

अखिल भारतीय क्षत्रिय पंवार(पोवार) महासंघ का गठन भारत में फैले पंवार(पोवार) समाज के बीच संपर्क स्थापित कर, सामाजिक एकता को सशक्त करने और राष्ट्रीय स्तर पर उनकी अस्मिता की रक्षा करने के उद्देश्य से किया गया है। यह महासंघ समाज के विविध क्षेत्रों में कार्य करते हुए शिक्षा, संस्कृति, बोली, साहित्य, सामाजिक समरसता और जागरूकता जैसे विषयों पर गहराई से काम कर रहा है।

महासंघ का पहला उद्देश्य भारत के विभिन्न राज्यों में बसे ३६ कुलों के पंवार(पोवार) समाज के बीच संपर्क बढ़ाकर उनमें एकता की भावना का निर्माण करना और उसे राष्ट्रीय स्तर पर सशक्त करना है। यह संगठन समाज के सामाजिक, शैक्षणिक, आर्थिक और समग्र विकास में सहायता प्रदान करने के लिए निरंतर प्रयत्नशील है। विशेष रूप से “पोवारी” भाषा और संस्कृति का संरक्षण और संवर्धन इस महासंघ के प्रमुख कार्यों में से एक है।
पोवारी बोली जो पंवार(पोवार) समाज की मूल पहचान है, उसके संरक्षण, संवर्धन और प्रचार-प्रसार हेतु महासंघ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। न केवल भाषा बल्कि उसके साहित्य, शब्दों और उच्चारण की परंपरा को समाज में पुनः जागृत करना भी इस महासंघ का प्रमुख उद्देश्य है। यह कार्य न केवल भाषायी अस्मिता के लिए आवश्यक है, बल्कि सामाजिक एकजुटता और आत्म-सम्मान को भी मजबूत करता है।

साथ ही महासंघ पंवार(पोवार) समाज में शिक्षा, विशेषतः महिलाओं में शिक्षा के प्रति जागरूकता लाकर उनके सर्वांगीण विकास का मार्ग प्रशस्त कर रहा है। बालिकाओं के लिए शिक्षण और आत्मनिर्भरता के अवसर सृजित करना महासंघ के कार्यों में एक महत्वपूर्ण अंग है।
वर्तमान समय की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए महासंघ पोवारी संस्कृति पर आधारित लेखन, संगोष्ठियाँ और सांस्कृतिक आयोजनों का भी आयोजन करता है। समाज के इतिहास, रीति-नीति, कुल परंपराओं, विवाह-व्यवस्था, बोली-बानी को आने वाली पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए यह संगठन प्रतिबद्ध है। यह कार्य न केवल संस्कृति के संरक्षण का प्रयास है, बल्कि सामूहिक पहचान के निर्माण का भी स्तंभ है।

महासंघ समाज में व्याप्त सामाजिक बुराइयों, जैसे जातिगत भेद, नशाखोरी, शिक्षा की कमी, और परंपरा से कटाव के खिलाफ भी कार्य करता है। साथ ही यह युवाओं को सामाजिक शिक्षा और मूल्य आधारित जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है ताकि वे अपनी संस्कृति और जड़ों से जुड़े रहें। इसके अतिरिक्त सामाजिक उत्थान हेतु आवश्यकता पड़ने पर प्रशासनिक सहयोग से विभिन्न कार्यों का संचालन करना भी महासंघ की जिम्मेदारी है।
महासंघ यह भी मानता है कि समाज की एकता के लिए आवश्यक है कि पंवार(पोवार) समाज को “जातिगत” आधार पर समझने के बजाय एक कुल आधारित संरचना के रूप में पहचाना जाए, जिसमें अपनी परंपरा, भाषा और संस्कृति की मूल भावना जीवित रहे।
पंवार(पोवार) समाज में नैतिक मूल्यों और समता भाव को बढ़ावा देना, पारंपरिक संस्कारों को पुनः जागृत करना, और सामाजिक संगठन को मजबूत बनाना, महासंघ की प्राथमिकताओं में सम्मिलित है। यह संगठन यह सुनिश्चित करता है कि समाज में कोई भी व्यक्ति, वर्ग या समूह अपनी सांस्कृतिक जड़ों से वंचित न रह जाए।
महासंघ स्थानीय स्तर पर सामाजिक गतिविधियों को सक्रिय करने के लिए गांव-गांव जाकर जागरूकता अभियान चलाता है, जिससे संगठनात्मक भावना विकसित हो और समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो। समाज के युवाओं में नेतृत्व कौशल का विकास करना, उनकी सामाजिक चेतना को जाग्रत करना और उन्हें संस्कृति से जोड़ना इस महासंघ की प्रेरक भूमिका का हिस्सा है।
समाज के लिए सेवा कार्यों के अंतर्गत महासंघ जरूरतमंदों को सहायता प्रदान करता है, जैसे आपदा राहत, आर्थिक सहयोग, और सामाजिक आपसी सहयोग की भावना का निर्माण। साथ ही समाज के वृद्ध, निर्धन, दिव्यांग वर्गों के लिए सहयोगी कार्यक्रमों का संचालन कर उनकी समस्याओं का समाधान करता है।
महासंघ मीडिया के माध्यम से भी समाज के गौरवशाली इतिहास, संस्कृति और मूल्यों का प्रचार-प्रसार करता है। अखबार, पत्रिकाएं, डिजिटल मीडिया, संगोष्ठियाँ, और मंचों के द्वारा समाज की सकारात्मक छवि को देश भर में फैलाने का कार्य किया जाता है।
शिक्षा के क्षेत्र में महासंघ समाज के प्रतिभाशाली छात्रों को छात्रवृत्ति, मार्गदर्शन, करियर परामर्श और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी हेतु विशेष सहयोग करता है। समाज के विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा हेतु प्रोत्साहित करना तथा कोचिंग व प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्ध कराना महासंघ के प्रमुख लक्ष्य हैं।
अंततः, महासंघ यह मानता है कि यदि समाज को संगठित, सशक्त और आत्मगौरव से परिपूर्ण बनाना है तो प्रत्येक सदस्य को अपनी भूमिका निभानी होगी। यही कारण है कि यह संगठन केवल नारे नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन और परिवर्तन के लिए सक्रिय है।
मालवा के गढ़ नगरधन से लेकर वैनगंगा क्षेत्र तक पंवार(पोवार) समाज की ऐतिहासिक उपस्थिति और योगदान को केंद्र में रखकर, महासंघ आज भी उसी भावना से कार्य कर रहा है, जिस भावना से हमारे पूर्वजों ने सामाजिक एकता और अस्मिता की नींव रखी थी।
ऋषि बिसेन, बैहर, जिला : बालाघाट






