आमगांव-देवरी विधानसभा चुनाव में प्रचार की होड़, बगावत की तपिश
आमगांव : आमगांव-देवरी विधानसभा में इस बार प्रचार तेज हो चला है और महायुती तथा महाविकास आघाड़ी में कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। इस क्षेत्र की तीन तहसीलें— आमगांव, देवरी, और सालेकसा में प्रत्याशियों का अलग-अलग प्रभाव दिखाई दे रहा है। हर तहसील में मतदाताओं के रुझान बदलते दिख रहे हैं। हालही में महायुती की ओर से केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और सांसद प्रफुल पटेल की प्रमुख सभाएँ आयोजित हुई हैं, जबकि महाविकास आघाड़ी की मुख्य सभा अभी आयोजित होनी बाकी है। नामांकन वापसी की अंतिम तारीख के बाद से ही दोनों गुटों में बगावत के कारण जीत के समीकरण गड़बड़ाने के संकेत हैं।
महायुती में भाजपा, राष्ट्रवादी कांग्रेस (अजित पवार गुट), और शिवसेना (शिंदे गुट) मिलकर प्रचार कर रहे हैं। हालांकि, बगावत के कारण गठबंधन की एकजुटता में कमी आ रही है। आंतरिक बगावत के चलते इस गठबंधन के वोटों में विभाजन की संभावना बढ़ गई है। हर तहसील में महायुती के प्रत्याशियों का प्रभाव एक समान नहीं है, जिससे मतदाताओं में बिखराव का असर भी देखा जा सकता है।
महाविकास आघाड़ी में कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरद पवार गुट), और शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) एकजुट होकर मैदान में हैं। हालांकि, इस गुट में भी आंतरिक असंतोष नजर आ रहा है, जिससे चुनाव जीतने के लिए उन्हें अतिरिक्त चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। तीनों तहसीलों में आघाड़ी के प्रत्याशियों का प्रभाव भिन्न है, जिससे हर तहसील में मतदाता का झुकाव अलग दिखाई दे रहा है।
प्रचार का आखिरी सप्ताह और आयोजन की रणनीति
अब प्रचार का सिर्फ लगभग एक सप्ताह बचा है। इस दौरान महायुती और महाविकास आघाड़ी के नेता तीनों तहसीलों में अधिक से अधिक नुक्कड़ सभाएँ और जनसंपर्क कर रहे हैं। दिवाली के कारण शुरुआत में प्रचार में ठहराव था, लेकिन भाई दूज के बाद से चुनावी माहौल गरमा गया है।
रविवार के प्रचार में विशेष महत्व
प्रत्याशियों ने अपने प्रचार के शेड्यूल में अंतिम दोनों रविवारों को खास स्थान दिया है। चूंकि सिर्फ दो ही रविवार बचे हैं, इसलिए मतदाताओं तक पहुँचने के लिए हर प्रत्याशी अपनी पूरी ताकत झोंक रहा है। अंतिम चरण में ही यह स्पष्ट होगा कि कौन से गुट ने मतदाताओं पर ज्यादा प्रभाव डाला है।
फ्लोटिंग वोट्स होंगे निर्णायक
महायुती और महाविकास आघाड़ी में बगावत के कारण निश्चित वोटों का गणित अनिश्चित हो गया है। इस चुनाव में फ्लोटिंग वोट्स, यानी वो वोटर जिन्होंने अभी तक अपना समर्थन तय नहीं किया है, निर्णायक भूमिका में होंगे। जिस गुट को अधिक फ्लोटिंग वोट्स मिलेंगे, वही जीत का समीकरण साधने में सफल हो सकता है।
आमगांव-देवरी विधानसभा चुनाव में महायुती और महाविकास आघाड़ी में आंतरिक बगावत के चलते जीत का गणित गड़बड़ाया हुआ है। हर तहसील में मतदाताओं का अलग-अलग रुझान, नेताओं की सभाओं और चुनावी रैलियों से मतदान का माहौल और भी अधिक गर्माएगा। फ्लोटिंग वोट्स पर जोर लगाने के लिए प्रत्याशियों की मेहनत चुनाव परिणाम में असर दिखाएगी।

