आमगांव में कांग्रेस के दो गुटों के बीच भिड़ंत, सांसद किरसान और विधायक कोरोटे के समर्थकों में हाथापाई

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साकोली में कोरोटे हटाओ के नारे, आमगांव में सांसद किरसान मुर्दाबाद के विरोध प्रदर्शन

गोंदिया : मायकल मेश्राम

महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनाव की घोषणा के नजदीक आते ही राजनीतिक दलों में टिकट वितरण को लेकर खींचतान तेज हो गई है। आमगांव-देवरी विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी भी इससे अछूती नहीं रही। हाल ही में साकोली और आमगांव में आयोजित बैठकों के दौरान कांग्रेस के सांसद किरसान और विधायक सहसराम कोरोटे के समर्थकों के बीच जमकर झगड़ा हुआ, जिसमें लात-घूंसे और शब्दों के बाण चले।

साकोली में कोरोटे हटाओ के नारे

कुछ दिन पहले साकोली में आयोजित बैठक में माजी मंत्री सतीश बाबू चतुर्वेदी, जो पर्यवेक्षक के रूप में मौजूद थे, के सामने गढ़चिरौली के सांसद किरसान के संसदीय क्षेत्र अंतर्गत आमगांव विधानसभा को लेकर वर्तमान विधायक सहसराम कोरोटे हटाओ, कांग्रेस बचाओ के नारे लगे। इस बैठक में सांसद किरसान के पुत्र दुष्यंत किरसान भी मौजूद थे, जो खुद इस बार विधानसभा टिकट के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं।

आमगांव में सांसद किरसान के खिलाफ नारेबाजी

आमगांव स्थित शासकीय विश्राम गृह में 14 अक्टूबर को टिकट बंटवारे पर चर्चा के लिए आमगांव, देवरी और सालेकसा के पार्टी कार्यकर्ताओं को बुलाया गया था। यहां पर विधायक कोरोटे के समर्थकों ने सांसद किरसान के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगाए। इससे पहले भी लोकसभा चुनाव के दौरान विधायक कोरोटे ने अपने विधानसभा क्षेत्र में सांसद किरसान के समर्थन में कोई बड़ी सभा नहीं होने दी थी, जिससे दोनों के बीच तनाव की खबरें सामने आई थीं।

बैठक में हुआ खुलासा, आपसी मतभेद स्पष्ट

हालांकि, दोनों नेताओं ने हमेशा आपसी मतभेद की खबरों को नकारा था और कहा था कि पार्टी में किसी भी प्रकार की खींचतान नहीं है। लेकिन 14 अक्टूबर को आमगांव में जो दृश्य सामने आया, उसने दोनों गुटों के बीच लंबे समय से चली आ रही खटास को उजागर कर दिया। बैठक के दौरान हुई झड़प से पार्टी के भीतर गहरे मतभेद स्पष्ट हो गए हैं।

टिकट पर सस्पेंस बरकरार, कांग्रेस हाई कमान के फैसले का इंतजार

आमगांव विधानसभा क्षेत्र में टिकट को लेकर सांसद पुत्र दुष्यंत किरसान और वर्तमान विधायक सहसराम कोरोटे के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा है। यह देखना बाकी है कि कांग्रेस हाई कमान किसे टिकट सौंपेगी। क्या दोनों गुटों के झगड़े का फायदा किसी तीसरे उम्मीदवार को मिलेगा? या फिर हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनावों के दौरान हुए आपसी मतभेदों से सबक लेते हुए कांग्रेस पार्टी इस बार कोई बड़ा उलटफेर करेगी? इन सवालों के जवाब आने वाले दिनों में मिल सकते हैं।

 

 

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