारण करत जाये. येको कारण मातृभाषा विकसित होत जाये, चिर तरुण साबित होये व नदी को प्रवाह जसो आगे बढ़ता -बढ़ता अधिक विशाल बनत जासे‌ तसी मातृभाषा पोवारी भी विशाल,समृद्धशाली व वैभवशाली बनत जाये. येको कारण मातृभाषा पोवारी को आपोआप संरक्षण होये. संरक्षण साती अलग उपाय योजना की अजिबात आवश्यकता नाहाय. मातृभाषा को विकास मा वोको संरक्षण निहित से. मातृभाषा पोवारी ला विकसित (Develope )करनो अथवा अद्यतन (Update)करनो येवच वोला बचावन को अचूक उपाय से.
८.अभियान द्वारा युवाशक्ति ला आवाहन
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कौनसी भी क्रांति युवाओं को बलपर साकार होसे.युवाओं‌ मा क्रांति की सफलता साती आवश्यक जोश को संचार करन को उद्देश्य लक प्रेरक उदघोष (Slogan)को साथ भाषिक क्रांति अभियान प्रारंभ भयेव.पोवारी भाषिक क्रांति को उदघोष निम्नलिखित से –
बोलों पोवारी।लिखों पोवारी।
विकसित कर लों ।भाषा पोवारी।।
उपरोक्त उदघोष प्रेरक से. उदघोष मा पोवारी भाषा को संरक्षण, संवर्धन व विकास साती कौनसी कृति करनो पड़े, येको स्पष्ट संकेत से. येन् उदघोष को साथ पोवार समाज मा भाषिक क्रांति को शंखनाद करेव गयेव. प्रेरक उदघोष को निरंतर प्रयोग लक मातृभाषा को अस्तित्व को प्रति उदासीन युवाशक्ति तत्परता लक जागृत भयी व समर्पण भाव लक मातृभाषा को विकास साती तत्पर भयी.
९. संकल्पनाओं को माध्यम लक विकास की दृष्टि
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युवाओं ला मातृभाषा को विकास साती जागृत करन को कार्य उदघोष द्वारा संपादित भयेव.
विविध लेख व कविताओं को माध्यम लक क्रांति ला ‌निरंतर‌ गतिमान करन को कार्य करेव गयेव.
मातृभाषा को विकास की दृष्टि देन को कार्य संकल्पनाओं को द्वारा संभव होसे. भाषिक क्रांति अभियान द्वारा युवाओं ला (१)सामूहिक चेतना, (२)भाषिक क्रांति,(३) भाषा को संरक्षण ( Preserve),(४) भाषा मा नवचैतन्य ( Revitalize),(५) भाषा को संवर्धन ( Promote), (६) भाषा संवर्धन का मौलिक सिद्धांत (७) मातृभाषा को आधुनिकीकरण (८)मातृतुल्य मातृभाषा (९) मातृभाषा को पदर, (१०)चिर तरुण भाषा ये दस महत्वपूर्ण संकल्पनाएं अवगत करायेव गयी.
युवाओं ला सहज, सरल व उत्साहवर्धक साहित्य को माध्यम लक मातृभाषा को विकास संबंधी संकल्पनाएं अवगत होत रहेव लक वय भाषिक क्रांति लक निरंतर प्रभावित होत गया, भाषिक क्रांति मा सहभागी होत गया व भाषा को विकास साती विपुल प्रमाण मा पोवारी साहित्य को सृजन प्रारंभ भयेव.येन्‌ पद्धति लक पोवारी भाषिक क्रांति सफल भयी. भाषिक क्रांति की सफलता मा लेखक द्वारा करेव गयी प्रयत्नों की पराकाष्ठा व समाज हितकारी ‌युवाशक्ति को उत्स्फूर्त प्रतिसाद ये दूय मुख्य तत्व निहित सेत.
१०. प्रेरक साहित्य द्वारा विकास की दृष्टि
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‌ युवाओं ला पोवारी भाषा को विकास की दृष्टि देनों मा प्रेरक लेख व कविताओं की मुख्य भूमिका रही से. भाषा को विकास की दृष्टि देती एक मनभावन कविता निम्नलिखित से –
।।फड़कें रत्नजड़ित जरी को पदर।।
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पोवारी साहित्यिक करेती
जब् अलंकार युक्त साहित्य सादर।
मातृभाषा पोवारी को
फड़कें रत्नजड़ित जरी को पदर।।१।।

कल्पनाओं की भरारी लक
होये जब् सुंदर साहित्य सादर।
मातृभाषा पोवारी को
फड़कें रत्नजड़ित जरी को पदर।।२।।

सुंदर सुंदर शब्दों लक
श्रृंगारित साहित्य होये जब् सादर।
मातृभाषा पोवारी को
फड़कें रत्नजड़ित जरी को पदर।।३।।

अनमोल ज्ञान, संसार को
होये साहित्य मा जब् सादर।
मातृभाषा पोवारी को
फड़कें रत्नजड़ित जरी को पदर।।४।।

साहित्य की हर विधा मा
आकर्षक साहित्य होये जब् सादर।
मातृभाषा पोवारी को
फड़कें रत्नजड़ित जरी को पदर।।५।।

११.वर्तमान मा पोवारी भाषा विकास को स्वरुप
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आमरा पूर्वज सदियों पासून एकमात्र कृषि व्यवसाय मा होता. येको कारण पोवारी भाषा मा कृषि व्यवसाय सीन संबंधित शब्द भरपूर सेती. आता आमरो परिवेश बदलेव. नवीन परिवेश मा नगर, उद्योग, व्यापार, शिक्षण संस्थान, आवागमन का साधन, डिजिटल सामाजिक माध्यम,‌शासकीय कार्यालय आदि अनेक नवा – नवा तत्व सेती. अतः नवीन परिवेश ला सशक्त रुप लक अभिव्यक्त करता आये असो अनेक शब्दों को मातृभाषा पोवारी मा समावेश होनो आवश्यक से.आम्हीं व आमरा साहित्यिक आता पोवारी भाषा मा जूनों शब्दों को साथ- साथ नवों शब्दों को भी मुक्त रुप लक प्रयोग कर रहया सेत. येको कारण मातृभाषा पोवारी अधिक समृद्ध होय रही से तेज गति लक विकसित होय रही से.

१२. मातृभाषा को विकास की दृष्टि का लाभ
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पोवारी भाषाविश्व नवी क्रांति अभियान भारतवर्ष द्वारा युवाओं ला मातृभाषा पोवारी को विकास की पूर्ण स्पष्ट दृष्टि( Crystal clear vision) देयेव गयी. येका महत्वपूर्ण लाभ निम्नलिखित सेत-
१२-१.समाज मा मातृभाषा पोवारी को प्रति प्रेम, अस्मिता व स्वाभिमान जागृत भयेव. तीन चार व्यक्ति पुरती मर्यादित भाषिक चेतना सार्वजनिक बन गयी.
१२-२.युवाशक्ति मा पोवारी को विकास की आशा पल्लवित भयी. युवाओं मा एक नवो उमंग, उत्साह व आत्मविश्वास जागृत भयेव .पोवारी भाषा पर व्याप्त अस्तित्व को संकट दूर भयेव.
१२-३. २०१८ को पहले पोवारी लेखक – कवियों की संख्या केवल चार -पाच व्यक्तियों पुरती मर्यादित होती. क्रांति को कारण या संख्या लगभग १०० वरी पहुंच गयी.
१२-४. मातृभाषा को संरक्षण, संवर्धन व विकास का जोरदार प्रयास शुरु भया. प्रतिवर्ष पोवारी ग्रंथों को प्रकाशन प्रारंभ भयेव. पहले अनेक साल को अंतराल को बाद पोवारी की एखाद पुस्तक प्रकाशित होत होती.आता प्रतिवर्ष पोवारी की दस-बारा पुस्तक प्रकाशित होय रही सेत.
१२-५. युवाशक्ति ला रचनात्मक कार्य को एक उत्तम क्षेत्र उपलब्ध भयेव.‌पोवार समुदाय ला वैचारिक विकास को एक अच्छों आयाम प्राप्त भयेव.
१२-६.काही व्यक्ति पोवारी भाषा संवर्धन को रचनात्मक कार्य कर मुड़ गया. येको कारण उनको जीवन ला एक नवों साहित्यिक आयाम मिलेव व उनको व्यक्तित्व विकास ( Personality development) साती एक नवीन द्वार खुल गयेव.
१२-७.समाज मा पोवारी साहित्यिकों व कलाकारों को एक नवो वर्ग उत्पन्न भयेव.
१२-८. मातृभाषा समाज मा एकता प्रस्थापित करन को सबसे प्रभावशाली माध्यम से. भाषा विकास की सही दृष्टि प्राप्त होयेव को कारण ३६ कुलीय पोवार समुदाय मा मातृभाषा को भवितव्य व एकता प्रस्थापित करन को मार्ग सुरक्षित भयेव . १२-९. मातृभाषा, पोवारी संस्कृति की संवाहक से. समाज ला मातृभाषा को विकास की सही दृष्टि प्राप्त होयेव लक पोवारी संस्कृति को संरक्षण करन को मार्ग प्रशस्त भयेव.
१२-१०.भाषा विकास की सही दृष्टि प्राप्त होयेव लक पोवारी भाषा, पोवार समाज व पोवारी साहित्यिक ये तिन्हीं साहित्यिक क्षेत्र मा चर्चा का विषय बन गया. पोवार समुदाय को नाव साहित्यिक क्षेत्र मा गूंजन लगेव व प्रतिष्ठित भयेव.
१२-११. ईस्वी सन् २०१८ को पहले समाज को काही कर्णधारों द्वारा मातृभाषा पोवारी को ऐतिहासिक नाव को स्थान पर पवारी येव गलत नाव प्रतिस्थापित करन षड़यंत्र शुरु होतो. भाषा को विकास की सही दृष्टि प्राप्त होताच येन् षड़यंत्र पर अंकुश लगेव.
१२-१२.मातृभाषा को विकास कर ध्यान आकर्षित होताच प्रबुद्ध वर्ग न् मातृभाषा व समाज हित को प्रति आपली प्रदीर्घ उदासीनता ला झटक देईस. भाषा विकास की दृष्टि न् समग्र पोवारी क्रांति ( Total Powari Revolution) साती अनुकूल वातावरण निर्माण करीस.परिणामस्वरुप पोवार समाज आपली मातृभाषा, संस्कृति, मूल ऐतिहासिक पहचान व धर्मनिष्ठता को संरक्षण साती प्रयत्नशील भयेव.
१२-१३. भाषा विकास की सही दृष्टि को साथ समाज मा सर्वांगीण जागृति आयी. परिणामस्वरूप समाज को प्रबुद्ध वर्ग न् ३६कुलीय पोवार समुदाय को शाश्वत हितों को संरक्षण व समाजोत्थान साती को उद्देश्य लक ९ जून २०२० मा अखिल भारतीय क्षत्रिय पोवार (पंवार) महासंघ नामक एक राष्ट्रीय संगठन की स्थापना करके,जनहित मा कार्य करनों प्रारंभ करीस.
१२-१४. मातृभाषा विकास की दृष्टि प्राप्त होन को कारण पोवार समाज मा भाषिक स्वाभिमान को साथ साहित्यिक व वैचारिक क्रांति को एक नवो अध्याय प्रारंभ भयेव.

-ओ सी पटले
सामूहिक चेतना व समग्र पोवारी क्रांति अभियान,भारतवर्ष.
बुध.११/९/२०२४.
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