अंतर्राष्ट्रीय कविता दिवस के पावन अवसर पर- आनंद का आंसू ‌ ‌ ‌ ‌‌

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समाज की पहचान ला
जीवन मा मोठो से स्थान।
पहचान मिटावनों मा
लग्या होता विद्वानों का हाथ।।

मातृभाषा की पहचान ला
जीवन मा मोठो से स्थान।
पहचान मिटावनों मा
लग्या होता विद्वानों का हाथ।।

समाज की पहचान बचावन
करया आम्हीं क्रांतिकारी प्रयास।
जन-मानस ला जगायके
बचाया आम्हीं समाज की पहचान।।

भाषा की पहचान बचावन
उठाया आम्हीं आपली आवाज।
युवाशक्ति ला जगायके
बचाया आम्हीं ऐतिहासिक पहचान।।

मातृभाषा पोवारी को
समाज मा होय रहेव होतो उपहास।
हवा को उल्टो रुख ला
बदलन को करया आम्हीं सफल प्रयास।।

नवी- नवी संकल्पनाएं
मातृभाषा ला आम्हीं करया प्रदान।
ज्ञान भाषा की संकल्पना वरी
मातृभाषा पोवारी को करया उत्थान।।

ज्ञान भाषा वरी मजल
आमरो ‌समर्पण को देसे सशक्त प्रमाण।
प्रमाण पत्रों की नाहाय तृष्णा
आनंद का आंसू आमरा सेती लखलाभ।।

-इतिहासकार प्राचार्य ओ सी
पटले
प्रणेता-Powari Bhasha Vishva Navi Kranti PBVNK.
शुक्र.21/3/2025.
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