केंद्रीय भारत को वैनगंगा अंचल मा निवासरत पोवार समाज की स्वतंत्र मातृभाषा से. पोवारी (Powari ) येव येन् भाषा को ऐतिहासिक व परंपरागत नाव से. भारतवर्ष की आज़ादी को पश्चात पोवारी भाषा पर अस्तित्व को संकट मंडरान लगेव.काही मातृभाषा प्रेमियों की वाणी लक पोवारी भाषा बचाओ को आर्तनाद ध्वनित होन लगेव.असो परिस्थिति मा आम्हीं २०१८ मा पोवारी भाषिक क्रांति अभियान की शुरुआत करया. पोवारी भाषिक क्रांति आश्चर्यजनक गति लक सफल भयी. अतः पोवारी भाषा शोध, विकास व वैभव अभियान की शुरुआत करेव गयी. येन् अभियान को प्रेरक उदघोष निम्नलिखित से –
आमरी भाषा आमरो मान।
उन्नत भाषा आमरी शान।।
पोवारी भाषा को कल्याण व उद्धार साती शुरू प्रयासों ला उत्तम गति देन साती आम्हीं आपलो अभियान ला आवश्यकतानुसार विभिन्न नावों लक संबोधित करन की नीति को अवलंबन कर रहया सेजन.
समस्त प्रयासों द्वारा युवाओं मा भाषिक चेतना,प्रेम व स्वाभिमान जागृत करेव गयेव. वैयक्तिक भाषिक चेतना ला सामूहिक चेतना मा परिवर्तित करेव गयेव. मातृभाषा को महत्व, मातृभाषा का कार्य( Functions), सामूहिक भाषिक चेतना, भाषा संरक्षण, भाषा को नव-चैतन्य, संवर्धन, विकास, भाषा विकास साती वैयक्तिक व सामूहिक प्रयासों को स्वरूप, मातृभाषा माय समान, साहित्य ला पातल की उपमा, अलंकृत साहित्य येवच भाषा को रत्नजड़ित जरी को पदर, पोवारी को सीमोल्लंघन, पोवारी भाषा वैभव, आदि महत्वपूर्ण संकल्पनाएं अवगत करायेव गयी .परिणामस्वरुप समाज मा पोवारी भाषा बचाओ को आर्तनाद बंद भयेव व पोवारी भाषा को आल्हादित स्वर गूंजन लगेव.
उपर्युक्त प्रयासों लक पोवारी भाषा को सम्मुख उपस्थित अस्तित्व को संकट समाप्त भयेव. समाज मा खुशी की एक लहर व्याप्त भयी. येन् प्रदीर्घ यात्रा मा पोवारी भाषा ला भारतवर्ष मा व्यापक पहचान देवावन को कार्य उत्साहपूर्वक शुरू से.येन् कार्य ला पोवारी भाषा को सीमोल्लंघन को नाव लक संबोधित करेव जासे. येव संपूर्ण कार्य एक मंगलमय पर्व को स्वरुप मा संपन्न होय रही से. एक वैभवशाली भाषा बनन को दिशा मा पोवारी भाषा को उज्ज्वल प्रवास शुरू से. येन् सब महत्वपूर्ण प्रयासों ला अंकित करती, पोवारी भाषा वैभव अभियान को ऐतिहासिक शिलालेख (Historical Inscription) समान महत्वपूर्ण एक उत्साहवर्धक कविता निम्नलिखित से –
।।भाषा वैभव को पावन पर्व।।
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शुरु होतो भाषा बचाओ को आर्तनाद।
आम्हीं करया भाषा संवर्धन को शंखनाद।
युवाओं मा भयेव भाषिक चेतना को संचार,
अना सफल भयेव भाषा वैभव अभियान।।१।।
शुरु होतो करनो मातृभाषा ला बदनाम।
आम्हीं मान्या मातृभाषा ला माय समान।
मातृभाषा मा करया नव-चैतन्य को संचार ,
अना सफल भयेव भाषा वैभव अभियान।।२।।
शुरु होतो निष्प्राण साहित्य सृजन को काम।
आम्हीं करया भाषा मा संचारित नव- प्राण।
अलंकृत साहित्य को होन लगेव सृजन,
अना सफल भयेव भाषा वैभव अभियान।।३।।
नोहती साहित्य मा कल्पनाओं की उड़ान।
नोहतो साहित्य मा भाषा को अलंकृत श्रृंगार।
कलाकारों का भयेव नव चेतना को संचार,
अना सफल भयेव भाषा वैभव अभियान।।४।।
मातृभाषा होती समाज पुरती मर्यादित।
आम्हीं करया पहचान राष्ट्र मा विस्तारित।
फड़केव भाषा को रत्नजड़ित जरी को पदर,
अना सफल भयेव भाषा वैभव अभियान।।५।।
-ओ सी पटले
पोवारी भाषा शोध, विकास व वैभव अभियान भारतवर्ष.
गुरु.१२/१२/२०२४.
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