1.समुदाय को स्वरुप
—————-
छत्तीस कुलीय क्षत्रियों को संगम निरालो से ।
मानों छत्तीस फूलों को येव हार निरालो से ।
खून को रिश्ता मा बंध्या सेत कुल सभी,
मातृभाषा पोवारी, हिन्दू जीवन-दर्शन वालों से ।।
2.पोवारों की उत्पत्ति
——————–
छत्तीस कुल को होतो सैनिक संघ ।
परस्पर रिश्तेदारी मा बंध गयेव ।
समान भाषा नि संस्कृति को कारण,
एक स्वतंत्र जातीय संगठन बन गयेव ।।
3.परमार राजवंश सीन संबंध
———————–
सम्राट विक्रमादित्य भया महान।
महाराजा श्रीभोज न बढ़ाईन शान।
मालवा को परमार राजवंश सीन ,
जुड़ी से क्षत्रिय पोवारो की खानदान।।
4.स्थानांतरण को इतिहास
———————-
पोवारों न् बख्तबुलद ला देईन साथ ।
वैनगंगा को आंचल ला करीन आबाद ।
संस्कृति बचाईन वतन सोड़के भी ,
पोवारी भाषा ला देईन जीवन मा स्थान।।
5.पोवारों को मुख्य व्यवसाय
————————
वैनगंगा को आंचल मा बसाईन गांव ।
खेती किसानी मा बहायीन आपलो घाम ।
जीवनयापन करीन किसानी करके,
नवयुग मा शिक्षा को दामन लेईन थाम ।।
6.पोवारी तीर्थस्थान
——————-
सतपुड़ा अंचल मा बसाईन गाव-गव्हान ।
नवो गांवों मा करीन राममंदिरों को निर्माण ।
सिहारपाठ पर बनायके श्रीराम-मंदिर,
देईन सुंदर नाव वोला पोवार तीर्थस्थान ।।
7.पोवारी को अर्थ व व्याप्ति
————————
पोवारी या एक मायबोली से ।
पोवारी येव एक समुदाय से ।
पोवारी का सेती विविध आयाम,
पोवारी या एक जीवनशैली से ।।
8.संस्कृति की प्रमुख विशेषता
————————-
प्रथम आराध्य मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ।
कुलदेवता भगवान शिवशंकर भोलेनाथ ।
समाज की कुलदेवी मा जगदंबा भवानी ,
संस्कृति ला से सनातन धर्म को अधिष्ठान ।।
9.मातृभाषा को महत्व
——————-
पोवारी से समाज की पहचान ।
पोवारी या से समाज को प्राण ।
एकता को रेशमी बंधन से पोवारी,
मातृभाषा पोवारी समाज की शान ।।
10.पोवारी लोकसाहित्य
——————–
लोकसाहित्य से समुदाय को दर्पण ।
लोकसाहित्य मा से जीवन दर्शन ।
समृद्धशाली से पोवारी लोकसाहित्य,
मातृभाषा पोवारी धरोहर से महान।।
11. भाषिक दायित्व
——————
मातृभाषा पोवारी से सुंदर ।
मातृभाषा पोवारी से मधुर ।
राष्ट्रीय पहचान देवावन साती,
पोवारी जन-मानस से आतुर ।।
12.नवयुग को नवो संकल्प ———————
मातृभाषा की कभी शाम ना होन देबी ।
मातृभाषा ला कभी बदनाम ना होन देबी ।
बनी रहें निजि देह मा जबवरि प्राणशक्ति ,
मातृभाषा को आंचल नीलाम ना होन देबी ।।
13.पूर्वजों ला वंदन
—————–
मालवा मा सोड़के आपलो पूरो वतन ।
माय वैनगंगा को थाम लेईन आंचल । पावन से अमृत गाथा पोवारों की,
पूर्वजों की यादों ला शत् शत् वंदन ।।
ओ सी पटले
प्रणेता -Powari Bhasha Vishva Navi Kranti (PBVNK )
सोम.3/2/2025.

