शरद पूर्णिमा मिलन समारोह 2024 : 30 सालों की परंपरा, संस्कृति और एकता का प्रतीक

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गोंदिया : आमगांव स्थित पोवार समाज संगठन आमगांव द्वारा इस वर्ष “शरद पूर्णिमा मिलन समारोह” का 30 वां संस्करण मना रहा है। यह आयोजन 19 अक्टूबर 2024, शनिवार को आमगांव स्थित “कृषि उत्पादक बाजार समिति” प्रांगण में होगा। तीन दशकों से चली आ रही इस परंपरा के माध्यम से समाज की सांस्कृतिक धरोहर को संजोने और नई पीढ़ी के बीच इसे संरक्षित रखने का प्रयास किया जा रहा है।

कार्यक्रम का शुभारंभ और आकर्षण : शरद पूर्णिमा की रात, 9 बजे समारोह का उद्घाटन होगा, जिसके बाद सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरुआत होगी। नृत्य, संगीत और पारंपरिक प्रस्तुतियों के जरिए शरद पूर्णिमा की महिमा का उत्सव मनाया जाएगा। विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियाँ समाज के सदस्यों और आमंत्रित अतिथियों के बीच आपसी सौहार्द और जुड़ाव को मजबूत बनाने में सहायक होंगी।

धार्मिक आस्था का संगम : कार्यक्रम का आयोजन कुलदेवी माँ गडकालिका का आशीर्वाद लेकर किया जा रहा है, जो धार्मिक और आध्यात्मिक जुड़ाव का प्रतीक है। साथ ही, प्रथम आराध्य भगवान श्रीराम और
वंशज राजा भोज के प्रति गहरी श्रद्धा इस आयोजन को एक विशेष आध्यात्मिक स्वरूप प्रदान करती है। यह समाज के धार्मिक मूल्यों को पुनः जागृत करने का एक अवसर है।

समाज की एकता और सांस्कृतिक संरक्षण का प्रयास : “शरद पूर्णिमा मिलन समारोह” समाज की एकता को मजबूती देने और परंपराओं को जीवंत बनाए रखने का माध्यम है। 30 वर्षों से, यह आयोजन पोवार समाज के लोगों को एकजुट कर उनकी सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर को अगली पीढ़ी तक पहुंचाने का कार्य कर रहा है। इस आयोजन के माध्यम से युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति और परंपराओं के महत्व से अवगत कराया जाता है, जिससे आने वाले वर्षों में समाज की समृद्ध धरोहर संरक्षित रह सके।

समारोह का उद्देश्य और महत्व : यह समारोह केवल मनोरंजन के लिए नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य समाज के सभी सदस्यों को एकजुट करना और आपसी भाईचारे को बढ़ावा देना है। यह मंच उन मूल्यों को प्रदर्शित करने का अवसर है, जो पीढ़ियों से समाज को जोड़ते आ रहे हैं। समाज की संगठनात्मक एकता को और भी सुदृढ़ करने का प्रयास इस मिलन समारोह के माध्यम से किया जाता है।

समाज बांधवों को इस महत्वपूर्ण अवसर में बढ़-चढ़कर भाग लेने का अनुरोध आयोजन समिति के अध्यक्ष संजय बघेले द्वारा किया गया है, ताकि समाज की एकता और सांस्कृतिक धरोहर को मजबूती प्रदान की जा सके