भारतवर्ष में विभिन्न मातृभाषाओं के विकास के लिए हो रहे क्रांतिकारी प्रयासों के बीच मध्यभारत के वैनगंगा अंचल में पोवारी भाषा भी अपनी विशेष पहचान बना रही है। उत्तराखंड की गढ़वाली, कुमाऊं, जौनसारी भाषाओं के विकास के प्रयासों की तरह, पोवारी भाषा के साहित्य और सांस्कृतिक उन्नति के लिए भी सार्थक प्रयास चल रहे हैं। पोवारी भाषा की जनसंख्या को देखते हुए इसके विकास की अपार संभावनाएं हैं, खासकर महाराष्ट्र के गोंदिया, भंडारा और मध्यप्रदेश के बालाघाट, सिवनी जिलों में, जहां लगभग 15 लाख पोवार समुदाय की घनी आबादी निवास करती है।
इतिहासकार ओ. सी. पटले द्वारा पोवारी भाषा के विकास के लिए विगत वर्षों में कई महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखी और प्रकाशित की गई हैं। इस श्रृंखला में एक और महत्वपूर्ण कृति “फड़कें रत्नजड़ित जरी को पदर” शीघ्र ही प्रकाशित होने जा रही है। यह पुस्तक पोवारी भाषा की अमृत गाथा के रूप में जानी जाएगी।
पुस्तक का उद्देश्य और महत्व : इस ग्रंथ में लेख और काव्य दोनों विधाओं के माध्यम से पोवारी भाषा का परिचय, महत्व, और विकास की दिशा में परिपूर्ण दृष्टिकोण प्रस्तुत किया गया है। यह लेखक के गहन विचार मंथन और मातृभाषा के प्रति समर्पण का नतीजा है। “फड़कें रत्नजड़ित जरी को पदर” पुस्तक लेखक की त्याग, तपस्या और मातृभाषा के प्रति दीर्घकालीन सेवा का साक्षात प्रमाण है। इस ग्रंथ में पोवारी भाषा के विकास की आवश्यकताओं और उसकी सांस्कृतिक धरोहर को उजागर किया गया है।
मुखपृष्ठ और प्रकाशन : इस ग्रंथ का मुखपृष्ठ भवभूति रिसर्च अकॅडमि, आमगांव के उपाध्यक्ष संतोष पुंडकर द्वारा सजाया गया है। मुखपृष्ठ पर माता शारदा, श्री गणेश और एक कन्या की रस्सी के सहारे पेड़ पर चढ़ने की मनोरम तस्वीर द्वारा मातृभाषा के उत्कर्ष को सांकेतिक रूप में दर्शाया गया है। ग्रंथ का टाइपिंग कार्य महेश टायपिस्ट, आमगांव द्वारा किया गया है और इसका प्रकाशन नचिकेत प्रकाशन, नागपुर द्वारा शीघ्र किया जाएगा।
समाज के प्रति योगदान : यह ग्रंथ न केवल पोवारी भाषा के साहित्यिक और सांस्कृतिक धरोहर को संजोने का कार्य करेगा, बल्कि यह पोवारी समुदाय के लोगों में उनकी मातृभाषा के प्रति गर्व और सम्मान की भावना को भी प्रोत्साहित करेगा। लेखक के स्वतंत्र चिंतन और परिश्रम से साकार यह कृति पाठकों को अमृतप्राशन के समान सुखद और आनंददायक प्रतीत होगी।
इस ग्रंथ के माध्यम से लेखक ने पोवारी भाषा के विकास और उत्थान के लिए अपना अमूल्य योगदान दिया है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणादायक दस्तावेज साबित होगा।
– ओ. सी. पटले, सामूहिक चेतना व समग्र पोवारी क्रांति अभियान, भारतवर्ष
सोम.30/09/2024

