36 कुलीन पोवार समाज की पहचान पर प्रश्नचिह्न…

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राष्ट्रीय पवार क्षत्रीय महासभा एक राष्ट्रीय संगठन है, इस संगठन के साथ मेरा कोई व्यक्तिगत संबंध नहीं है। परंतु पोवार समाज का एक सदस्य होने के नाते मेरे मन में कुछ विचार आ रहे हैं कि जो पोवार समाज है क्या यह समाज राष्ट्रीय महासभा के अधीन कार्यरत है? पोवार समाज जिसे हम 36 कुलीन समाज के नाम से जानते हैं। इस समाज का पवार समाज के साथ किसी भी प्रकार का आंतरिक संबंध नहीं है। इसके विपरित जिस प्रकार के कार्यक्रम चाहे वह राष्ट्रीय स्तर के हो प्रादेशिक स्तर के हो क्षेत्रीय स्तर के हो जिला स्तर के हो इसमें पवार महासभा के बेनर तले जो हमारे पोवार लोग काम कर रहे हैं यह एक विचारणीय विषय है।    किसी भी संगठन से वैचारिक मतभेद तब आते हैं जब हम अपने मूल बिंदुओं को छोड़कर अन्यत्र भटकते हुए नजर आते हैं। हमें बुजुर्गों से और इतिहास से जो जानकारी मिली है कि 36 कुलीन समाज के पोवार लोग एक स्वतंत्र जाती से है ,और 36 कुर में ही रोटी बेटी के रिश्ते नाते और सामाजिक समन्वय होता रहा है। समय परिवर्तनशील है, समय के साथ बदलना यह भी एक नियति है।परंतु समाज के रीति रिवाज संस्कृति माय बोली और संबंधों को इतना परिवर्तनशील कर दे, कि हम अपने समाज के आधारभूत ढांचे से दूर निकल जाए यह एक विडंबना है! पोवार या पंवार समाज का सामान्य सदस्य होने के नाते मैं इस बात को अस्वीकार करता हूं कि हम अपने पूर्वजों के नियमों के विरुद्ध किसी और समाज के अधीन अपनी संस्कृति, रीति रिवाज, माय बोलि ओर संबंधों को विलीन कर दे। यह दुखद विषय है कि आज समाज के 80% लोग इस घटना से अनजान है कि हमारी संस्कृति रीति रिवाज माय बोली और संबंध कहीं और गिरवी रखे जा रहे हैं। 80%% लोगों के बीच में मुझे अपने विचार रखने का अवसर मिला जो मैं अपने विचारों को अन्य लोगों तक पहुंचाना चाहता हूं।

समाज की भावनाओं को समझना समाज के लोगों को समझना और समाज की धरोहर को सुरक्षित रखना यही समाज के गणमान्य लोग,समाज के कार्यकर्ता हो या समाज के पदाधिकारी हो इनका काम होना चाहिए। परंतु मूल भावनाओं को छोड़कर जिस प्रकार दिशाहीन भावनाओं का प्रचार प्रसार किया जाता है यह निंदनीय कार्य है।

प्रत्येक समाज में सामाजिक कार्य अपने-अपने समाज के सामाजिक उद्धार के लिए किए जाते हैं। हर समाज अपने-अपने स्तर पर कई प्रकार के कार्यक्रमों की रूपरेखा बनाते हैं उन्हें कार्यान्वित करते हैं। समाज उद्धाधर के लिए अनेक योजनाएं बनती है परंतु कोई भी समाज संगठन अपने समाज के मूल स्वरूप को विकृत विघटित या बर्बाद करना नहीं चाहता। इसी स्वरूप में मध्य प्रदेश की केंद्रीय मंत्री आदरणीय प्रहलाद पटेल जी का एक भाषण प्रसारित हुआ था जिसमें वे बड़े गर्व से बोलते हैं कि मैं लोधी समाज का नेतृत्व करता हूं और समाज के नाम पर उन्होंने जो जज्बा दिखाया है वह काबिले तारीफ है।

राष्ट्रीय पवार महासभा द्वारा चलाए गए कार्यक्रमों में, जिस प्रकार से पोवार समाज के गणमान्य लोग अपनी समाज का नाम पवार स्वीकार कर रहे हैं, यह समाज के लिए बहुत दुखद कार्य है! क्योंकि आप लोगों को समाज के बाकी लोग अनुसरित करते हैं ।आप जिस दिशा में जाएंगे समाज इस दिशा में आगे बढ़ता है समाज को किस दिशा में मोड़ना है यह मूल रूप से राजनीतिक पदाधिकारी के ऊपर निर्भर करता है।

समाज के प्रतिनिधि कोई मनोनीत सदस्य नहीं होते हैं ।प्रतिनिधि होने के नाते समाज का गौरव समाज की आन बान शान का विचार रखते हुए काम होना चाहिए। हर सामाजिक व्यक्ति अपने-अपने स्तर पर चर्चा जरूर करता है परंतु अपने विचारों को प्रचार प्रसार नहीं दे सकता।

जिन मूल भावनाओं का मैं यहां उल्लेख नहीं कर रहा हूं,उनके बारे में सारे समाज के समूह में प्रचार प्रसार हो रहा है।यह जानकारी बार-बार प्रेषित की जा रही है कि हम कौन हैं हमारे रीति रिवाज माय बोली और संबंध क्या है यह जानकारी लोग पढ़ते हैं परंतु इस बात पर विशेष ध्यान नहीं जाता है। मुझे किसी संगठन से कोई परेशानी नहीं है परंतु जब बात मां पोवारी के चीर हरण जैसी आ जाए तो मेरे जैसा सामान्य नागरिक भी अपनी बात रखने के लिए आगे आता है। हमें अपने व्यक्तिगत लाभ को किनारे रखते हुए समाज की मूल भावनाओं का आदर करना चाहिए और उसे सुरक्षित करना चाहिए यह अपेक्षा हर संगठन से रहती है।

यशवंत तेजलाल कटरे,

मंगोली खु. त. किरनापुर जि. बालाघाट

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