मातृभाषा पोवारी को प्रति मोरों दृष्टिकोण, मनोकामना व मातृभाषा विकास को सूत्र -इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले
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१.मातृभाषा: समाज की पहचान
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पोवार समाज की एक स्वतंत्र भाषा से. पोवारी भाषा या पोवारी संस्कृति, संस्कार व जीवन मूल्यों की संवाहिका, सम्प्रेषक व परिचायक भी से. पोवारी भाषा न आमला जीवन को अर्थ समझाईस व जीवन ला गति देईस. मातृभाषा आमरी अस्मिता, स्वाभिमान व पहचान आय. येको कारण मातृभाषा पोवारी आमरो साती गर्व को विषय से.
२.मातृभाषा पोवारी को महत्व
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पोवारी भाषा सदियों पासून समाज की नवी पीढ़ी ला सनातन संस्कृति लक संस्कारित करन को कार्य करत आयी से. पोवारी भाषा पोवार समुदाय मा एकता प्रस्थापित करन को प्रभावशाली माध्यम से. सदियों पासून पोवारी भाषा कुटुम्ब, रिश्तों नातों व समाज ला आगे बढ़ावन को कार्य संपादित करत आयी से.
मातृभाषा को कारण पोवारी संस्कृति व पोवार समाज को स्वतंत्र अस्तित्व से. मातृभाषा को बिना पोवार समाज मा एकरुपता असंभव से. येको कारण आम्हीं मातृभाषा पोवारी को उत्कर्ष साती प्रयत्नशील सेज्.
३. पोवारी भाषा वैभव
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भारतीय जीवन दर्शन को अनुसार स्वधर्म, स्वराष्ट्र व स्वभाषा को संरक्षण करनो मानव को परम् पावन कर्तव्य से. भारतीय संस्कृति मा मातृभाषा ला जन्मदात्री माता समान श्रेष्ठ मानेव गयी से. प्रस्तुत लेखक अनुसार पोवारी साहित्य व शब्द संपदा या मातृभाषा को पातल समान से व असो भाव मन मा जगायके मातृभाषा पोवारी को सौंदर्य व वैभव बढ़ावन को कार्य शुरू से. येन् पार्श्वभूमी को आधार पर मोरों लेखनी लक अवतरित एक कविता निम्नलिखित से –
।। मातृभाषा से माता समान।।
मातृभाषा पोवारी
जन्मदात्री माता समान से।
शब्द संपदा व साहित्य
पातल अना पदर समान से।।१।।
पोवारी को साधो साहित्य
हलको किंमत को पातल वानी से।
मनोरम सुंदर साहित्य
रत्नजड़ित जरी को पदर वानी से।।२।।
पोवारी को उत्तम साहित्य
अधिक मूल्यवान पातल वानी से।
अलंकृत मनोहारी साहित्य
रत्नजड़ित जरी को पदर वानी से।।३।।
सुंदर वस्त्र अना आभूषणों लक
नारी शक्ति को सौंदर्य बढ़ जासे।
तसोच अलंकृत साहित्य लक
मातृभाषा को सौंदर्य बढ़ जासे।।४।।
मातृभाषा को पातल समझके
नवों नवों साहित्य मी लिखत जासू।
मातृभाषा को हर पातल ला
रत्नजड़ित जरी को पदर लगावत जासू।।५।।
मातृभाषा को पातल समझके
पातल की संख्या मी बढ़ावत जासू।
संस्कृति संवाहिका मातृभाषा ला
सौंदर्यशाली वैभवशाली बनावत जासू।।६।।
४. मातृभाषा आमरी धरोहर
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मातृभाषा पोवारी या पोवार समुदाय की सबदुन अनमोल विरासत आय. मातृभाषा को प्रति मोरा मनोभाव व मनोकामना व्यक्त करती एक कविता निम्नलिखित से –
।। अमर हो प्रेम तोरो ।।
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अमर हो प्रेम तोरो।
अमर हो अस्तित्व तोरो।
अमर हो मातृभाषा पोवारी,
अमर हो पोवारी नाव तोरो।।१।।
बोलन ला प्रथम सिखाईस।
जीवन को अर्थ समझाईस।
सोवाईस अंगाई गीतों लक,
अमर हो पोवारी नाव तोरो।।२।।
पोवारी अस्मिता जगाईस।
पोवारी स्वाभिमान जगाईस।
जगनो सिखाईस शब्दों लक,
अमर हो पोवारी नाव तोरो।।३।।
संस्कृति ला आगे बढ़ाईस।
एकता को भाव जगाईस।
संस्कारित करीस शब्दों लक,
अमर हो पोवारी नाव तोरो।।४।।
स्वतंत्र पहचान देईस।
उत्तम संस्कार देईस।
संस्कारित करीस शब्दों लक।
अमर हो पोवारी नाव तोरो।।५।।
५.मातृभाषा विकास को सूत्र
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पोवारी बोली ला भाषा को दर्जा प्राप्त करावन को उद्देश्य लक पोवारी भाषिक क्रांति अभियान संचालित से. अभियान को अनुसार पोवारी भाषा विकास को अनमोल सूत्र निम्नलिखित से –
पोवारी मा बातचीत लक
संरक्षित होये मातृभाषा पोवारी।
उत्तम साहित्य को सृजन लक
संवर्धित होये मातृभाषा पोवारी।
वाचन क्रांति को बल पर
विकसित होये मातृभाषा पोवारी।।
-इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले
प्रणेता – पोवारी भाषाविश्व नवी क्रांति अभियान, भारतवर्ष.
सोम.१६/९/२०२४.
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