एक जननेता, जिसकी छवि अमिट…
बालाघाट की राजनीति में स्वर्गीय शिवराम बिसेन का नाम सम्मान और श्रद्धा से लिया जाता है। वे न केवल एक प्रखर समाजवादी नेता थे, बल्कि जनता की आवाज को बुलंद करने वाले सशक्त व्यक्तित्व भी थे। उनकी संघर्षशीलता, स्पष्ट विचारधारा और लोकहित के प्रति अडिग निष्ठा ने उन्हें जिले की राजनीति का एक अभिन्न हिस्सा बना दिया। उनकी विरासत आज भी समाजसेवा और संघर्ष की प्रेरणा देती है।
समाजवाद और जनसेवा के प्रति निष्ठा :
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद शिवराम बिसेन समाजवादी विचारधारा के प्रचार-प्रसार में जुट गए। उन्होंने समाजवादी पार्टी और जनता पार्टी से जुड़कर जनहित के मुद्दों को प्राथमिकता दी। सत्ता के लिए नहीं, बल्कि जनता के हक और अधिकारों की रक्षा के लिए उन्होंने राजनीति को अपनाया। उनके लिए राजनीति सेवा का माध्यम थी, सत्ता का नहीं।
सहकारिता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका :
श्री बिसेन का योगदान केवल राजनीति तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने सहकारिता क्षेत्र में भी क्रांतिकारी कार्य किए।
बालाघाट जिला सहकारी बैंक,
जिला सहकारी संघ,
नागरिक संघ,
जिला किसान संघ
इन संस्थानों से वे न केवल जुड़े, बल्कि इनके माध्यम से आम जनता और किसानों की दशा सुधारने के लिए अथक प्रयास किए। उनका मानना था कि किसानों और मजदूरों का सशक्तिकरण ही असली लोकतंत्र है।
चुनावी संघर्ष: हारकर भी न हारने वाला योद्धा :
1962 और 1967 में उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन सफलता नहीं मिली। फिर 1969 और 1972 में वे मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी विजयी नहीं हो सके। परंतु शिवराम बिसेन हारकर भी नहीं हारे। उन्होंने राजनीति में कभी पराजय को स्वीकार नहीं किया, बल्कि और अधिक ऊर्जा से जनसेवा में जुट गए। उनके लिए चुनावी जीत से अधिक महत्वपूर्ण था जनता का विश्वास और अधिकारों की रक्षा।
समाजवादी आंदोलन के बड़े नेताओं के निकटतम सहयोगी :
शिवराम बिसेन केवल बालाघाट तक सीमित नहीं थे, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर समाजवादी विचारधारा के प्रबल समर्थक थे। उनके संबंध देश के दिग्गज समाजवादी नेताओं से थे, जिनमें शामिल हैं— अशोक मेहता,जयप्रकाश नारायण,राममनोहर लोहिया,अर्जुन सिंह,लाडलीमोहन निगम,आचार्य कृपलानी,अरुणा आसफ अली ये सभी महान नेता समाजवाद और लोकतंत्र की मजबूती के लिए संघर्ष कर रहे थे, और शिवराम बिसेन भी इस आंदोलन के अभिन्न अंग थे।
सादगी और ईमानदारी का दूसरा नाम: शिवराम बिसेन :
श्री बिसेन केवल एक राजनेता नहीं, बल्कि ईमानदारी, संघर्ष और सादगी की प्रतिमूर्ति थे।
उन्होंने सत्ता का लोभ कभी नहीं किया, बल्कि हमेशा सादगीपूर्ण जीवन जिया।
गरीबों, किसानों और मजदूरों के लिए वे हमेशा उपलब्ध रहते थे।
उनका व्यक्तित्व निर्भीक, निडर और निष्पक्ष था।
नवंबर 1985 में बालाघाट में उन्होंने अंतिम सांस ली, लेकिन उनकी विचारधारा और योगदान आज भी जीवित हैं।
युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत :
आज जब राजनीति व्यक्तिगत स्वार्थ और अवसरवादिता की ओर बढ़ रही है, तब शिवराम बिसेन जैसे नेताओं की याद और भी प्रासंगिक हो जाती है। उन्होंने दिखाया कि राजनीति केवल सत्ता प्राप्त करने का साधन नहीं, बल्कि जनता के प्रति जवाबदेही और सेवा का संकल्प होना चाहिए।
उनका जीवन हमें सिखाता है कि साहस, निष्ठा और ईमानदारी से भरा जीवन ही समाज को सही दिशा दे सकता है।
श्रद्धांजलि और संकल्प :
शिवराम बिसेन का जीवन हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो सच्चे अर्थों में समाजसेवा करना चाहता है। उनकी स्मृति में यह लेख एक श्रद्धांजलि स्वरूप प्रस्तुत किया गया है, ताकि आने वाली पीढ़ियां उनके आदर्शों से प्रेरणा लेकर समाज और राष्ट्र के उत्थान में योगदान दे सकें।
संदर्भ: भोजपत्र (1986)
तथ्य संकलन: श्री ऋषि बिसेन, बालाघाट

