पोवार समाज सनातन हिन्दू धर्म को अनुयाई से. भारतवर्ष पर अनेक विदेशी क्रुर धर्मांध आक्रांताओं का आक्रमण भया. विधर्मियों न् भारत ला गुलाम बनाईन व यहां हिंसा नि प्रलोभन को बल पर पर मोठो प्रमाण मा हिन्दुओं को धर्मांतरण करेव गयेव. धर्मांतरण की येन् आंधी मा अनेक क्षत्रियों न् विपुल प्रमाण मा धर्मांतरण करीन. येको कारण वर्तमान मुस्लिम समुदाय मा काही क्षत्रिय कुलनाम पाया जासेती.
या परम् सौभाग्य की बात से कि अत्यंत विपरीत राजकीय परिस्थिति मा भी पोवार समाज को पूर्वजों न् आपलो धर्म नहीं सोड़ीन. सनातन धर्म येव मानवतावादी महान धर्म से. सनातन धर्म प्रकृति पूजक से व प्रकृति मा स्थित सभी प्राणी व वृक्ष वनस्पति पर प्रेम की सीख देसे. आमरो पूर्वजों न् सनातन हिन्दू धर्म को संरक्षण संवर्धन मा ऐतिहासिक भूमिका निभाईन. येको कारण एक महान प्राचीन धर्म का अनुयाई कहलावन को , एक श्रेष्ठ धर्म को जीवन दर्शन ला जानन समझन को व आचरण मा आनन को परम् सौभाग्य पोवार समाज ला प्राप्त भयी से.
आम्हीं आपलो पूर्वजों को अनुसरण करत सनातन हिन्दू धर्म को संरक्षण संवर्धन मा अमूल्य योगदान देनो येव आमरो परम् पावन दायित्व से.
पोवार समाज का प्रथम आराध्य प्रभु श्रीराम सेती. तसोच सनातन हिन्दू धर्म को अनुसार सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरुआत विद्या की देवी मां सरस्वती की वंदना लक होसे. परंतु अत्यंत खेदजनक विषय से कि पोवार समाज को सांस्कृतिक कार्यक्रमों मा आता न तो प्रभु श्रीराम की एवं न त् माता शारदा की प्रतिमा दिसू आव् से. असो करके आम्हीं परिवर्तन की आंधी मा मोठी ऐतिहासिक,सांस्कृतिक , धार्मिक एवं सामाजिक चूक कर रहया सेजन व आपली नवी पीढ़ी ला भ्रमित करके वोको भविष्य बिगाड़ रहया सेजन.
परिवर्तन संसार को नियम से. परंतु आम्हीं आपली मातृभाषा, संस्कृति व समाज की पहचान बदल जायें असो परिवर्तन ला स्वीकार करनो समाज साती आत्मघाती साबित होये.
एक बात यहां उल्लेखनीय से कि आमरी श्रद्धा, निष्ठा व भक्ति जेतरो ऊंचों आदर्शों मा स्थिर
होयेत, वोतरोच आम्हीं व आमरो समाज ऊंचों उठें.
मानव चरित्र मा मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम जी को चरित्र परम् श्रेष्ठ से. विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा अर्चना ला हिन्दू धर्म ग्रंथों मा महत्वपूर्ण स्थान से. असो स्थिति मा पोवार समाज को समस्त प्रबुद्ध वर्ग न् गहन आत्मचिंतन करन की व सामाजिक कार्यक्रमों मा प्रभु श्रीराम व माता सरस्वती ला पुनर्प्रतिष्ठित करन की परम् आवश्यकता से. असो करके आम्हीं आपलो पूर्वजों को इतिहास,परंपरा, संस्कृति, संस्कार सीन जुड़ेव रव्हनो संभव होये व याच आमरो महान पूर्वजों ला आमरी खरी श्रद्धांजलि साबित होये.
ओ सी पटले, आमगांव (M.S.)
रवि.2/2/2025.

